किशनगंज, 3 मई . एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम बहुल किशनगंज जिले के बहादुरगंज में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जनसभा में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंका.
इस सभा में उन्होंने वक्फ संशोधन कानून को “काला कानून” और मुसलमानों की शरीयत पर हमला करार देते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. साथ ही, उन्होंने बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से एआईएमआईएम के प्रत्याशी तौसीफ आलम के नाम पर सार्वजनिक रूप से मुहर लगाई.
बहादुरगंज में आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में ओवैसी सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बाएं हाथ पर काला पट्टा बांधकर वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी की. सभा की शुरुआत से पहले ओवैसी ने हाल ही में पलहगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और दो मिनट का मौन रखा.
उन्होंने कहा, “जिन आतंकियों ने हमारे 26 लोगों की जान ली, उनके खिलाफ पीएम मोदी सख्त कार्रवाई करें. मृतकों के परिवारों को न्याय मिलना चाहिए. हम सरकार के हर कदम का समर्थन करेंगे ताकि पाकिस्तान दोबारा ऐसी हिमाकत न करे.”
वक्फ संशोधन कानून को लेकर ओवैसी ने कहा, “यह कानून मुसलमानों की संपत्ति लूटने, मस्जिदों और दरगाहों को छीनने के लिए बनाया गया है. हम तब तक चुप नहीं बैठेंगे, जब तक सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेती. यह कानून मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर हमला है.”
आरजेडी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, “ये बुजदिल हमारे चार नेताओं को ले गए, लेकिन हम 24 को लाएंगे. एक दिन ऐसा आएगा जब ये लोग अख्तरूल ईमान और तौसीफ से भीख मांगेंगे. आपको देखना होगा कि आपकी मस्जिदों की हिफाजत की लड़ाई कौन लड़ रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है और पार्टी अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. आज बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है और आने वाले समय में सभी विधानसभा क्षेत्रों में जनसभा की जाएगी.”
सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, “कई पार्टियां सीमांचल में आएंगी, आपको दौलत और लालच देंगी. उनकी दौलत जरूर लीजिए, छोड़िए मत, लेकिन जब वोट देने की बारी आए तो ‘पतंग छाप’ को ही वोट दीजिए. मजलिस की बढ़ती ताकत ने ही सीमांचल को बिहार की मुख्यधारा की राजनीति में ला दिया है. कल तक राजद, सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी की जुबान पर सीमांचल का नाम नहीं था, लेकिन जब से आपने मजलिस को वोट देना शुरू किया, तब से इन सभी की जुबान पर सीमांचल का नाम चढ़ गया. जब बिहार में दलित, अगड़े, कुर्मी और कुशवाहा समुदाय की अपनी राजनीतिक पार्टियां हो सकती हैं, तो मुसलमानों की अपनी पार्टी क्यों नहीं हो सकती? हमारी पार्टी न केवल मुसलमानों के हितों की रक्षा करेगी, बल्कि सीमांचल के समग्र विकास के लिए भी काम करेगी.”
ओवैसी ने बिहार में हुई जातीय जनगणना पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “जातीय जनगणना के आंकड़े इसलिए सार्वजनिक नहीं किए गए, क्योंकि उसमें मुसलमान सबसे अधिक पिछड़े पाए गए.”
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एकेएस/डीएससी
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