पुरी, 6 जुलाई . अदाणी गुप की ओर से पुरी के जगन्नाथ धाम में चलाई जा रही प्रसाद सेवा पर श्रद्धालुओं ने रविवार को कहा कि यहां मिल रहे भोजन की गुणवत्ता काफी शानदार है और हर दिन अलग-अलग प्रकार का भोजन दिया जा रहा है.
समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए उत्तर प्रदेश के कौशांबी से आए विनोद ने कहा कि इस्कॉन और अदाणी के सहयोग से पुरी के जगन्नाथधाम में सेवा के लिए आया हूं. यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की सेवा से काफी खुशी मिल रही है. उन्होंने आगे कहा कि अदाणी ग्रुप की ओर से चल रही प्रसाद सेवा में प्रतिदिन अलग-अलग तरह का भोजन श्रद्धालुओं दिया जा रहा है.
पुरी धाम में आए एक श्रद्धालु सुकांत दास ने कहा कि अदाणी ग्रुप की ओर से चलाई जारी प्रसाद सेवा में काफी अच्छी गुणवत्ता का भोजन मिल रहा है, साथ ही खाने के स्वाद भी काफी अच्छा है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अदाणी ग्रुप की ओर से की गई व्यवस्थाएं काफी अच्छी हैं.
वहीं, ओडिशा के कटक से आए एक अन्य श्रद्धालु दिव्यरंजन साहू ने कहा कि अदाणी की ओर से जारी प्रसाद सेवा काफी अच्छी है. मैंने यहां शरबत ग्रहण किया है, जिसकी क्वालिटी काफी अच्छी थी.
उन्होंने आगे कहा कि पहले बड़ी संख्या में यात्री आने के चलते कुछ लोग महंगे दामों पर खाद्य पदार्थों की बिक्री करते थे, लेकिन अदाणी ग्रुप की ओर से नि:शुल्क प्रसाद सेवा चलाए जाने के कारण यह स्थिति बदल गई है.
वहीं, एक अन्य श्रद्धालु अक्षय कुमार बारीक ने कहा कि मैं हर साल यहां आता हूं. पहले हमें होटलों से खरीदकर चीजें खानी पड़ती थी, लेकिन अदाणी ग्रुप की ओरे से प्रसाद सेवा शुरू किए जाने के कारण खाने पीने की चीजें नि:शुल्क मिल रही हैं. यहां सुबह-शाम भोजन के अलावा कोल्ड-ड्रिंक्स आदि की भी व्यवस्था है.
चेयरमैन गौतम अदाणी के विश्वास ‘सेवा ही साधना है’ के मार्गदर्शन को ध्यान में रखते हुए अदाणी ग्रुप ने 26 जून से 8 जुलाई तक चलने वाले नौ दिवसीय उत्सव के दौरान तीर्थयात्रियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को समर्थन देने के लिए बड़े पैमाने पर स्वयंसेवी पहल शुरू की है.
–
एबीएस/
You may also like
दिल्ली के इंद्रलोक से शांतिपूर्वक निकला ताजिया
मनोज झा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, एसआईआर को दी चुनौती
मुंबई: 1993 दंगों के मामले में 32 साल से फरार आरोपी वडाला से गिरफ्तार
इंग्लैंड क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान माइकल वॉन की राय, 'जोफ्रा आर्चर से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए'
हरदा : आदिवासी बच्चों के लिए छात्रावास आज भी दिवास्वप्न बना