कोलकाता, 7 अप्रैल . पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ममता बनर्जी सरकार पर जमकर हमला बोला है और राज्य सरकार से मांग की है कि वह तत्काल प्रभाव से वास्तविक (जेनुइन) शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की सूची सुप्रीम कोर्ट में पेश करे.
भाजपा विधायक और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने अन्य भाजपा विधायकों के साथ सोमवार को राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया.
भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग करते हुए टीएमसी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया हैं. यह विरोध सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद हो रहा है, जिसके कारण एसएससी शिक्षकों की नौकरियां चली गईं.
सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी को जेल जाना चाहिए. वह मुख्य लाभार्थी हैं. उनके भतीजे ने 700 करोड़ रुपये की रिश्वत ली. उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन 26000 लोगों के लिए जिम्मेदार हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी नौकरी खो दी है. उनके भतीजे (अभिषेक बनर्जी) की इसमें बड़ी भूमिका है.
सुवेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह तत्काल प्रभाव से वास्तविक (जेनुइन) शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की सूची सुप्रीम कोर्ट में पेश करे. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार ने 5-6 हजार फर्जी नियुक्तियों के लिए मोटी रकम ली और अब फर्जी लोगों को बचाने के लिए वास्तविक कर्मचारियों की बलि दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने 16 सुनवाइयों में राज्य सरकार को बार-बार निर्देश दिया कि वह वास्तविक और फर्जी कर्मचारियों को अलग-अलग कर सूची पेश करे, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. ममता बनर्जी के रिश्तेदार भी बीरभूम में इस फर्जी नियुक्ति घोटाले का हिस्सा हैं.
पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का जिक्र करते हुए कहा कि वह आज भी जेल में हैं और सुजॉय कृष्ण भद्र के ऑडियो संदेश में टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी का नाम सामने आया है. यह 700-800 करोड़ रुपये का घोटाला है, जिसमें फर्जी लोगों को बचाने के लिए वास्तविक शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाया गया. हम जेनुइन कर्मचारियों के पक्ष में हैं और मांग करते हैं कि उन्हें तुरंत नौकरी पर बहाल किया जाए.
इस बीच, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक रिवीजन पिटीशन दाखिल की है. सुवेंदु अधिकारी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार को तुरंत जेनुइन कर्मचारियों की सूची पेश करनी चाहिए. यह सरकार वास्तविक कर्मचारियों के खिलाफ है और फर्जी नियुक्तियों को संरक्षण दे रही है. हम इसके खिलाफ हैं और प्रभावित लोगों के साथ खड़े हैं.
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा 2016 में राज्य द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 25,000 से अधिक शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने पाया कि पश्चिम बंगाल एसएससी की चयन प्रक्रिया बड़े पैमाने पर हेरफेर और धोखाधड़ी पर आधारित थी.
पश्चिम बंगाल में 25,753 शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में प्रभावित शिक्षकों से मिलीं. सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया और वे अपनी नौकरी वापस चाहते हैं.
–
एकेएस/
The post first appeared on .
You may also like
Google Pixel 9a Now Available in India: Price, Specs, and Launch Offers Revealed
Chahal Creates IPL History! 4 Records Broken in One Match — Fans Missed It Amid Punjab's Win
Appy Pie Launches PixelForge and Vibeo: India's Homegrown AI Models for Image and Video Generation
मुर्शिदाबाद में दंगा करने को मस्जिद के लाउडस्पीकर से हुआ था ऐलान, बंगाल BJP चीफ सुकांता मजूमदार का बड़ा दावा
IPL 2025: Delhi Capitals Edge Rajasthan Royals in First Super Over Thriller of the Season