New Delhi, 26 अगस्त . मेनका गांधी भारतीय राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम है. वे न सिर्फ अपनी राजनीतिक उपलब्धियों के लिए, बल्कि पशु अधिकार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए भी प्रसिद्ध हैं.
26 अगस्त 1956 को दिल्ली में एक सिख परिवार में जन्मीं मेनका गांधी ने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं से समाज को प्रभावित किया है. मेनका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लॉरेंस स्कूल, सनावर से प्राप्त की और दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की, जिसके बाद उन्होंने मॉडलिंग में भी कदम रखा.
1974 में संजय गांधी से विवाह के बाद उनका प्रवेश गांधी परिवार में हुआ, जिसने उनकी राजनीतिक यात्रा की नींव रखी.
मेनका गांधी की राजनीतिक शुरुआत 1980 के दशक में हुई, जब संजय गांधी की असामयिक मृत्यु के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा. 1983 में उन्होंने राष्ट्रीय संजय मंच की स्थापना की, लेकिन उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली.
1984 में उन्होंने अमेठी से Lok Sabha चुनाव लड़ा, लेकिन राजीव गांधी से हार गईं. इसके बाद 1988 में जनता दल में शामिल होकर वह 1989 में पहली बार पीलीभीत से सांसद चुनी गईं और वीपी सिंह सरकार में पर्यावरण राज्य मंत्री बनीं. उसके बाद 1999 में वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री बनीं.
2004 में मेनका गांधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुईं और तब से वह इस दल की प्रमुख नेता रही हैं. उन्होंने पीलीभीत और सुल्तानपुर से कई बार Lok Sabha चुनाव जीता.
2014 से 2019 तक Narendra Modi सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण नीतियां लागू कीं. हालांकि, 2024 के Lok Sabha चुनाव में वह सुल्तानपुर से Samajwadi Party के रामभुआल निषाद से हार गईं.
1992 में मेनका ने पशु कल्याण के लिए ‘पीपल फॉर एनिमल्स’ संगठन की शुरुआत की. आज भी पशुओं के साथ क्रूरता के मामलों में वह सबसे पहले आवाज उठाती हैं. उनकी सक्रियता और नीतिगत हस्तक्षेप ने भारत में पशु कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण बदलावों को जन्म दिया है.
अपनी बेबाकी और स्वतंत्र सोच के कारण वह भाजपा में रहते हुए भी एक अलग पहचान रखती हैं. साथ ही महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण के मुद्दों पर बेबाकी से बोलती हैं.
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एकेएस
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