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'ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक' खराब, भारत के नेतृत्व में दक्षिण एशिया एक उज्जवल स्थान : डब्ल्यूईएफ

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जेनेवा, 29 मई . विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, टैरिफ अस्थिरता की अनिश्चितता को बढ़ावा देने के साथ ही इस वर्ष की शुरुआत से ‘ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक’ खराब बना हुआ है. लेकिन, भारत के नेतृत्व में दक्षिण एशिया को विकास को बढ़ावा देते हुए ‘ग्रोथ ड्राइवर’ के रूप में देखा जा रहा है.

‘मुख्य अर्थशास्त्री दृष्टिकोण’ से पता चलता है कि सर्वे में शामिल 79 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों का एक मजबूत बहुमत वर्तमान भू-आर्थिक विकास को अस्थायी व्यवधान के बजाय वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव के संकेत के रूप में देखता है.

व्यापार तनाव बढ़ने के बीच विश्व के मुख्य अर्थशास्त्री वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक खराब वर्ष का पूर्वानुमान लगाते हैं.

हालांकि, क्षेत्र के आधार पर यह उम्मीदें अलग हैं. दक्षिण एशिया के लिए भारत के नेतृत्व में मजबूत आशावाद बना हुआ है. 33 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों को इस वर्ष मजबूत वृद्धि की उम्मीद है.

डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट के अनुसार, 77 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों को 2025 तक अमेरिका में कमजोर या बहुत कमजोर वृद्धि की आशंका है.

इसके विपरीत, वे मुख्य रूप से जर्मनी में राजकोषीय विस्तार की उम्मीदों के कारण यूरोप की संभावनाओं को लेकर आशावादी बने हुए हैं. दूसरी ओर, चीन के लिए दृष्टिकोण शांत बना हुआ है.

विश्व आर्थिक मंच की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी ने कहा, “नीति निर्माताओं और बिजनेस लीडर्स को बढ़ती अनिश्चितता और व्यापार तनावों का जवाब बेहतर कोऑर्डिनेशन, रणनीतियों और एआई जैसी टेक्नोलॉजी में निवेश के साथ देना चाहिए.”

82 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों ने वैश्विक अनिश्चितता को उच्च माना है. जबकि, 56 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि अगले वर्ष स्थिति में सुधार होगा. लगभग 97 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों ने व्यापार नीति को सबसे अधिक अनिश्चितता वाले क्षेत्रों में रखा है. इसके बाद मौद्रिक नीति और राजकोषीय नीति का स्थान है. इस अनिश्चितता का व्यापार की मात्रा, जीडीपी वृद्धि और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सहित प्रमुख आर्थिक संकेतकों पर असर पड़ने की आशंका है.

अधिकांश मुख्य अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि व्यवसाय, अनिश्चितता का जवाब रणनीतिक निर्णयों में देरी करने के साथ देंगे, जिससे मंदी का जोखिम बढ़ेगा.

डेट सस्टेनेबिलिटी भी एक बढ़ती हुई चिंता है. अधिकांश मुख्य अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि सरकार रक्षा व्यय आवश्यकताओं को उधारी बढ़ाकर पूरा करेगी.

47 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों को अगले दशक में नौकरियों में कमी आने की आशंका है, वहीं मात्र 19 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे.

सर्वे में शामिल पार्टिसिपेंट्स ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा जोखिम गलत सूचना और सामाजिक अस्थिरता के लिए एआई का गलत इस्तेमाल है.

एआई की क्षमता का पूरा दोहन करने के लिए, मुख्य अर्थशास्त्रियों ने सरकारों और व्यवसायों दोनों की ओर से साहसिक कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

एसकेटी/एबीएम

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