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'अर्द्धहलासन' आसन के इन फायदों के बारे में नहीं जानते होंगे आप!

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नई दिल्ली, 4 जून . ‘अर्द्धहलासन’ एक सरल और प्रभावी योगासन है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह शुरुआती और अनुभवी योगियों दोनों के लिए उपयुक्त है. नियमित अभ्यास से आप न केवल अपने शरीर को स्वस्थ और लचीला रख सकते हैं, बल्कि मानसिक शांति और ऊर्जा का अनुभव भी कर सकते हैं.

दरअसल, ‘अर्द्धहलासन’ एक योग मुद्रा है, जिसमें व्यक्ति पीठ के बल लेटकर अपने पैरों को 90 डिग्री के कोण तक ऊपर उठाता है, बिना कंधों या सिर को जमीन से उठाए. यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने, पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और शरीर में रक्त संचार को बढ़ाने में मदद करता है. यह एक शांत और विश्राम दायक आसन है.

‘अर्द्धहलासन’ को सही तरीके से करने के लिए कुछ चरणों का पालन करना होता है. सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं, दोनों हाथ शरीर के बगल में रखें और हथेलियां जमीन पर हों. इसके बाद सांस (श्वास) भरते हुए घुटनों को बिना मोड़े धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं और जमीन से 90 डिग्री का कोण बनाएं. इस अवस्था में नितंब से कंधे तक शरीर एक सीध में रहेगा. सामान्य रूप से सांस लेते हुए इस अवस्था में 10-30 सेकेंड तक बने रहें. बाद में सांस छोड़ते हुए बिना सिर उठाए धीरे-धीरे पैरों को वापस जमीन पर ले आएं. शवासन में विश्राम करें.

हालांकि, इस आसन को करते समय कुछ सावधानियां बरतें. अगर आपको पीठ दर्द, गर्भावस्था, हर्निया, या कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, तो इस आसन को करने से पहले चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से सलाह लें.

आसन को करते समय पैरों को अचानक न झटकें. हमेशा धीरे और नियंत्रित तरीके से आसन करें. इसके अलावा, गर्दन को अनावश्यक रूप से न मोड़ें.

यह आसन पाचन तंत्र को मजबूत करता है, रीढ़ की हड्डी को लचीलापन देता है और रक्त संचार में सुधार करता है. साथ ही तनाव और चिंता की समस्या को दूर करता है. इसके अलावा, पैरों की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है और पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है.

एफएम/एएस

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