Vice President Election 2025: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया और बताया कि एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) होंगे, जो वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. सीपी राधाकृष्णन को एनडीए का उम्मीदवार घोषित कर बीजेपी ने एक सोची-समझी चाल चली है. उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी खेमे में फूट पड़ सकती है और पहले भी राष्ट्रपति के अलावा उपराष्ट्रपति चुनावों में उम्मीदवारों के नामों पर विपक्ष में पहले भी सेंध लगती रही है.
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ DMK का क्या होगा रुख?
सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) को एनडीए उम्मीदवार बनाना बीजेपी का बेहद सोची समझी चाल मानी जा रही है और साथ ही इसे दक्षिण भारत में भाजपा की राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां अब तक बीजेपी को अपनी पकड़ बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है. लेकिन, अब सवाल है कि तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके (DMK) का क्या रुख होगा? यह सवाल उठने लगा है कि क्या डीएमके विपक्षी दलों से अलग जाकर सीपी राधाकृष्णन का समर्थन करेगी? इससे पहले भी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के नामों को लेकर विपक्ष में दरार पड़ चुकी है.
डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने भी एनडीए द्वारा उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने गए उम्मीदवार को ‘एक अच्छा फैसला’ बताया, लेकिन कहा कि डीएमके इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है और वह गठबंधन के फैसले का पालन करेगी. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, डीएमके द्वारा सीपी राधाकृष्णन का समर्थन किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘यह एक स्वागत योग्य कदम है. वह (सीपी राधाकृष्णन) एक तमिल हैं और लंबे समय के बाद कोई तमिल भारत का उपराष्ट्रपति बन सकता है. इंडिया ब्लॉक का भी अपना विकल्प है और डीएमके गठबंधन के फैसले का पालन करेगी.’
कब-कब राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति उम्मीदवारों के नाम पर विपक्ष में पड़ चुकी है दरार
1. जब यूपीए ने प्रतिभा पाटिल को अपना उम्मीदवार बनाया था, तब शिवसेना ने एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद उनका समर्थन किया था, क्योंकि वह महाराष्ट्र से थीं.
2. इसी तरह जब यूपीए ने प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया था, तब एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद शिवसेना और जेडी(यू) दोनों ने अपना समर्थन दिया.
3. जब एनडीए ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया था, उस समय विपक्ष में होने के बावजूद जेडी(यू) ने उनका समर्थन किया था, क्योंकि तब वे बिहार के राज्यपाल थे.
4. पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में जब एनडीए ने जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया तो तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने मतदान से दूरी बना ली थी. धनखड़ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच अक्सर कई मुद्दों पर तीखी बहस होती थी. मतदान में टीएमसी के भाग नहीं लेने का नतीजा यह हुआ कि धनखड़ सबसे ज्यादा वोट पाकर उपराष्ट्रपति बने थे.
इस बार क्या है उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट गणित?
इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के पास 422 वोट हैं, जबकि पिछले चुनाव में जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे. एक बार फिर बीजेडी, वाईएसआरसीपी और बीआरएस जैसी पार्टियां एनडीए का समर्थन कर सकती हैं, जिनके कुल मिलाकर 22 सांसद हैं. तमिलनाडु में 32 सांसदों वाली और सबसे बड़ी पार्टी डीएमके के सामने एक दुविधा है कि क्या वह अपने राज्य के उम्मीदवार का समर्थन करे या विपक्षी दलों उम्मीदवार का समर्थन करे, जबकि अगले साल तमिलनाडु में चुनाव होने वाले हैं.
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