इस दवा को ‘गुड़मार’ के नाम से जाना जाता है। BHU के गोल्ड मेडलिस्ट आयुर्वेद विशेषज्ञ ने बताया कि इस दवा के सेवन से शरीर से शुगर पूरी तरह गायब हो जाती है। इसलिए इसे गुड़मार कहा जाता है।
डॉ. अमरेश कुमार मिश्रा ने बताया कि उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से BMS और MD किया है। उन्होंने BMS में गोल्ड मेडल जीता था और उनके पास 9 वर्षों का अनुभव है।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में मधुमेह के दो प्रकार बताए गए हैं:
कई मरीज़ केवल सही डाइट और एक्सरसाइज़ का पालन करके ही ठीक हो जाते हैं। यदि इससे फायदा नहीं होता है, तो दवाइयों की ज़रूरत पड़ती है। लिवर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल और इंसुलिन-ये सभी प्रक्रियाएं आपस में जुड़ी होती हैं। टाइप-2 डायबिटीज़ के मरीज़ों में इंसुलिन कम नहीं बल्कि अधिक होता है। मज़े की बात यह है कि इस स्थिति में लोग शुगर की दवाइयां लेना शुरू कर देते हैं, जो इंसुलिन का स्तर और बढ़ा देती हैं।
निशा, आंवला, गुड़मार और बनाबा-ये चार औषधियां शुगर के लिए जीवनरक्षक की तरह काम करती हैं। इसके साथ व्यायाम करने से और बेहतर परिणाम मिलते हैं। डायबिटीज़ के मरीज़ों को बार-बार खाने की आदत हो जाती है। गुड़मार का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह धीरे-धीरे इस आदत को दूर कर देता है।
यह इंसुलिन के स्राव को बढ़ाता है। यदि गुड़, हल्दी और आंवला को सही जीवनशैली और डाइट के साथ और योग्य आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के अनुसार लिया जाए, तो अंततः शुगर खत्म हो जाएगी। डॉक्टर का दावा है कि इस विधि से कई मरीज़ ठीक हो चुके हैं।
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