भारतीय शेयर बाजार ने आज एक गंभीर संकट का सामना किया, जिसे “ब्लैक मंडे” कहा जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 180 से अधिक देशों पर लगाए गए आयात शुल्क ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी। इस स्थिति के कारण निवेशकों को 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सोमवार को सेंसेक्स 3,914.75 अंक या 5.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 71,449.94 पर खुला, जबकि निफ्टी 50 ने 1,146.05 अंक या 5.00 प्रतिशत की गिरावट के साथ 21,758.40 पर कारोबार शुरू किया।
सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने 4% से अधिक की गिरावट दर्ज की, जिससे सभी सेक्टरों में नकारात्मक प्रवृत्ति देखी गई। मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में भी गिरावट आई। बीएसई की कुल मार्केट कैप 403.34 लाख करोड़ से घटकर 383.81 लाख करोड़ रुपये पर आ गई। इसके अलावा, एशियाई और अमेरिकी बाजारों में भी भारी गिरावट ने भारतीय बाजार को प्रभावित किया।
ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव
अमेरिका द्वारा विदेशी सामानों पर नए आयात शुल्क लगाने से वैश्विक व्यापार युद्ध का डर बढ़ गया है। इससे IT, ऑटो, फार्मा और मेटल कंपनियों के शेयर सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। विदेशी निवेशक भी शेयर बेचकर बाजार से बाहर निकलने लगे, जिससे और दबाव बढ़ा।
भविष्य की संभावनाएं
यदि व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ती है, तो बाजार में और गिरावट संभव है। हालांकि, RBI और सरकार द्वारा कोई बड़ा कदम उठाने पर स्थिति में सुधार हो सकता है। लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए यह एक खरीदारी का अवसर हो सकता है, लेकिन शॉर्ट-टर्म में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।
बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण पिछले सत्र के 403 लाख करोड़ रुपये से घटकर 387 लाख करोड़ रुपये रह जाने से निवेशकों को मिनटों में करीब 16 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़े क्रैश
1. हर्षद मेहता घोटाला क्रैश (1992)
भारतीय शेयर बाजार को 1992 में हर्षद मेहता घोटाले के कारण पहला बड़ा झटका लगा। जब 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आया, तो सेंसेक्स में भारी गिरावट आई।
28 अप्रैल, 1992 को, भारतीय शेयर बाजार ने अपनी सबसे बड़ी एकल-दिवसीय गिरावट दर्ज की, जिसमें सेंसेक्स 570 अंक या 12.7% गिर गया। इस घोटाले ने भारतीय वित्तीय प्रणाली में सुधार की प्रक्रिया को तेज किया।
2. केतन पारेख घोटाला क्रैश (2001)
2001 में, केतन पारेख से जुड़े एक और घोटाले ने शेयर बाजार को हिलाकर रख दिया। जब घोटाले का पर्दाफाश हुआ, तो बाजार में घबराहट फैल गई। 2 मार्च 2001 को सेंसेक्स 176 अंक या 4.13% गिरा।
3. इलेक्शन शॉक क्रैश (2004)
2004 के आम चुनाव परिणामों ने भारतीय शेयर बाजार को चौंका दिया। एनडीए की अपेक्षित हार ने आर्थिक सुधारों की निरंतरता को लेकर चिंता बढ़ा दी।
17 मई, 2004 को, सेंसेक्स ने 11.1% की गिरावट दर्ज की।
4. ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस क्रैश (2008)
2008 में, अमेरिका में लेहमैन ब्रदर्स के पतन के बाद वैश्विक वित्तीय मंदी का असर भारतीय बाजार पर पड़ा। 21 जनवरी, 2008 को सेंसेक्स 1,408 अंक या 7.4% गिर गया।
5. COVID-19 महामारी क्रैश (2020)
COVID-19 के प्रकोप ने भारतीय स्टॉक मार्केट में सबसे बड़ा एक दिवसीय क्रैश उत्पन्न किया। 23 मार्च, 2020 को, सेंसेक्स 3,935 अंक या 13.2% गिर गया।
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