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कर्म की महत्ता: एक प्रेरणादायक कहानी

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कर्म का महत्व समझाने वाली कहानी

कुछ लोग जीवन में मेहनत करने के बजाय भाग्य या ईश्वर पर निर्भर रहते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि किसी भी कार्य में सफलता पाने या कठिनाइयों से बाहर निकलने के लिए खुद प्रयास करना आवश्यक है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कर्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस बात को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं।


बाढ़ के समय एक व्यक्ति का अडिग रहना

एक बार एक गांव में लाला प्रसाद नामक व्यक्ति निवास करता था। वह भगवान का अत्यंत भक्त था और दिन-रात पूजा करता था। उसे भगवान के आशीर्वाद पर पूरा विश्वास था। एक दिन गांव में बाढ़ आई, और लोग सुरक्षित स्थानों की ओर जाने लगे, लेकिन लाला प्रसाद वहीं रुका रहा।



उसने सोचा कि वह भगवान का भक्त है, इसलिए उसे कुछ नहीं होगा। जब बाढ़ का पानी बढ़ने लगा, तो कुछ लोगों ने उसे सुरक्षित स्थान पर चलने का आग्रह किया, लेकिन उसने कहा कि जब तक भगवान उसे नहीं बचाते, वह नहीं जाएगा।


बाढ़ का पानी और लाला का अडिग विश्वास

जल स्तर बढ़ने के साथ, लाला के घर में भी पानी भर गया। एक व्यक्ति नाव लेकर उसके पास आया और कहा कि वह नाव में बैठ जाए, नहीं तो वह डूब जाएगा। लेकिन लाला ने कहा, 'नहीं, तुम जाओ। भगवान मेरी मदद के लिए आएंगे।' यह सुनकर वह व्यक्ति नाव लेकर चला गया।



बाढ़ के साथ तूफान भी आया और लाला का घर पूरी तरह पानी में डूब गया। अचानक एक पेड़ का तना उसके पास आया, जिससे वह बच सकता था, लेकिन उसने उस पर भरोसा नहीं किया और भगवान का इंतजार करता रहा। अंततः, पानी में डूबने से उसकी मृत्यु हो गई।


स्वर्ग में भगवान से सवाल

मृत्यु के बाद लाला स्वर्ग गया और भगवान से नाराज होकर पूछा, 'हे भगवान, मैंने आपकी इतनी पूजा की, फिर भी आप मेरी जान नहीं बचाने आए। क्यों?' भगवान ने उत्तर दिया, 'मूर्ख, मैं कई बार तुम्हारी मदद के लिए आया। पहले नाव लेकर आया, लेकिन तुम नहीं गए। वह पेड़ का तना भी मैंने भेजा था, लेकिन तुमने उस पर भरोसा नहीं किया। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।'


कहानी से सीख

भगवान हमें जीवन में कई अवसर प्रदान करते हैं। यह हमारे ऊपर है कि हम उन अवसरों का सही उपयोग करें। जब तक आप खुद मेहनत नहीं करेंगे, तब तक भाग्य और भगवान भी आपकी मदद नहीं कर सकते।


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