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दक्षिण भारत में हिंदी भाषियों पर हमले का वीडियो वायरल, एनसीआईबी ने मांगी जानकारी

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हिंदी भाषियों के खिलाफ हिंसा का मामला

दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में हिंदी बोलने वालों के साथ हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस संदर्भ में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, जिसे राष्ट्रीय अपराध अन्वेषण ब्यूरो (NCIB) ने संज्ञान में लिया है। एनसीआईबी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस वीडियो को साझा करते हुए लोगों से अपील की है कि यदि किसी को इस हिंसक व्यक्ति के बारे में जानकारी हो, तो वह तुरंत सूचित करें।


वीडियो में दिख रही हिंसा

इस वीडियो में एक युवक ट्रेन के अंदर हिंदी बोलने के कारण दो अन्य युवकों पर हमला करते हुए दिखाई दे रहा है। वह उन युवकों के कॉलर पकड़कर उन्हें खींचता है और उन पर मुक्के बरसाता है। एनसीआईबी ने इस वीडियो के साथ लिखा है कि यह घटना दक्षिण भारत के किसी क्षेत्र की है, जहां एक व्यक्ति हिंदी बोलने के कारण उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट कर रहा है। उन्होंने इस युवक की पहचान के लिए वॉट्सऐप नंबर पर जानकारी मांगी है।


हिंदी विरोध की राजनीति का प्रभाव

तमिलनाडु में हिंदी विरोध की एक पुरानी परंपरा है, जहां द्रविड़ राजनीति करने वाली पार्टियां, विशेषकर सत्ताधारी डीएमके, हिंदी का विरोध करती हैं। इसका प्रभाव समाज के एक हिस्से में हिंदी भाषियों के प्रति नफरत की भावना को बढ़ा रहा है। हालांकि, दक्षिण के अन्य राज्यों में भी हिंदी विरोध की बातें होती हैं, लेकिन तमिलनाडु में यह अधिक स्पष्ट है। विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि दक्षिण भारत में हिंदी के प्रति नफरत नहीं है, बल्कि इसे राजनीतिक कारणों से पैदा किया जाता है।


राजनीतिक कारणों से उत्पन्न नफरत

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों में हिंदी के प्रति कोई वास्तविक नफरत नहीं है। आम लोगों से बातचीत करने पर यह स्पष्ट होता है कि वे अपनी भाषा बोलते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे हिंदी से नफरत करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग हिंदी के विरोध में हैं, उनके पीछे राजनीतिक लाभ की सोच है।


जानकारी साझा करने की अपील

यदि आपको वीडियो में दिख रहे युवक के बारे में कोई जानकारी है, तो कृपया एनसीआईबी के वॉट्सऐप नंबर पर सूचित करें ताकि उचित कार्रवाई की जा सके। इस युवक के खिलाफ कार्रवाई इसलिए आवश्यक है ताकि नफरत फैलाने वालों पर नियंत्रण पाया जा सके। नेताओं को भी अपनी विभाजनकारी राजनीति पर विचार करने की आवश्यकता है। समाज को इन सत्ताधारी नेताओं के बहकावे में नहीं आना चाहिए, तभी नफरत की भावना पर काबू पाया जा सकेगा।


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