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दिल्ली के जीबी रोड पर सेक्स वर्कर्स की दर्दनाक कहानियाँ

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जीबी रोड पर जीवन की सच्चाई

दिल्ली के जीबी रोड पर कई महिलाएं मानव तस्करी, अपहरण या अपने परिचितों के हाथों धोखे का शिकार होकर पहुंच गई हैं। गीतांजली बब्बर, जो कि कट कथा नामक एनजीओ की संस्थापक हैं, पिछले 15 वर्षों से इस क्षेत्र में समाज सेवा कर रही हैं। उनसे बातचीत के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।



गीतांजली ने बताया कि एक सेक्स वर्कर ने एक ही दिन में 70 ग्राहकों के साथ संबंध बनाए। यह जानकारी मेरे मन में गहराई से बैठ गई, और मैंने उसकी कहानी को लिखने का निर्णय लिया। यहां मैं आपको यह दर्दनाक अनुभव साझा कर रही हूं।


जीबी रोड पर 25 साल बिताने वाली एक सेक्स वर्कर यमुना (बदला हुआ नाम) से बातचीत का अवसर मिला। यमुना ने अपनी कहानी सुनाई, जिसने मुझे गहराई से प्रभावित किया। उसने बताया कि यहां महिलाओं को अक्सर नशे में रखा जाता है ताकि वे अधिक ग्राहकों को आकर्षित कर सकें। मैं अब यमुना की जुबानी उसकी कहानी साझा कर रही हूं...


यमुना की कहानी

नाम: यमुना (बदला हुआ नाम) उम्र: 35 साल काम: न पूछो तो बेहतर


22 साल पहले की बात...


वो रात बेहद काली थी। मैंने कई बार अपनी आंखें खोलीं और बंद कीं, लेकिन मैं सो नहीं रही थी। चारों ओर सन्नाटा था, और दीवारों में सीलन थी। जब मैंने झरोखे से बाहर झांका, तो देखा कि वहां 20-30 महिलाएं थीं, जो लगभग निर्वस्त्र थीं। कुछ के हाथ में शराब थी, तो कुछ धूम्रपान कर रही थीं। मैं घबरा गई और वहां से निकलने की कोशिश की।


मैंने मदद के लिए फिर से झरोखे की ओर देखा, तो एक अधेड़ महिला को 4-5 पुरुषों ने घेर रखा था। वे उसके साथ मजाक कर रहे थे। अचानक, वे मेरे झरोखे की ओर बढ़ने लगे। मैंने सोचा कि शायद वे मुझे बचा लेंगे। लेकिन जब मैंने देखा कि एक हाथ मेरे पैरों की ओर बढ़ रहा है, तो मेरी रीढ़ में सिहरन दौड़ गई।


वो हाथ फोन के साथ था, और जब रोशनी में मैंने देखा, तो पता चला कि मैं एक छोटे से कमरे में थी। वहां कोई दरवाजा नहीं था, बस एक पुरानी साड़ी का टुकड़ा लटका हुआ था। उस रात मैंने 70 बार दर्द सहा।


यमुना का वर्तमान

आज मैं 35 साल की हो गई हूं, लेकिन अंधेरा अब भी उतना ही काला है। मैंने 22 साल इस छोटे से कमरे में बिताए हैं। मुझे अपने अतीत के बारे में कुछ याद नहीं है, बस एक संख्या, '70'।


यमुना को उसके पिता ने कुछ हजार रुपयों के लिए बेच दिया था। जब वह अपने परिवार में लौटना चाहती थी, तो उसे 'गंदी औरत' कहकर बहिष्कृत कर दिया गया। यह दुखद है कि एक महिला को इतने दर्द से गुजरने के बाद भी समाज में स्वीकार नहीं किया जाता।


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