भारत में अनेक मंदिर हैं, जिनमें भगवान शिव के मंदिरों की संख्या सबसे अधिक है। इन मंदिरों में भक्तों की भीड़ हमेशा रहती है, क्योंकि शिवजी अपने भक्तों की प्रार्थनाओं का शीघ्र उत्तर देते हैं। वे भक्तों के दुखों को दूर करते हैं और उनकी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
जल चढ़ाने के नियम
भक्त शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं ताकि शिवजी प्रसन्न हों। लेकिन जल चढ़ाने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है जल चढ़ाने की दिशा। सही दिशा में जल चढ़ाने से ही भक्त को पूर्ण फल प्राप्त होता है।
जल चढ़ाने के लिए गलत दिशा

शास्त्रों के अनुसार, जल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि आपका मुंह उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में न हो। इन दिशाओं में जल चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि इससे आपकी भक्ति का फल अधूरा रह जाता है।
जल चढ़ाने के लिए सही दिशा
दक्षिण दिशा में मुंह करके जल चढ़ाना सबसे उत्तम माना जाता है। यदि आप हर सोमवार या प्रतिदिन इस दिशा में जल चढ़ाते हैं, तो शिवजी आपकी प्रार्थना जल्दी सुनते हैं। जल को इस प्रकार चढ़ाएं कि वह उत्तर दिशा में गिरे, जिससे आपकी इच्छाएं शिवजी तक जल्दी पहुंचें।
शिव परिक्रमा के नियम

जल अर्पित करने के बाद भक्त शिवलिंग की परिक्रमा करते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि पूरी परिक्रमा नहीं करनी है, केवल आधी करनी है। ऐसा करने का कारण यह है कि जल बहता हुआ बाहर जाता है, और इसे लांघना पाप माना जाता है।
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