अमेरिका के भारत पर लगाए गए भारी भरकम 50% के टैरिफ की खबर के बाद शेयर मार्केट में मंगलवार को तेज़ गिरावट हुई और निफ्टी 24800 के अपने सपोर्ट लेवल को ब्रेक करके 24700 के लेवल तक नीचे आ गया.
भारत पर लगाया गया 50% टैरिफ अधिक है, इससे मार्केट के सेंटीमेंट्स हिल गए. हालांकि कुछ मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि 50% टैरिफ बाज़ार के लिए नई खबर नहीं है. यह कोई सरप्राइस नहीं है, जिससे मार्केट में पैनिक क्रिएट हो.
शेयर मार्केट एक्सपर्ट सुनील सुब्रमण्यम ने कहा कि 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाने का अमेरिकी प्रशासन का कदम बाजारों के लिए बड़े झटके के रूप में नहीं आएगा, क्योंकि यह पहले ही बाज़ार की जानकारी में था. ईटी नाउ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हाई टैरिफ के इस फैसले का व्यापक रूप से अनुमान था और निवेशकों ने बड़े पैमाने पर इसे ध्यान में रखा.
सुब्रमण्यम ने कहा कि 50% टैरिफ लागू होने के बाद एफआईआई फ्लो कम होगा और घरेलू निवेशक आशाजनक क्षेत्रों की ओर रुख करेंगे, जिससे हालिया ऑर्डर साइनिंग पर मजबूत नेगेटिव रिस्पॉन्स के बिना बाजार में मजबूती आएगी.
उन्होंने कहा कि "भारत को एकमात्र उम्मीद यह थी कि अगर अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा मध्यस्थता किए गए रूस-यूक्रेन शांति समझौते में प्रगति होती तो 25% 'राजनीतिक टैरिफ' को हटाया जा सकता था, लेकिन लगाया गया पहला 25% हमेशा बना रहने वाला था. ट्रेड रिप्रेसेंटेटिव की यात्रा रद्द होने और दोनों पक्षों की बयानबाजी ने स्पष्ट कर दिया कि अब इस मुद्दे पर और बात नहीं होगी.
साफ है कि ट्रंप 50% टैरिफ पर अड़े हुए हैं और भारत और अमेरिका दोनों के लिए जल्द ही कोई समाधान निकलने की उम्मीद नहीं है.
एफआईआए फ्लो कम हो सकता हैसुब्रमण्यम ने कहा कि हाई वैल्यूएशन और ट्रेड रिलेशनशिप पर स्पष्टता की कमी के कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का निवेश धीमा रह सकता है, लेकिन घरेलू निवेशक बाजार को समर्थन देते रहेंगे. उन्होंने आगे कहा कि मुझे कोई खास नेगेटिव रिस्पॉन्स नहीं दिख रहा है. बाजार मजबूत होंगे और तेज गिरावट के बजाय विभिन्न क्षेत्रों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा.
सही सेक्टर चुनें, कैपिटल गुड्स, ऑटो हेल्थकेयर में मौकासुब्रमण्यम कैपिटल गुड्स सेक्टर को लेकर आशावादी हैं. उन्होंने कहा, "प्रायवेट कैपेक्स अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है, लेकिन सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे हैं. क्षमता उपयोग 80% को पार करने के अनुमान के साथ कैपिटल गुड्स, सीमेंट, इंडस्ट्री, निर्माण सामग्री, इस्पात और ईपीसी ठेकेदार मध्यम अवधि के निवेशकों के लिए आकर्षक दिख रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऑटो सेक्टर में विशेष रूप से दोपहिया वाहनों, एंट्री लेवल की कारों, ट्रैक्टरों और कम्र्शियल व्हीकल में मजबूत त्योहारी मांग देखने को मिल सकती है.
फार्मा मिलाजुला हाल बना हुआ है, जिसमें मजबूत घरेलू विकास है लेकिन ट्रम्प की भारी टैरिफ बढ़ोतरी की धमकियों का असर है. हेल्थकेयर निवेश का एक अच्छा ऑप्शन है.
भारत पर लगाया गया 50% टैरिफ अधिक है, इससे मार्केट के सेंटीमेंट्स हिल गए. हालांकि कुछ मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि 50% टैरिफ बाज़ार के लिए नई खबर नहीं है. यह कोई सरप्राइस नहीं है, जिससे मार्केट में पैनिक क्रिएट हो.
शेयर मार्केट एक्सपर्ट सुनील सुब्रमण्यम ने कहा कि 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाने का अमेरिकी प्रशासन का कदम बाजारों के लिए बड़े झटके के रूप में नहीं आएगा, क्योंकि यह पहले ही बाज़ार की जानकारी में था. ईटी नाउ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हाई टैरिफ के इस फैसले का व्यापक रूप से अनुमान था और निवेशकों ने बड़े पैमाने पर इसे ध्यान में रखा.
सुब्रमण्यम ने कहा कि 50% टैरिफ लागू होने के बाद एफआईआई फ्लो कम होगा और घरेलू निवेशक आशाजनक क्षेत्रों की ओर रुख करेंगे, जिससे हालिया ऑर्डर साइनिंग पर मजबूत नेगेटिव रिस्पॉन्स के बिना बाजार में मजबूती आएगी.
उन्होंने कहा कि "भारत को एकमात्र उम्मीद यह थी कि अगर अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा मध्यस्थता किए गए रूस-यूक्रेन शांति समझौते में प्रगति होती तो 25% 'राजनीतिक टैरिफ' को हटाया जा सकता था, लेकिन लगाया गया पहला 25% हमेशा बना रहने वाला था. ट्रेड रिप्रेसेंटेटिव की यात्रा रद्द होने और दोनों पक्षों की बयानबाजी ने स्पष्ट कर दिया कि अब इस मुद्दे पर और बात नहीं होगी.
साफ है कि ट्रंप 50% टैरिफ पर अड़े हुए हैं और भारत और अमेरिका दोनों के लिए जल्द ही कोई समाधान निकलने की उम्मीद नहीं है.
एफआईआए फ्लो कम हो सकता हैसुब्रमण्यम ने कहा कि हाई वैल्यूएशन और ट्रेड रिलेशनशिप पर स्पष्टता की कमी के कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का निवेश धीमा रह सकता है, लेकिन घरेलू निवेशक बाजार को समर्थन देते रहेंगे. उन्होंने आगे कहा कि मुझे कोई खास नेगेटिव रिस्पॉन्स नहीं दिख रहा है. बाजार मजबूत होंगे और तेज गिरावट के बजाय विभिन्न क्षेत्रों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा.
सही सेक्टर चुनें, कैपिटल गुड्स, ऑटो हेल्थकेयर में मौकासुब्रमण्यम कैपिटल गुड्स सेक्टर को लेकर आशावादी हैं. उन्होंने कहा, "प्रायवेट कैपेक्स अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है, लेकिन सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे हैं. क्षमता उपयोग 80% को पार करने के अनुमान के साथ कैपिटल गुड्स, सीमेंट, इंडस्ट्री, निर्माण सामग्री, इस्पात और ईपीसी ठेकेदार मध्यम अवधि के निवेशकों के लिए आकर्षक दिख रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऑटो सेक्टर में विशेष रूप से दोपहिया वाहनों, एंट्री लेवल की कारों, ट्रैक्टरों और कम्र्शियल व्हीकल में मजबूत त्योहारी मांग देखने को मिल सकती है.
फार्मा मिलाजुला हाल बना हुआ है, जिसमें मजबूत घरेलू विकास है लेकिन ट्रम्प की भारी टैरिफ बढ़ोतरी की धमकियों का असर है. हेल्थकेयर निवेश का एक अच्छा ऑप्शन है.
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