भारतीय रुपया 26 मई 2025 को दो सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.0850 पर बंद हुआ। वैश्विक मुद्रा बाजार में डॉलर सूचकांक एक महीने के निचले स्तर 98.8 पर रहा। इस बीच, चीनी युआन ने दिन में सात महीने का उच्च स्तर छुआ, लेकिन डॉलर सूचकांक में सुधार के कारण क्षेत्रीय मुद्राओं पर दबाव बढ़ा। रुपये में आई इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं, जिनमें भारत का दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना भी शामिल हैं। ट्रंप की नीतियों से प्रभावित डॉलर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीति में बदलाव, उनके द्वारा प्रस्तावित टैरिफ़ की नीतियां और कर कटौती विधेयक ने अमेरिकी परिसंपत्तियों और डॉलर के प्रति रुचि को और अधिक प्रभावित किया है। डॉलर में आई कमजोरी प्रेसिडेंट ट्रम्प द्वारा यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते के लिए 9 जुलाई की समय सीमा और 1 जून से 50% टैरिफ की धमकी के बाद आई। जिसके कारण वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता की स्थिति बानी हुई है। चीनी युआन का प्रभावचीनी युआन ने दिन में सात महीने का उच्च स्तर छुआ, जिसने एशियाई मुद्राओं को समर्थन दिया। हालांकि, बाद में डॉलर सूचकांक के असर के कारण युआन पर दबाव बढ़ा। जेफरीज में विदेशी मुद्रा विनिमय के वैश्विक प्रमुख ब्रैड बेचटेल का कहना है कि यदि चीनी युवान तेजी से ऊपर जाता है तो इससे डॉलर को भारी नुकसान हो सकता है। रुपये में मजबूती के पीछे के कारणडॉलर के मुकाबले रुपये में आ रही मजबूती के पीछे के कई कारण हैं। इसमें भारत की अर्थव्यवस्था का मजबूत होना के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा सरकार को डिवीडेंट की घोषणा करना भी शामिल हैं। इसके साथ ही विदेशी निवेशकों की बढ़ती रूचि भी रुपये में मजबूती के पीछे का एक कारण है। आरबीआई ने विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रुपये को अत्यधिक अस्थिरता से बचाया। रुपये में मजबूती का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभावरुपया मजबूत होने से आयात अलगत में कमी की सम्भावना जताई जा रही है। रुपये की मजबूती से कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अन्य आयातित वस्तुओं की लागत कम हो सकती है। इसके अलावा निर्यात महंगा हो सकता है। आयातित सामानों की कीमतों में कमी से आम उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन क्षेत्र में आम आदमी को राहत मिल सकती है। 26 मई 2025 को भारतीय रुपये की मामूली मजबूती वैश्विक मुद्रा बाजार में सकारात्मक संकेत दे रही है। डॉलर सूचकांक की कमजोरी और चीनी युआन की अस्थिरता के बीच RBI की नीतियां रुपये को स्थिरता प्रदान कर रही हैं। लेकिन वैश्विक व्यापार युद्ध और टैरिफ नीतियों के कारण भविष्य में अस्थिरता की आशंका बनी हुई है।
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