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जवाहर सरकार टीएमसी के राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफ़ा देने के बाद क्या इसे वापस लेंगे?

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ANI जवाहर सरकार को अभी भी मनाने की कोशिश हो रही है

पूर्व आईएएस अधिकारी जवाहर सरकार ने 8 सितंबर को टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफ़े की पेशकश की थी.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "मैं एक सांसद के तौर पर इस्तीफ़ा दे रहा हूं क्योंकि आरजी कर हॉस्पिटल रेप-मर्डर मामले के बाद जन आंदोलन को पश्चिम बंगाल सरकार ने ग़लत तरीके़ से संभाला."

इसके बाद ख़बरें आईं कि ममता बनर्जी ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया और उन्हें इस पर पुनर्विचार करने को कहा है.

उन्हें अभी भी मनाने की कोशिश हो रही है लेकिन बीबीसी से एक बातचीत में उन्होंंने कहा कि वो इस्तीफ़ा वापस नहीं लेंगे.

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बीबीसी ने जवाहर सरकार से पूछा कि अपने इस्तीफे़ में उन्होंने 2022 में करप्शन का सवाल उठाया था. इसके बाद भी वो ममता के साथ बने रहे आख़िर क्या कारण थे?

इस पर जवाहर सरकार ने कहा कि 2022 से पहले 'कट मनी' को लेकर क़दम उठाए गए थे और उन्हें लगा कि ममता इसे और आगे लेकर जाएंगी.

'आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले में शुरू से आवाज़ उठाई' image Getty Images जवाहर सरकार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को रोकना था इसलिए तृणमूल का साथ दिया था (फ़ाइल फ़ोटो)

उन्होंने कहा, ''उस समय अगर मैं करप्शन पर सवाल उठाता तो लोग मुझसे पूछते कि आप मुझे हिन्दुस्तान और इसके बाहर कोई ऐसी पार्टी बताएं जिसमें करप्शन न हो. इसलिए दो साल तक मैं चुप रहा. पार्टी का काम करता रहा. मुझे लगा कि ऐसी शायद ही कोई पार्टी हो जो भ्रष्टाचार से मुक्त है.''

जवाहर सरकार से पूछा गया कि 2022 से पहले भी तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगे थे, इसके बावजूद वो उसमें क्यों गए.

इस पर उन्होंने कहा, ''मैं तृणमूल कांग्रेस का सदस्य नहीं हूं. मैंने तृणमूल का साथ दिया. अगर बंगाल में बीजेपी को रोकना है तो यहां कौन सी ताक़त है. माकपा ने 34 साल शासन किया और वो ख़त्म हो गई. कांग्रेस भी यहां ख़त्म हो चुकी है. उसका एक भी विधायक नहीं है. फिर बचा कौन. तृणमूल कांग्रेस. बीजेपी को रोकने के लिए उसका साथ देना ज़रूरी था.''

बीबीसी ने उनसे पूछा कि छह सितंबर तक सब ठीक था और अचानक आपने इस्तीफ़े का एलान कर दिया.

इस सवाल के जवाब में जवाहर सरकार ने कहा, ''मैंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के मामले में शुरू से ही लिखा कि इस पर कड़ी कार्रवाई करें. इस पर पार्टी के सीनियर लीडरों ने कहा कि इतना गुस्सा क्यों कर रहे हैं. पब्लिक में क्यों जा रहे हैं. फिर मैंने निजी तौर पर बात करने की कोशिश की. मैंने एक काग़ज़ दिया और उसमें लिखे नामों से इस्तीफ़ा लेने को कहा. लेकिन कुछ नहीं हुआ. मैंने एक महीने तक इंतज़ार किया. फिर मैंने 30वें दिन इस्तीफ़ा दे दिया.''

'राजनीति छोड़ दी लेकिन लोगों के संघर्ष में साथ हूं' image Getty Images कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के मर्डर और रेप के ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर उतरे हैं

बीबीसी ने उनसे पूछा कि इस फ़ैसले के बाद तृणमूल कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र के बारे में क्या राय बनाई जाए.

इस पर जवाहर सरकार ने कहा, ''सभी पार्टियों में एक जैसी हालत है. सभी दलों में कोई भी फ़ैसला लेने में देरी लगाते हैं. पार्टी नेतृत्व ने मेरी बात सुनी. कुछ फ़ैसले लिए लेकिन बहुत कम और बहुत देरी से.''

जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर की बात पर ममता बनर्जी से इस्तीफ़ा देने की मांग सुनते हैं तो आपका जवाब क्या होता है?

जवाहर सरकार ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, ''मैंने ममता बनर्जी को हटाने के लिए राजनीति नहीं की. मैं सुधार चाहता हूं. आरजी कर मेडिकल अस्पताल मामले में जिन डॉक्टरों और प्रशासनिक कर्मचारियों ने ग़लती की उनको सज़ा मिलनी चाहिए. ऐसे सभी लोगों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए."

"कहते हैं कि लोगों के दिल और विश्वास को झटका लगता तो विश्वास बहाली मुश्किल होती है. तृणमूल का ये कहना है कि ये राजनीतिक लड़ाई है हम जीतेंगे, ठीक नहीं है. मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को सामने आकर कार्रवाई करनी चाहिए. लेकिन सिर्फ़ राजनीतिक लड़ाई का दम भरना ठीक नहीं है. इन चीज़ों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए मैंने इस्तीफ़ा दिया.’’

जिस तरह से लोगों ने इस घटना का विरोध किया और तृणमूल कांग्रेस को निशाना बनाया है उसमें आप पश्चिम बंगाल में पार्टी का क्या भविष्य देखते हैं?

इस सवाल पर उन्होंने कहा, ''अगर टीएमसी जाती है तो बीजेपी आएगी. मैंने डेढ़ साल पहले कहा था कि तृणमूल कांग्रेस में सुधार किया जाए. ये सिर्फ बीजेपी की बात नहीं थी. ये विचारधारा की बात थी. बीजेपी को किसी भी हालत में रोकना ही है.''

बीबीसी ने उनसे पूछा कि उनके इस्तीफे़ का बीजेपी इस्तेमाल कर रही है.

जवाहर सरकार ने इस सवाल पर कहा कि उन्होंने सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार के आरोप बीजेपी पर ही लगाए हैं. उन्होंने कहा कि वो किसी पार्टी में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने राजनीति छोड़ दी है.

इससे पहले भी जवाहर सरकार ने इस्तीफे़ के तुरंत बाद ही कह दिया था कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का भी फ़ैसला लिया है. उन्होंने कहा था, "न्याय के लिए मैं लोगों के संघर्ष में उनके साथ हूं. मूल्यों के प्रति मेरी प्रतिबद्धता हमेशा होगी."

इस्तीफे़ की पेशकश वाले पत्र में ममता, पार्टी और सरकार पर कई सवाल image ANI राज्यसभा में बहस करते जवाहर सरकार (फ़ाइल फ़ोटो)

जवाहर सरकार ने इस्तीफ़े की पेशकश वाले पत्र में ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल सरकार और टीएमसी को लेकर कई आरोप लगाए.

जवाहर सरकार ने ममता बनर्जी को पत्र में लिखा, "मैं मोदी सरकार की तानाशाही, विभाजनकारी, भेदभावपूर्ण और संघीय विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ लड़ा. लेकिन 2022 में पूर्व शिक्षा मंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के सुबूत टीवी और प्रिंट मीडिया में देखकर हैरान था."

"मैंने एक सार्वजनिक बयान दिया कि पार्टी और सरकार को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ क़दम उठाना चाहिए, लेकिन मुझे सीनियर लीडर ने टोका."

उन्होंने लिखा, "मैंने उस समय इस्तीफ़ा नहीं दिया क्योंकि मुझे उम्मीद थी कि आप 'कट मनी' और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अपने अभियान को आगे चलाएंगी, जिसे आपने एक साल पहले शुरू किया था."

जवाहर सरकार ने आगे लिखा, "मैंने संसद में अपना काम जारी रखा, लेकिन कुछ समय बाद मेरा मोहभंग हो गया क्योंकि राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार और नेताओं के एक वर्ग की बढ़ती सशक्त रणनीति को लेकर कोई क़दम नहीं उठाए."

उन्होंने लिखा, "एक आईएएस के तौर पर 41 साल नौकरी करने के बाद मेरे पास ज़्यादा कुछ नहीं था. लेकिन मैं ये देखकर हैरान था कि कुछ निर्वाचित पंचायत और नगर निकाय नेताओं के पास महंगी गाड़ियां और बड़ी प्रॉपर्टीज़ थीं. इस सब चीज़ों ने न सिर्फ़ मुझे चोट पहुंचाई बल्कि बंगाल के लोगों को भी आहत किया."

आरजी कर रेप-मर्डर मामले को लेकर जवाहर सरकार ने लिखा, ''वर्तमान में जो जनता का गुस्सा निकल कर आया है वह भ्रष्टाचारी और कुछ लोगों का पक्ष लेने के रवैये के चलते निकला है. पिछले कुछ सालों में मैंने सरकार के ख़िलाफ़ ऐसा अविश्वास नहीं देखा."

"आरजी कर अस्पताल की घटना के मामले में मैं पिछले एक महीने से उम्मीद कर रहा था कि आप अपने (ममता बनर्जी) पुराने स्टाइल की तरह ही इस मामले में सीधा हस्तक्षेप करेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब जो भी क़दम सरकार उठा रही है उसमें बहुत देरी हो चुकी है और वो पर्याप्त भी नहीं हैं."

उन्होंने लिखा, "मुझे लगता है कि इस घटना के बाद जिन प्रशासनिक अधिकारियों ने ग़लत क़दम उठाए उनके ख़िलाफ़ कड़े क़दम उठाते हुए तुरंत सज़ा दी जाती तो हालात सामान्य होते."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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