विपक्षी राजनीतिक दलों और कई मुस्लिम संगठनों के विरोध के बीच वक़्फ़ संशोधन विधेयक अब क़ानून की शक्ल ले चुका है. राष्ट्रपति ने इस विधेयक पर मंज़ूरी दे दी है.
इस बीच भारत के दो पड़ोसी मुल्क़ों यानी पाकिस्तान और बांग्लादेश में वक़्फ़ क़ानून में संशोधन पर विरोध की आवाज़ें उठ रही हैं.
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी, बांग्लादेश इस्लामी छात्रशिबिर ने बयान जारी कर इस विधेयक के पास होने की निंदा की है.
वहीं पाकिस्तानी मीडिया ने इसे मुसलमान समुदाय के ख़िलाफ़ बताया है.
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के जनरल सेक्रेटरी और भूतपूर्व सांसद प्रोफ़ेसर मिया गोलम पोरवार ने पांच अप्रैल को एक बयान जारी किया.
उन्होंने भारत में वक़्फ़ संशोधन विधेयक को विवादित बताते हुए इसके पारित होने को लेकर चिंता जताई और इसे मोदी सरकार का मुस्लिम विरोधी कदम बताया.
प्रोफ़ेसर पोरवार ने कहा, "भारत में पास किए गए वक़्फ़ संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ हम प्रदर्शन करेंगे. हमें इसकी चिंता है. हम इसकी निंदा करते हैं. बीजेपी की सरकार लगातार मुस्लिम विरोधी फ़ैसले ले रही है."
"तीन फ़रवरी को भारत की लोकसभा में विवादित वक़्फ़ संशोधन विधेयक पास हुआ. यह इस बात का एक और उदाहरण है कि बीजेपी सरकार मुस्लिम समुदाय के अधिकारों, उनकी धार्मिक आज़ादी और स्वामित्व को कमज़ोर करने का प्रयास कर रही है."
उन्होंने कहा, "इस क़ानून के ज़रिए सरकार ने मुस्लिमों की धार्मिक संपत्तियों जैसे- मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तान, आश्रयस्थलों और उससे जुड़े मामलों में दख़ल देने के दरवाज़े खोल दिए हैं."
ने भी वक़्फ़ संशोधन विधेयक के पास होने की कड़ी निंदा की. उन्होंने मोदी सरकार के इस फ़ैसले को मुस्लिम विरोधी बताया.
इस मामले में चार अप्रैल को बांग्लादेश इस्लामी छात्रशिबिर के सेंट्रल प्रेसिडेंट जाहिदुल इस्लाम और सेक्रेटरी जनरल नुरुल इस्लाम सद्दाम ने एक संयुक्त बयान जारी किया.
उन्होंने कहा, "विवादित वक़्फ़ संशोधन विधेयक तीन अप्रैल को भारत की लोकसभा में पास किया गया. यह एक और उदाहरण है, जिसमें बीजेपी सरकार सुनियोजित ढंग से मुस्लिमों की धार्मिक आज़ादी, स्वामित्व और अधिकारों को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है."
"इस क़ानून के ज़रिए सरकार ने मुस्लिमों की धार्मिक संपत्तियों जैसे-मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तान, आश्रयस्थलों और उससे जुड़े मामलों में हस्तक्षेप करने के रास्ते खोल दिए हैं."
"इस विधेयक के अनुसार, वक़्फ़ बोर्ड और सेंट्रल वक़्फ़ काउंसिल में दो ग़ैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य कर दिया गया है, जो वक़्फ़ की धार्मिक पवित्रता पर सीधा हमला है."
इस बीच, की ढाका मेट्रोपॉलिटन ईकाई ने शनिवार को शाहबाग में वक़्फ़ संशोधन विधेयक के पास होने के ख़िलाफ़ मानव शृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया.
इसमें सेंट्रल पब्लिसिटी सेक्रेटरी अज़ीज़ुर रहमान आज़ाद बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस प्रदर्शन में ढाका के कई विश्वविद्यालयों में मौजूद ईकाइयों के अध्यक्ष भी शामिल हुए.
ने एक लेख में लिखा कि मोदी सरकार ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए नया विधेयक पास किया है.
इस बार सरकार की नज़रें मुस्लिम वक़्फ़ बोर्ड्स के पारंपरिक स्वामित्व और प्रबंध वाली ज़मीन पर है.
वैसे इस विधेयक को पास किए जाने का मक़सद वक़्फ़ की संपत्तियों में प्रशासन और प्रबंधन की दक्षता को बढ़ाना बताया गया है. जबकि, विपक्ष का कहना है कि यह ज़मीन हड़पने का तरीका है.
लेख के अनुसार, मोदी सरकार शुरुआत से ही भारत में अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है. इनमें सबसे बड़ा समुदाय मुस्लिम है.
अखबार ने लिखा है कि सिख, ईसाई और दलितों के मामले में ये पक्षपात एक जैसा लगता है, लेकिन मुसलमानों को निशाना बनाने के मामले में यह ज़्यादा रणनीतिक नज़र आ रहा है. ऐसा लगता है कि सरकार खुद सीधे तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाने में शामिल हो गई है.
, "भारतीय संसद ने हाल ही में एक बिल पास किया है. यह वक़्फ़ के प्रशासन से जुड़ा है. इस बिल के पास होने से अब वक़्फ़ के प्रशासन में बदलाव आएगा और उनकी शक्तियों में कमी आएगी. इससे मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के समर्थकों में गहरी चिंता पैदा हो गई है."
जबकि इस विधेयक का उद्देश्य वक़्फ़ गतिविधियों को और भी ज़्यादा पारदर्शी और बोर्ड्स को ज़्यादा ज़िम्मेदार बनाना बताया गया है.
अख़बार लिखता है, "प्रशासनिक भूमिकाओं में ग़ैर-मुस्लिमों को शामिल करना, वक़्फ़ के प्रबंधन में सुधार लाने के बारे में कम, और मुस्लिम समुदाय के हितों की स्वायत्तता को कमज़ोर करने के बारे में ज़्यादा दिखता है."
पाकिस्तान की एआरवाई न्यूज़ पर प्रसारित एक शो में पाकिस्तानी विश्लेषक ने भी वक़्फ़ संशोधन विधेयक के पास होने को लेकर अपनी बात कही.
उन्होंने कहा, "यह सेक्युलरिज़म तो नहीं है, यह हिंदू मैजोरिटिज़म है. यह पहला क़ानून नहीं है. आप थोड़ा पीछे जाएं, तो देखेंगे कि इन्होंने ट्रिपल तलाक़ को क्रिमिनलाइज़ किया था, जिससे मुसलमान नाराज़ हुए थे."
"इसी तरह यूपी में लव जिहाद का मामला उठा, फिर कर्नाटक में हिजाब बैन का मुद्दा उठा. मैं आपको ऐसी बहुत सारी मिसालें दे सकता हूं."
डॉक्टर चीमा ने कहा, "अब वो समझते हैं कि दरगाह और मस्जिद दो ऐसी जगहें हैं, जहां मुसलमानों का बहुत ज़्यादा कंट्रोल है, तो उस कंट्रोल को कम किया जाए."
"वो नाम यह दे रहे हैं कि हम डिजिटलाइज़ कर रहे हैं. हम आपको सेफ कर रहे हैं, लेकिन यह हिंदू मैजोरिटेरियन सोच है."
उन्होंने कहा, "नरेंद्र मोदी अपनी राजनीति में मुसलमानों को साइडलाइन कर रहे हैं. वो नया इतिहास लिख रहे हैं. दरअसल, उनकी कोशिश भारत के ऊपर हिंदू छाप लगाने की है."
वहीं बांग्लादेश के यूट्यूबर सुमोन कै़स ने पर वीडियो पोस्ट किया. इसके साथ में एक कैप्शन लिखा.
इसमें कहा गया, "भारत का वक़्फ़ संशोधन विधेयक एक सुधार नहीं है, बल्कि यह मुस्लिमों की संपत्तियों का नियंत्रण किसी और को सौंपने के लिए किया जा रहा प्रयास है."
"जो अब से पहले तक ये संपत्तियां मुस्लिम समुदाय के नियंत्रण में थी. अब मुस्लिम अपना नियंत्रण खो चुके हैं और अन्य समुदाय जैसे- हिंदू भी मुस्लिम संपत्तियों पर नियंत्रण कर सकते हैं."
"यह प्रतिक्रिया देने का समय है. यह केवल भारत के मुस्लिमों की ज़िम्मेदारी नहीं है. यह सभी मुस्लिमों की ज़िम्मेदारी है."
वक़्फ़ कोई भी चल या अचल संपत्ति होती है, जिसे कोई भी व्यक्ति जो इस्लाम को मानता है, अल्लाह के नाम पर या धार्मिक मक़सद या परोपकार के मक़सद से दान करता है.
ये संपत्ति भलाई के मक़सद से समाज के लिए हो जाती है और अल्लाह के सिवा कोई उसका मालिक नहीं होता और ना हो सकता है.
वक़्फ़ वेलफ़ेयर फ़ोरम के चेयरमैन जावेद अहमद कहते हैं, "वक़्फ़ एक अरबी शब्द है जिसके मायने होते हैं ठहरना. जब कोई संपत्ति अल्लाह के नाम से वक़्फ़ कर दी जाती है तो वो हमेशा-हमेशा के लिए अल्लाह के नाम पर हो जाती है. फिर उसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता है."
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी जनवरी 1998 में दिए अपने एक फ़ैसले में कहा था कि 'एक बार जो संपत्ति वक़्फ़ हो जाती है वो हमेशा वक़्फ़ ही रहती है.'
की ख़रीद फ़रोख़्त नहीं की जा सकती है और ना ही इन्हें किसी को हस्तांतरित किया जा सकता है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की तरफ़ से जारी आंकड़ों के मुताबिक़, वक़्फ़ बोर्ड के पास अभी पूरे भारत में लगभग 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जो करीब 9.4 लाख एकड़ ज़मीन में फैली हुई हैं.
इनकी कुल कीमत लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये बताई जाती है.
दुनिया में भारत के पास सबसे ज़्यादा वक़्फ़ संपत्तियां हैं. भारत में सेना और रेलवे के बाद सबसे ज़्यादा ज़मीन वक़्फ़ बोर्ड के पास ही है.
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