'ऑपरेशन सिंदूर' और 'सीमापार आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की निरंतर लड़ाई के संदर्भ में' संसदीय कार्य मामलों के मंत्रालय ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की घोषणा की है.
इस प्रतिनिधिमंडल का मक़सद भारत के प्रमुख साझेदार देशों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों का दौरा करना है जहां वो चरमपंथ को लेकर भारत का रुख़ स्पष्ट करेंगे.
सात प्रतिनिधिमंडलों में एक की अगुवाई कांग्रेस सांसद शशि थरूर करेंगे और इसे लेकर विवाद पैदा हो गया है.
तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक प्रतिनिधिमंडल का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कांग्रेस ने कहा है कि उसने शशि थरूर का नाम मंत्रालय को दिया ही नहीं था.
वहीं बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी से सवाल किया है कि उन्होंने शशि थरूर जैसे 'वाकपटुता' वाले शख़्स का नाम क्यों नहीं दिया.
क्या है पूरा मामलाभारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष और फिर सीज़फ़ायर के बाद ऐसी ख़बरें सामने आई थीं कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ ज़ीरो-टॉलरेंस को लेकर भारत सरकार की नीति को विदेश में ले जाने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गठित किया जा सकता है.
इसके बाद ऐसी भी रिपोर्ट आई कि एक प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर सकते हैं.
शनिवार की सुबह इस प्रतिनिधिमंडल के नामों की उस समय पुष्टि हो गई जब की ओर से एक प्रेस रिलीज़ जारी कर इसकी जानकारी दी गई.
बयान के अनुसार, "ऑपरेशन सिंदूर और सीमापार आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की निरंतर लड़ाई के संदर्भ में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया गया है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों समेत भारत के सहयोगी देशों का का दौरा करेगा."
पीआईबी के मुताबिक़, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भारत की राष्ट्रीय एकजुटता और आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपने ज़ीरो टॉलरेंस के रुख़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सामने रखेगा.
पीआईबी के मुताबिक़, सात प्रतिनिधि मंडलों के अध्यक्षों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर, भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा सांसद रविशंकर प्रसाद, जनता दल यूनाइटेड के संजय कुमार झा, बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा, डीएमके पार्टी से कनिमोझी करुणानिधि, एनसीपी (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले और शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रीकांत शिंदे का नाम शामिल है.
इस ख़बर के सामने आने के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पर एक पोस्ट किया. इसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से प्रतिनिधिमंडल समूह के लिए दिए गए नामों में शशि थरूर का नाम नहीं था.
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, "कल सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात की और पाकिस्तान से आतंकवाद पर भारत का रुख़ स्पष्ट करने के लिए विदेश भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों के लिए 4 सांसदों के नाम देने को कहा."
जयराम रमेश के मुताबिक़, शुक्रवार को दोपहर तक चार नाम दिए गए. जिनमें आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार के नाम थे.
वहीं शशि थरूर ने अपना नाम लिस्ट में होने पर एक्स पर लिखा, "हाल की घटना पर अपने देश का नज़रिया रखने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं."
उन्होंने कहा, "जब बात राष्ट्रीय हित की हो और मेरी सेवाओं की ज़रूरत हो, तो मैं कभी पीछे नहीं हटूंगा."

जयराम रमेश के इस पोस्ट के बाद बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पर पोस्ट करके कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पर निशाना साधा.
उन्होंने लिखा, "शशि थरूर की वाकपटुता, संयुक्त राष्ट्र में काम करने के उनके लंबे अनुभव और विदेश मामलों में उनके गहरे ज्ञान को कोई ख़ारिज नहीं कर सकता है."
"तो फिर कांग्रेस पार्टी और विशेषकर राहुल गांधी ने प्रमुख मुद्दों पर भारत की स्थिति स्पष्ट करने के लिए विदेश भेजे जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में उन्हें नामित क्यों नहीं किया?"
इसके बाद अमित मालवीय ने सवाल किया कि "क्या ये असुरक्षा है? जलन है? या फिर यह सिर्फ़ उन लोगों के प्रति असहनशीलता है जो 'हाईकमान' से बेहतर हैं?"
वहीं बीजेपी नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पर बिना कांग्रेस नेता गौरव गोगोई पर नाम लिए उन पर निशाना साधा.
उन्होंने जयराम रमेश की पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा, "इस लिस्ट में (असम से) उस सांसद का नाम शामिल है जिन्होंने पाकिस्तान में लंबे समय तक कथित तौर पर दो हफ़्तों तक रहने को ख़ारिज नहीं किया है."
"राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में और पार्टी पॉलिटिक्स को अलग रखते हुए मैं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से निवेदन करता हूं कि वो इन शख़्स को संवेदनशील और रणनीतिक कामों में शामिल करें."
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