
कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी पर विवादित टिप्पणी करने वाले मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. विजय शाह उन पर मुक़दमा दर्ज करने से जुड़े हाई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सर्वोच्च अदालत पहुंचे थे.
विजय शाह मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री हैं.
कर्नल सोफ़िया के बारे में उनकी टिप्पणी पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 14 मई को स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के ऑफ़िस ने बुधवार की देर रात जानकारी दी थी कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीएम ने कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. हालांकि, विवाद बढ़ने पर विजय शाह ने माफ़ी मांग ली है.
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उन्होंने कहा, "हाल ही में मेरे दिए गए बयान से, जो हर समाज की भावनाएँ आहत हुई हैं, उसके लिए मैं दिल से न केवल शर्मिंदा हूँ, दुखी हूँ, बल्कि माफ़ी चाहता हूँ."
विजय शाह ने सोफ़िया क़ुरैशी को देश की बहन बताते हुए कहा, "उन्होंने राष्ट्र धर्म निभाते हुए जाति और समाज से ऊपर उठकर काम किया है. वह हमारी सगी बहन से भी अधिक सम्मानित हैं."
उन्होंने कहा, "आज मैं खुद शर्मिंदा हूं. पूरे समाज से और समुदाय से माफ़ी मांगता हूं. बहन सोफ़िया और देश की सम्माननीय सेना का हमेशा सम्मान करता हूं और आज हाथ जोड़ कर सबसे मैं दिल से माफ़ी चाहता हूं."
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ दायर एफ़आईआर को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस पर भी सख़्ती दिखाई और कहा कि एफ़आईआर में उनके भाषण के आपत्तिजनक हिस्सों को लेकर जो धाराएं दर्ज होनी चाहिए थीं, वो नहीं की गई हैं. अदालत ने कहा कि पुलिस जांच की निगरानी अदालत खुद करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभालने वाले जस्टिस बीआर गवई की पीठ के सामने गुरुवार को यह मामला पेश हुआ, जिसमें एफ़आईआर पर रोक लगाने की मांग की गई.
सीजेआई बीआर गवई ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, "आप किस तरह का बयान दे रहे हैं? संवैधानिक पद संभालने वाले व्यक्ति से एक निश्चित स्तर की मर्यादा की अपेक्षा की जाती है. जब देश इतनी गंभीर स्थिति से गुज़र रहा है तब हर शब्द ज़िम्मेदारी के साथ बोला जाना चाहिए."
विजय शाह के वकील ने दलील देते हुए कहा, "एफ़आईआर पर रोक लगाई जानी चाहिए. हाई कोर्ट ने अपने अधिकारक्षेत्र से आगे बढ़कर काम किया है. जब तक मुझे सुना नहीं जाता, तब तक कोई भी अगली कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए."
इस पर सीजेआई ने उन्हें हाई कोर्ट में जाने को कहा, हालांकि बाद में शुक्रवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गए.
बीजेपी नेता और मंत्री विजय शाह बीते रविवार को इंदौर जिले के महू के रायकुंडा गांव में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
उनके इस संबोधन का एक वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
जिसमें उन्होंने भारतीय सेना की पहली महिला इंफेंट्री अधिकारी, कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी, को "आतंकवादियों की बहन" बताया.
वीडियो के वायरल होने के बाद न सिर्फ़ मध्य प्रदेश, बल्कि देशभर में शाह के ख़िलाफ़ लोगों ने विरोध व्यक्त किया है.
विपक्षी कांग्रेस ने उनके बयान को अस्वीकार्य और भड़काऊ बताते हुए बीजेपी से विजय शाह को बाहर का रास्ता दिखाए जाने की मांग की है.
कांग्रेस नेता , "सरकार तत्काल मंत्री विजय शाह के ख़िलाफ़ एफ़आईआर कर उन्हें पार्टी से बाहर करे. प्रथम दृष्टया में माननीय उच्च न्यायालय ने मंत्री विजय शाह के भारतीय सेना और राष्ट्रधर्म निभाने वाली भारतीय बेटी कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी जी को लेकर दिए गए बयान को सेना के अपमान, उसकी अस्मिता और मनोबल को गिराने वाला माना है."
कौन हैं विजय शाहविजय शाह का पूरा नाम कुंवर विजय शाह है. वह आठ बार के विधायक हैं. पहली बार 1990 में वह बीजेपी के टिकट से चुनाव जीते. मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले की हरसूद विधानसभा क्षेत्र में उनका राजनीतिक दबदबा रहा है. ये गोंड आदिवासी बहुल इलाक़ा है.
उन्होंने यहां से 1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2018 और 2023 में चुनाव जीता.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तीसरे मंत्रिमंडल में वह शिक्षा मंत्री और चौथे मंत्रिमंडल में वन मंत्री थे.
राजनीतिक मामलों पर रिपोर्टिंग करने वाले भोपाल वरिष्ठ पत्रकार सचिन श्रीवास्तव बताते हैं कि विजय शाह मकड़ाई रियासत के गोंड राज परिवार से आते हैं और खुद आदिवासी हैं.
मध्य प्रदेश की राजनीति की जानकारी रखने वाले पत्रकारों का कहना है कि विजय शाह को राजनीति विरासत में मिली है. उनके भाई संजय शाह टिमरीन के विधायक थे.
ऐसा पहली बार नहीं है कि विजय शाह ने महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है.
भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, "विजय शाह की इस तरह की तमाम टिप्पणियां हैं. और पहले भी ऐसी टिप्पणी कर चुके हैं."
उन्होंने बताया कि साल 2013 में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने झाबुआ में एक सरकारी कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर द्विअर्थी टिप्पणी की थी.
इस टिप्पणी से शिवराज सिंह इतने नाराज़ हुए कि विजय शाह को इस्तीफ़ा देना पड़ा.
लेकिन इस्तीफ़ा देने के चार महीने बाद दोबारा उन्हें शिवराज सिंह की कैबिनेट में शामिल कर लिया गया.
वरिष्ठ पत्रकार सचिन श्रीवास्तव का कहना है कि महिलाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी करने के और भी मामले हैं.
सचिन श्रीवास्तव ने बीबीसी को बताया, "एक बार आदिवासी छात्राओं के हॉस्टल के दौरे के वक़्त उन्होंने कहा था कि इन्हें दो-दो टीशर्ट दी जानी चाहिए. उनकी इस अमर्यादित टिप्पणी के लिए तब भी बहुत निंदा की गई थी."
उन्होंने एक और वाकया बताया कि साल 2018 में शिक्षक दिवस समारोह में मंत्री विजय शाह ने कहा था, "अगर आज गुरु के सम्मान में ताली नहीं बजाओगे तो, अगले जन्म में घर-घर जाकर ताली बजानी पड़ेगी. उनके इस बयान पर किन्नर समुदाय ने काफी विरोध दर्ज कराया था."
उनके अनुसार, "सितंबर 2022 में खंडवा में एक सभा को संबोधित करते हुए विजय शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर विवादित टिप्पणी की थी, तब उन्होंने कहा था, अगर कोई लड़का 50-55 साल का हो जाए और शादी न करे तो लोग पूछते हैं कि कोई कमी तो नहीं है?"
विजय शाह शुरू से ही बीजेपी से जुड़े रहे. उनके भाई संजय शाह भी पहले कांग्रेस और फिर बीजेपी की राजनीति करते रहे और विधायक भी रहे.
सचिन श्रीवास्तव ने कहा, "दरअसल कई बार की कोशिशों के बावजूद बीजेपी में आदिवासी लीडरशिप उभर नहीं पाई और विजय शाह का दावा बना हुआ है."
गिरिजा शंकर इसे भारतीय राजनीतिक मजबूरी बताते हैं, "जातीय सामाजिक आधार वाले नेताओं को साथ रखना भारतीय राजनीति की यह मजबूरी है. यह बात कांग्रेस, बीजेपी या अन्य सभी पार्टियों के लिए सही है. आदिवासी नेतृत्व न उभर पाने की वजह से विजय शाह खुद को सबसे वरिष्ठ आदिवासी नेता बताते हैं."
(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)
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