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प्रेतराज सरकार का दरबार! जिसके नाम से ही काँप उठती है तांत्रिक शक्तियां और प्रेत आत्माएं, वीडियो में जाने चमत्कारी कहानिया

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राजस्थान की पावन धरती पर देवी-देवताओं की अनगिनत कहानियां और परंपराएं बसी हुई हैं। लेकिन एक ऐसी अनोखी परंपरा है, जो देश के लोगों को हैरान कर देती है और आस्था से भर देती है। यह परंपरा जुड़ी है "प्रेतराज सरकार" से - एक देवता, जिनकी पूजा हनुमान जी यानी बालाजी महाराज से भी पहले की जाती है। टोंक जिले के ढूंढाड़ क्षेत्र में स्थित मेहंदीपुर बालाजी धाम राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है। यहां हर दिन हजारों भक्त अपने दुख-दर्द, बीमारी या आलौकिक बाधाओं से मुक्ति की कामना लेकर आते हैं। लेकिन इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां बालाजी महाराज से पहले प्रेतराज सरकार की पूजा की जाती है।


कौन हैं प्रेतराज सरकार?
प्रेतराज सरकार को मृत आत्माओं का राजा माना जाता है। हिंदू पौराणिक मान्यताओं में यमराज को मृत्यु का देवता कहा जाता है, लेकिन राजस्थान की इस खास मान्यता में प्रेतराज सरकार की एक अलग भूमिका मानी जाती है। कहते हैं कि अगर आत्मा भटक रही हो, किसी बुरी शक्ति के वश में हो या किसी पाप के कारण पीड़ा में हो तो सबसे पहले उसे प्रेतराज के दरबार में हाजिरी लगानी पड़ती है। यह भी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति भूत-प्रेत या तंत्र-मंत्र के प्रभाव में है तो सबसे पहले प्रेतराज सरकार से विनती करनी पड़ती है, ताकि वे उस आत्मा या बुरी शक्ति को आदेश देकर उसे मुक्ति दिलाएं। इसके बाद ही बालाजी महाराज यानी हनुमान जी की पूजा पूर्ण फल देती है।

मेहंदीपुर बालाजी: जहां लगता है प्रेतराज का दरबार
दौसा और करौली जिले की सीमा के पास स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर तंत्र-मुक्ति और बुरी बाधाओं के निवारण के लिए प्रसिद्ध है। यहां मुख्य रूप से तीन देवताओं की पूजा होती है- बालाजी महाराज (हनुमान जी), प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा। यहां पहुंचने वाले भक्त सबसे पहले प्रेतराज सरकार के दरबार में हाजिरी लगाते हैं, उन्हें नारियल, कपूर, फूल और सिंदूर चढ़ाते हैं। मान्यता है कि प्रेतराज सरकार भटकती आत्माओं को सही दिशा देने वाली और तांत्रिक शक्तियों के प्रभाव को खत्म करने वाली शक्ति हैं।

कैसे होती है प्रेतराज सरकार की पूजा?
प्रेतराज सरकार की पूजा सामान्य पूजा से थोड़ी अलग होती है। यहां आने वाले भक्त बिना किसी आवाज या आरती के चुपचाप पूजा करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मंदिर में मौजूद कई भक्त अलौकिक बाधाओं या तांत्रिक प्रभावों से पीड़ित होते हैं। वहां का माहौल शांत और नियंत्रित रखा जाता है ताकि कोई पीड़ित व्यक्ति असहज महसूस न करे। यहां खास तौर पर शनिवार और मंगलवार को काफी भीड़ होती है। लोग सुबह-सुबह नारियल, बताशा, काली मिर्च और विशेष सामग्री के साथ पूजा करते हैं। पूजा के दौरान कई बार पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर कंपन, वाणी में बदलाव या अन्य असामान्य क्रियाएं दिखाई देती हैं - जिसे वहां सेवा करने वाले पुजारी बाधा से मुक्ति की प्रक्रिया का हिस्सा मानते हैं।

क्या है धार्मिक मान्यता?
स्थानीय मान्यता है कि प्रेतराज सरकार आत्माओं के मुखिया हैं और उनका दरबार एक तरह का अदृश्य दरबार है। यहां बिना किसी भेदभाव के हर आत्मा को न्याय मिलता है। लोककथा के अनुसार जब कोई आत्मा किसी व्यक्ति को परेशान करती है, तो वह आत्मा तब तक किसी अन्य ब्रह्म शक्ति के वश में नहीं आती, जब तक कि प्रेतराज सरकार उसे आदेश न दें। इसीलिए, बालाजी महाराज, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे सभी प्रकार की बाधाओं का नाश करते हैं - वे भी पहले प्रेतराज से अनुमति लेकर ही कार्य करते हैं।

आस्था और रहस्य का संगम
प्रेतराज सरकार की पूजा केवल आस्था ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति और तांत्रिक शक्तियों के विरुद्ध एक आध्यात्मिक उपाय भी है। यह पूजा भले ही आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर खरी न उतरती हो, लेकिन लाखों लोगों की निजी भावनाएं और अनुभव इसे सच मानते हैं।

निष्कर्ष: एक अनूठी परंपरा, जो आस्था को और गहरा करती है
राजस्थान की यह परंपरा किसी अन्य राज्य या संस्कृति के लिए अजीब लग सकती है, लेकिन यहां के लोगों के लिए यह भक्ति, श्रद्धा और सुरक्षा का प्रतीक है। प्रेतराज सरकार न केवल मृत आत्माओं के राजा हैं, बल्कि उन लाखों लोगों की उम्मीद भी हैं, जो परेशानियों से मुक्ति की तलाश में मेहंदीपुर बालाजी आते हैं।

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