राजस्थान सरकार ने स्कूलों में कक्षा 11 और 12 में पढ़ाई जा रही इतिहास की एक किताब को वापस मँगवाया है। 'आज़ादी के बाद स्वर्णिम भारत' नामक इस किताब को लेकर बड़ा राजनीतिक बवाल मच गया है। भजनलाल सरकार का मानना है कि इस किताब में कांग्रेस के नेहरू-गाँधी परिवार का महिमामंडन किया गया है, जबकि दूसरी ओर अन्य गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों को पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया है। यहाँ तक कि कांग्रेस के लाल बहादुर शास्त्री, सरदार पटेल और बाबा साहब अंबेडकर जैसे अन्य बड़े प्रधानमंत्रियों और नेताओं को भी नज़रअंदाज़ किया गया है।
शिक्षा मंत्री ने जताई आपत्ति
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्कूलों में पढ़ाई जा रही उक्त किताब की वस्तुनिष्ठ सामग्री पर आपत्ति जताते हुए दावा किया कि यह किताब भारतीय इतिहास की सही तस्वीर पेश नहीं करती। इस किताब में कई ऐतिहासिक घटनाओं को जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया गया है और सिर्फ़ एक राजनीतिक परिवार का महिमामंडन किया गया है, जिसमें आपातकाल जैसे अध्यायों को छिपाया गया है और नेहरू परिवार की तारीफ़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। आपको बता दें कि राजस्थान में पुस्तक विवाद कोई नई घटना नहीं है, चाहे वह अकबर महान का विवाद हो या चित्तौड़गढ़ के जौहर पर राजनीतिक बवाल। हाल के वर्षों में ये मामले सुलगते रहे हैं।
पुस्तक वितरण पर रोक लगाकर पुस्तक वितरण रोका
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने दावा किया कि उपरोक्त पुस्तक 'आज़ादी के बाद स्वर्णिम भारत' पर स्कूलों में प्रतिबंध लगा दिया गया है, जबकि इसकी लगभग 4 लाख 90 हज़ार मुद्रित प्रतियों में से 80 प्रतिशत का वितरण हो चुका है। राज्य सरकार ने इसके आगे वितरण पर तुरंत रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार करोड़ों रुपये का नुकसान सहेगी, लेकिन देश के इतिहास और छात्रों के भविष्य के साथ किसी भी कीमत पर छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगी। वहीं, बढ़ते राजनीतिक बवाल पर कुछ लोगों का मानना है कि इतिहास को जानबूझकर तोड़-मरोड़ कर परोसा जा रहा है, जबकि कुछ का मानना है कि यह गलती से हुआ।
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