इलाज के नाम पर होटल में मौज-मस्ती करते पकड़े गए जयपुर सेंट्रल जेल के चार कैदियों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। कैदी एसएमएस अस्पताल में इलाज के बहाने डॉक्टर की रेफरल स्लिप लेकर जेल से बाहर आए थे। चौंकाने वाली बात यह है कि चारों कैदियों अंकित बंसल, करण गुप्ता, रफीक और भंवर को सिर दर्द और पैर दर्द की मामूली बीमारी थी। इसका इलाज जेल की डिस्पेंसरी में ही हो सकता था। लेकिन मिलीभगत से डॉक्टर की रेफरल स्लिप बना दी गई। स्लिप के लिए 20-20 हजार रुपए दिए गए। कैदी अंकित बंसल और करण गुप्ता के होटल पहुंचने से पहले उनकी गर्लफ्रेंड ने एक कमरा बुक करा लिया था।
सबसे पहले जानते हैं कि मामला क्या था?
पड़ताल में सामने आया कि कैदी अंकित बंसल, करण गुप्ता, रफीक और भंवर ने 24 मई की सुबह सुनियोजित साजिश के तहत पेट दर्द और पैर दर्द का बहाना बनाया। वहां मौजूद मेडिकल स्टाफ ने मामूली परेशानी के लिए भी एसएमएस अस्पताल ले जाने के लिए रेफरल स्लिप बना दी। पर्ची लेकर चारों एसएमएस अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन इलाज कराने की बजाय वे अपने-अपने होटलों में चले गए।
डीसीपी ईस्ट तेजस्विनी गौतम ने बताया कि इलाज के नाम पर एसएमएस अस्पताल गए कैदियों के भागने का इनपुट पहले से ही था। इस पर कई थानों की पुलिस सक्रिय हो गई। जब टीम तलाशी लेने एसएमएस अस्पताल पहुंची तो न तो कैदी मिले और न ही उनके साथ मौजूद एस्कॉर्ट गार्ड वहां थे। इसके बाद पूरे शहर में तलाशी ली गई। जालूपुरा स्थित सिद्धार्थ होटल में दो कैदी रफीक उर्फ बकरी और भंवर लाल मिले। टोंक रोड स्थित 5 स्टार होटल में अंकित बंसल और करण गुप्ता अपनी महिला मित्र के साथ मिले।
लंच के साथ शराब पार्टी का भी इंतजाम
डीसीपी ईस्ट तेजस्विनी गौतम ने बताया कि अंकित बंसल और करण गुप्ता ने अपनी महिला मित्र के नाम से होटल में कमरा बुक कराया था। होटल का कमरा कैदियों की महिला मित्र ने खुद पूरे दिन के लिए बुक कराया था। जिसमें लंच के साथ शराब परोसने का भी इंतजाम किया गया था। नियमानुसार कैदियों को इलाज कराकर शाम पांच बजे तक जेल जाना था। लेकिन आरोपी पूरे दिन वहीं थे। जब टीम वहां छापा मारने पहुंची तो पुलिस को देखकर दोनों भागने की कोशिश करने लगे। वहीं जालूपुरा से पकड़े गए भंवर और रफीक बाहर से नशीली दवाएं और मोबाइल फोन लेकर वापस जेल जाने वाले थे। कैदी दोनों होटलों में मेहमान बनकर पहुंचे थे, जिनकी आईडी भी नहीं ली गई। पुलिस जांच के बाद होटल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
अलग-अलग स्तर पर मिलीभगत
जांच में सामने आया कि कैदियों को सिर में हल्का दर्द और पैरों में दर्द था, जिसके इलाज के बहाने रेफर करने के बाद एसएमएस भेजे गए। लेकिन यह इलाज जेल डिस्पेंसरी में ही संभव है। ऐसे में पुलिस को शक है कि कैदियों ने जेल में मौजूद डॉक्टर से मिलीभगत कर इलाज के लिए रेफरल स्लिप बनवाई। बुधवार को पुलिस ने एक आरोपी आनंदीलाल को गिरफ्तार किया, जिसने रेफरल स्लिप के बदले 20 हजार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर किए थे। इसके बाद चालान गार्ड के लिए चहेते पुलिसकर्मियों को बुलाया गया।
क्या यह खेल लंबे समय से चल रहा था? : एक ही पुलिसकर्मी बार-बार चालान गार्ड बन गया
डीसीपी ने बताया कि इस बात का भी संदेह है कि कैदियों को बाहर मौज-मस्ती कराने का यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कांस्टेबल विकास इस मामले का मास्टरमाइंड है, जो बार-बार चालान गार्ड बनकर जेल में आ रहा था। उसका बार-बार ऐसे मामलों में चालान गार्ड बनना संदेह पैदा करता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार चालान गार्ड ने बंसल और गुप्ता से एक लाख रुपए प्रतिदिन लिए थे। पैसों के लेन-देन की संभावना का जिक्र एफआईआर में दर्ज किया गया है। जयपुर सेंट्रल जेल के जेलर राकेश मोहन ने बताया कि पैसों के लेन-देन की जांच की जा रही है। वहां के जेलकर्मियों और मेडिकल स्टाफ की भूमिका की भी जांच की जा रही है। यह भी बड़ा सवाल है कि कैदियों की जेल से रिहाई की तारीख और इसकी पूरी जानकारी उनकी महिला मित्र को कैसे और किसने दी?
5 पुलिसकर्मियों समेत 15 के खिलाफ मामला दर्ज
यह मामला पांच पुलिसकर्मियों और बाकी सभी 15 आरोपियों के खिलाफ दर्ज किया गया है। मामले की जांच पुलिस थाना लालकोठी के एसएचओ कर रहे हैं। वहीं, पुलिस मुख्यालय ने डीआईजी जेल की अध्यक्षता में जांच कमेटी भी गठित कर दी है। मामले को लेकर जयपुर जेल अधीक्षक राकेश मोहन ने कहा कि अगर मामले में कोई जेल कर्मचारी संलिप्त पाया गया तो उसे किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
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