राजस्थान के धौलपुर में, हज़ारों ग्रामीण आज भी हवा से भरी नली पर रखी लकड़ी की चारपाई पर बैठकर पार्वती नदी पार करते हैं। नदी पार करने का यह जोखिम भरा रास्ता ग्रामीणों और स्कूली छात्रों के लिए स्कूल, अस्पताल और यहाँ तक कि बाज़ार तक पहुँचने का एकमात्र रास्ता है। यह स्थिति तब सामने आई जब इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दो छात्राएँ अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करती नज़र आईं। यह जोखिम भरा रास्ता न केवल मानसून के दौरान, बल्कि साल भर इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह नदी बारहमासी है। आरी, मढैया, भूरा का पुरा, बघेलों का पुरा, महंत का अड्डा और पंछी का पुरा के ग्रामीण वर्षों से इसी रास्ते से नदी पार करते आ रहे हैं।
ये वीडियो राजस्थान के धौलपुर जिले का है। जहां नुनेहरा पंचायत के गांव से बच्चे रोज़ जान जोखिम में डालकर खटोले से नदी पार कर स्कूल जाते हैं। ये मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह संभाग की हकीकत है। सरकार धार्मिक आयोजनों पर करोड़ों लुटा सकती है, पर बच्चों के लिए पुल नहीं बना सकती! pic.twitter.com/melg80EltC
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) July 3, 2025
वायरल वीडियो में, दो लड़कियाँ संतुलन बनाते हुए चारपाई पर चढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। वे उसमें लगी रस्सी को पकड़कर नदी पार करने के लिए उसे खींचने लगती हैं। लड़कियों के पास सुरक्षा के कोई उपाय भी नहीं हैं। स्कूली बच्चे कई किलोमीटर का सफ़र तय करने के बजाय पार्वती नदी पार करके स्कूल पहुँचते हैं। सिर्फ़ बच्चे ही नहीं, बल्कि कई गाँवों के लोग भी बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल या घरेलू सामान खरीदने के लिए बाज़ार ले जाने के लिए इन चारपाइयों पर निर्भर हैं।
मामले पर अधिकारियों की प्रतिक्रिया
पार्वती नदी पार करना बच्चों और ग्रामीणों के लिए एक बड़ी चुनौती है। लेकिन न तो प्रशासन और न ही अन्य ज़िम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर ध्यान दिया है। एसडीएम नाहर सिंह ने कहा कि ग्रामीणों और बच्चों को नदी पार करने से रोका जाएगा और मामले की जाँच की जाएगी।
ऐसा ही एक और मामला
झारखंड के बोकारो ज़िले में एक क्षतिग्रस्त पुल पार करती एक बुज़ुर्ग महिला का एक वायरल वीडियो इंटरनेट पर हलचल मचा रहा है। एक जर्जर लोहे के पुल पर संतुलन बनाकर एक बुज़ुर्ग महिला ने सुरक्षित रूप से पुल पार कर लिया, लेकिन एक छोटी सी चूक उसे ज़िंदगी भर के लिए नुकसान पहुँचा सकती थी।
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