इन दिनों बरसात के मौसम में पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, बालोतरा और जैसलमेर जिलों में प्रकृति प्रदत्त मशरूम (खुम्भी) का बंपर उत्पादन हो रहा है। ओरण, गोचर, चरागाह और परती भूमि में भीषण गर्मी और गरज के साथ ज़मीन से निकलने वाला यह मशरूम अब ग्रामीणों की आय का बड़ा स्रोत बन गया है।
प्रतिदिन 4-5 किलो एकत्रित होता है
ग्रामीण प्रतिदिन सुबह अपने घरों से निकलकर 4-5 किलो मशरूम एकत्रित करते हैं और उन्हें बाजार में 300 से 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं। बड़े शहरों में इसकी अच्छी माँग है। इसका सूखा पाउडर भी 2500 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, बरसात के मौसम में अगर मशरूम ज़मीन से निकल आए, तो माना जाता है कि तीन दिन के भीतर बारिश होने वाली है। केर, आक, बुई और खीप जैसे पौधों के पास उगने वाला यह सफेद रंग का मशरूम दूर से ही दिखाई देता है।
3-4 लाख रुपये तक की सालाना कमाई
मशरूम न केवल जंगलों में पाया जाने वाला पौधा है, बल्कि इसकी योजनाबद्ध तरीके से खेती भी की जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कोई किसान 4-5 क्विंटल कम्पोस्ट तैयार करे और उचित देखभाल करे, तो वह 2000 किलो तक मशरूम उगा सकता है। भले ही बाजार में इसकी कीमत 300-400 रुपये प्रति किलो हो, लेकिन अगर ये मशरूम व्यापारी को 150 रुपये प्रति किलो के भाव पर भी बेचे जाएँ, तो साल में 3-4 लाख रुपये तक की कमाई संभव है।
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