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100 साल पुराने मंदिर में प्रेम पत्र चढ़ाकर मांगी जाती है मोहब्बत की मुराद, कहा जाता है यहां भगवान खुद जोड़ते हैं प्रेम के रिश्ते

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देश के कई मंदिर अपनी खासियतों के लिए मशहूर हैं। लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए बड़ी श्रद्धा से इन मंदिरों में पहुंचते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है इश्किया गजानन मंदिर। जोधपुर के भीतरी इलाके में स्थित यह मंदिर युवाओं में काफी लोकप्रिय है। और हो भी क्यों न, बप्पा उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। जोधपुर आने वाले पर्यटक भी यहां आना नहीं भूलते।


मान्यता है कि यहां अगर कोई मनोकामना मांगी जाए तो रिश्ता बहुत जल्दी तय हो जाता है और प्रेमियों की मनोकामना पूरी होती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अलग-अलग राज्यों में बैठे प्रेमी जोड़े जोधपुर आते हैं और इस मंदिर में एक चिट्ठी पर अपनी मनोकामना लिखकर दानपेटी में छोड़ जाते हैं। जोधपुर के चारदीवारी के भीतर आड़ा बाजार जूनी मंडी में प्रथम पूज्य गणेशजी का अनूठा मंदिर है, जहां सिर्फ गणेश चतुर्थी ही नहीं बल्कि हर बुधवार शाम को मेले जैसा माहौल रहता है। यहां आने वाले दर्शनार्थियों की सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की होती है जो इस अनोखे विनायक को अपना 'हीरो' मानते हैं।

'इश्किया गजानन' के नाम से मशहूर
मूल रूप से गुरु गणपति मंदिर पूरे शहर में 'इश्किया गजानन' जी मंदिर के नाम से मशहूर है। सौ साल से भी ज्यादा पुराने और एक संकरी गली के अंत में स्थित गुरु गणपति मंदिर की तुलना चार दशक पहले इलाके के कुछ लोगों ने हाथियों पर सवार 'इश्किया गजानन' से की थी। स्थानीय लोगों की मानें तो जोधपुर का यह इश्किया गणेश मंदिर करीब 100 साल पुराना है। शहर की संकरी गलियों में स्थित यह मंदिर दिखने में भले ही छोटा हो, लेकिन इसकी मान्यता बड़ी है। मूर्ति देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर है, राजस्थान आने वाले पर्यटक एक बार यहां जरूर आते हैं।

इश्किया गजानन मंदिर में प्रेमियों के पत्र भी पहुंच रहे हैं
पुखराज सोनी ने बताया कि अलग-अलग राज्यों से भी पत्र आते हैं, हाल ही में एक लड़की का पत्र आया और उसने अपने पत्र में अपने प्रेमी से शादी करने की इच्छा जताई। उसके माता-पिता राजी नहीं हैं, इसलिए इस पत्र में आवेदन किया गया था। राजस्थान ही नहीं बल्कि राज्य के बाहर से भी कई जगहों से चिट्ठियां आती हैं। लेकिन इन चिट्ठियों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए मंदिर प्रशासन भगवान को अर्पित कर चिट्ठियों का निस्तारण कर देता है।

प्रेमी भी चिट्ठियों के जरिए कर रहे हैं मनोकामनाएं
मंदिर प्रशासन से जुड़े पुखराज सोनी ने बताया कि भक्तों के साथ-साथ मंदिर में काफी संख्या में चिट्ठियां भी आती हैं। कई लोग मंदिर में अपना चढ़ावा चढ़ाते हैं और जब मंदिर बंद हो जाता है तो वही चिट्ठियां दान पेटी में डाल देते हैं और जब हम दान पेटी खोलते हैं तो उसमें से ये चिट्ठियां निकलती हैं। तब पता चलता है कि कोई प्रेमी या प्रेमिका एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं लेकिन उनके घरवाले राजी नहीं होते तो वे इसके लिए मन्नतें मांगते हैं। फिर हम उनकी चिट्ठियां गजानंद जी को अर्पित करते हैं ताकि उनकी मनोकामना पूरी हो सके।

100 साल से भी ज्यादा पुराना है यह मंदिर
पुजारी राजेश त्रिवेदी ने बताया कि यह 100 साल पुराना मंदिर है और यहां जो भी आता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। जिनकी सगाई नहीं हो रही है या नौकरी नहीं मिल रही है, वे जो भी मनोकामना मांगते हैं, वह पूरी होती है। जो लोग यहां आते थे और जिनकी सगाई नहीं हो रही होती थी, वे मन्नत मांगते थे और उनकी सगाई मन्नत के अनुसार पूरी होती रहती थी, इसलिए जैसे-जैसे इसकी लोकप्रियता बढ़ी, इसका नाम इश्किया गजानंद पड़ गया।

80 प्रतिशत लोगों की होती है मुराद
100 में से करीब 80 प्रतिशत लोगों की मुराद पूरी होती है। मुराद पूरी होने पर वे दर्शन के लिए वापस आते हैं। वे अपनी पत्नियों के साथ यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहां प्रसाद चढ़ाने के अलावा वे माथा टेकते हैं और सवा मणि भी करते हैं। मुराद पूरी होने के बाद वे अपनी आस्था के अनुसार काम करते हैं। एक व्यक्ति ने अपनी मुराद पूरी होने पर सवा किलो तक चांदी चढ़ा दी थी।

'इश्किया गणेश' के दर्शन करने आते हैं जोड़े
स्थानीय लोगों के मुताबिक, पहले ज्यादातर जोड़े इसी मंदिर में आकर समय बिताते थे। क्योंकि शहर में ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां वे मिल सकें। इसलिए वे यहां आकर घंटों बैठते थे ताकि कोई उन्हें कुछ न कहे। अब राजस्थान ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग यहां अपनी मन्नतें पूरी करने आते हैं। अगर किसी प्रेमी जोड़े को प्यार में कोई परेशानी आती है तो ये 'इश्किया गणेश' उनकी मदद करते हैं।

इसलिए इसका नाम पड़ा इश्किया गजानन
पहले गणेश जी के इस मंदिर को गुरु गणपति के नाम से जाना जाता था। स्थानीय लोगों की मानें तो प्रेमी जोड़े शादी से पहले अपनी पहली मुलाकात के लिए इसी मंदिर में आते थे। दरअसल, मंदिर एक संकरी गली के अंदर एक निजी घर के मुख्य द्वार के सामने है। इस मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि इसके सामने खड़े लोग दूर से किसी को आसानी से दिखाई नहीं देते थे। इसी वजह से यहां हर बुधवार को प्रेमी जोड़ों का जमावड़ा लगता है। जोड़ों के लिए प्रमुख मिलन स्थल होने की वजह से इस मंदिर का नाम इश्किया गजानन मंदिर पड़ा। मंदिर में सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 5.30 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन की सुविधा उपलब्ध है। बुधवार को मंदिर रात 11 बजे तक खुला रहता है।

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