श्रीगंगानगर न्यूज़ डेस्क, अगर आप शहर के सेठ जीएल बिहाणी एसडी कॉलेज में चल रही स्टेट जूडो प्रतियोगिता के मुकाबले देखने जाएंगे तो आपका सामना सबसे पहले यहां बने शुभंकर से हेागा। प्रतियोगिता के लिए खास तौर पर यह शुभंकर तैयार किया गया। इसे जूडो कोच डॉ. जसविंद्र सिंह और उनके साथी रमन असीजा ने तैयार किया है। जूडो कोच डॉ. जसविंद्र शिक्षा विभाग के कोच हैं और राज्य स्तरीय जूडो ट्रेनिंग सेंटर को संभालते हैं। वहीं उनके साथी रमन असीजा सरकारी सेवा में सेकंड ग्रेड टीचर हैं। इसमें डॉ. जसविंद्र की ड्राइंग स्किल और असीजा के इमेजिनेशन को मिलाते हुए शुभंकर को तैयार किया गया।
ऐसे आया विचार डॉ. जसविंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने खेलों इंडिया के मुकाबले देखे। इसमें बने शुभंकर पर भी उनका ध्यान गया। इन मुकाबलों के कुछ समय बाद ही श्रीगंगानगर में राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता करवाने का फैसला हुआ। इस पर उन्होंने इस प्रतियोगिता में खेलो इंडिया की तर्ज पर शुभंकर तैयार करने का फैसला किया। इसके लिए साथी असीजा से संपर्क किया गया।
वन्य पशु चिंकारा को बनाया चिंडू डॉ. जसविंद्र ने बताया कि उन्होंने इसके लिए वन्य पशु चिंकारा को चुना। चिंकारा को एक पोट्रेट पर खुद डिजाइन किया और इसकी पेंटिंग बनाई। इसके बाद इसे जूडो की ड्रेस पहनाकर इसे जूडो खिलाड़ी का रूप दिया गया। जब इसे नाम देने की बारी आई तो चिंकारा से चार एल्फाबेट सीएचआईएन लिए गए और जूूडो के अंतिम दो अक्षर डीओ को इसमें जोड़कर नाम दिया गया चिंडू। उन्होंने बताया कि चिंकारा में फुर्ती होती है, इसमें मजबूती होती है और फलेक्सिब्लिटी भी होती है। इन्हीं तीन गुणों के कारण उसे शुभंकर बनाने का फैसला किया गया। इन्हीं तीन गुणों की जरूरत एक जूडो खिलाड़ी को होती है। उन्होंने कहा कि चिंडू को प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आए लोगों से खूब सराहना मिली है। उन्होंने कहा उनका इरादा इस शुभंकर के जरिए वन्य जीवों के संरक्षण को बढ़ावा देना भी है।
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