महात्मा गांधी अस्पताल ने युवा मधुमेह रोगियों के स्वास्थ्य को लेकर अभिनव पहल शुरू की है। अस्पताल अब 35 वर्ष से कम आयु के उन सभी मधुमेह रोगियों का विस्तृत ई-स्वास्थ्य रिकॉर्ड तैयार कर रहा है, जो या तो इंसुलिन ले रहे हैं या हाल ही में इस बीमारी से प्रभावित हुए हैं। अस्पताल प्रशासन ने योजना के तहत दो बेहद महत्वपूर्ण जांच सीरम इंसुलिन और सी-पेप्टाइड की पूरी व्यवस्था कर ली है। इन जांचों के लिए पर्याप्त मात्रा में अत्याधुनिक अभिकर्मक मंगवाए गए हैं, ताकि किसी भी रोगी को जांच के लिए इंतजार न करना पड़े या किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े। साथ ही इंसुलिन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
टाइप-1 मधुमेह की संभावना पर विशेष ध्यान
एमजीएच के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. वीके शर्मा ने बताया कि बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक भूख लगना, तेजी से वजन कम होना, लगातार प्यास लगना और अत्यधिक कमजोरी महसूस होना जैसी शिकायतें लेकर आने वाले रोगियों में टाइप-1 मधुमेह की संभावना अधिक होती है। ऐसे युवा रोगियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और उनका व्यवस्थित स्वास्थ्य रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है।
ऐसे तैयार होगा विस्तृत स्वास्थ्य रिकॉर्ड
इस पहल के तहत सबसे पहले इन मरीजों की प्रारंभिक रक्त शर्करा जांच की जाती है। इसके बाद उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में विस्तृत जानकारी ली जाती है। क्योंकि मधुमेह की प्रवृत्ति अक्सर आनुवंशिक होती है। पिछले तीन महीनों के शुगर लेवल को सटीक रूप से जानने के लिए एचबीए1सी जांच की जाती है, जिसके बाद सीरम इंसुलिन और सी-पेप्टाइड की निर्णायक जांच की जाती है। इन सभी जांचों में किसी भी तरह की गड़बड़ी या असामान्यता पाए जाने पर तत्काल और प्रभावी उपचार शुरू किया जाता है।
इनका कहना है
ई-स्वास्थ्य रिकॉर्ड योजना शुरू होने के बाद से अब तक 500 से अधिक युवा मधुमेह रोगियों का पंजीकरण किया जा चुका है। सभी पंजीकृत मरीजों को अस्पताल की ओर से व्यक्तिगत रूप से बुलाया गया है। शुक्रवार को सभी जांच की जाएंगी और जरूरत के अनुसार दवा या इंसुलिन की खुराक में जरूरी बदलाव भी किए जाएंगे।
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