राजस्थान के रेगिस्तान की रेत के बीच स्थित जैसलमेर का ऐतिहासिक सोनार किला, जिसे स्वर्ण किला भी कहा जाता है, एक बार फिर खतरे में है। 850 साल पुराना यह किला न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है। इसकी दीवारों में दरारें और तेज़ी से बढ़ते पेड़-पौधे अब इसकी मज़बूती पर सवाल उठा रहे हैं।
दीवारों में पेड़ उगने लगे
किले की प्राचीन दीवारों के बीच अब पीपल और अन्य पेड़-पौधे उगने लगे हैं। खासकर पीपल जैसे पेड़ों की जड़ें दीवारों के पत्थरों के बीच गहराई तक फैल रही हैं, जिससे दीवारें अंदर से खोखली और कमज़ोर होती जा रही हैं। इससे पहले भी बारिश और फिर तेज धूप के कारण कमज़ोर दीवारों के कुछ हिस्से गिर चुके हैं, जिससे आम राहगीरों और स्थानीय लोगों की जान को खतरा पैदा हो गया था।
संरक्षण कार्य में लापरवाही
स्थानीय लोगों और इतिहास प्रेमियों का कहना है कि पहले इन पेड़ों की जड़ों को तेज़ाब से जलाकर नष्ट कर दिया जाता था। लेकिन अब पेड़ों का केवल ऊपरी हिस्सा ही काटा जाता है, जिससे जड़ें दीवारों में ही रह जाती हैं और पानी के रिसाव से पत्थर धीरे-धीरे कमज़ोर हो जाते हैं। इससे किला गंभीर खतरे में पड़ गया है।
कई बार दीवारें गिरने की घटनाएँ
पिछले कुछ वर्षों में सोनार किले की कई दीवारें गिर चुकी हैं। इसका कारण जड़ों से आई दरारें और उनमें जमा पानी रहा है, जिससे धूप निकलते ही दीवारें ढह जाती हैं। ऐसी घटनाएँ पहले भी राहगीरों और पर्यटकों के लिए जानलेवा साबित हो चुकी हैं। यही वजह है कि अब पर्यटक भी किले की सुरक्षा को लेकर चिंतित नज़र आ रहे हैं।
प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की माँग
स्थानीय नागरिक, इतिहास प्रेमी और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग प्रशासन और पुरातत्व विभाग से माँग कर रहे हैं कि समय रहते आवश्यक संरक्षण कार्य शुरू किया जाए। अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो यह ऐतिहासिक किला सिर्फ़ किताबों और तस्वीरों में ही नज़र आएगा।
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