पिछले साल मानसून की बारिश के दौरान दिल्ली में एक बड़ा हादसा हुआ था। बेसमेंट में चल रहे आईएएस कोचिंग सेंटर में पानी भर गया था, जिसमें 17 छात्र फंस गए थे। महज तीन मिनट में पानी 12 फीट तक भर गया था। फंसे हुए छात्रों को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर बाहर निकाला गया। 14 को बचा लिया गया, लेकिन दो छात्राओं और एक छात्र की मौत हो गई। मृतकों में श्रेया यादव, तान्या सिंह और नवीन दलविन शामिल थे। इस हादसे के बाद देश के अन्य शहरों में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटरों पर भी सवाल उठे थे। राज्य सरकार ने नए बिल्डिंग बायलॉज जारी किए हैं, जिनमें कोचिंग सेंटरों और लाइब्रेरी के संचालन को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं।
बेसमेंट में नहीं चलेंगे कोचिंग और लाइब्रेरी
नए बिल्डिंग बायलॉज में इमारतों और संरचनाओं के निर्माण को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं। इसमें स्पष्ट है कि किसी भी कोचिंग सेंटर को बेसमेंट में संचालित करने की अनुमति नहीं है। कोचिंग सेंटरों को केवल ग्राउंड या ऊपरी मंजिल पर ही संचालित करने की अनुमति होगी। नए नियमों में लिखा है कि अगर कोई कोचिंग सेंटर बेसमेंट में कक्षाएं चलाता पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लाइब्रेरी के लिए अलग से नियम नहीं बनाए गए हैं, लेकिन प्रशासन का कहना है कि कोचिंग सेंटर के नियम लाइब्रेरी पर भी लागू होंगे।
कोचिंग सेंटरों के लिए राज्य सरकार के अन्य नियम यहाँ देखें
कोचिंग सेंटर के प्लॉट का न्यूनतम क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर होगा। पहले यह 300 वर्ग मीटर था।
बड़े शहरों में 18 मीटर से कम चौड़ी सड़कों पर कोचिंग सेंटर नहीं चलेंगे। छोटे शहरों में सड़क की चौड़ाई कम से कम 12 मीटर होनी चाहिए।
कक्षाओं में प्रति छात्र न्यूनतम 1.75 वर्ग मीटर जगह अनिवार्य होगी।
किसी भी परिस्थिति में बेसमेंट में कोचिंग सेंटर नहीं खोले जा सकेंगे।
कुल क्षेत्रफल का 10% कैंटीन, कार्यालय, स्टाफ रूम, पुस्तकालय, सामान्य शौचालय आदि के लिए आरक्षित रहेगा।
छात्रों के लिए पेयजल और अलग शौचालय की सुविधा आवश्यक है।
स्वायत्त शासन विभाग की शर्तों के अनुसार पार्किंग व्यवस्था करनी होगी।
सेटबैक, भवन की ऊँचाई आदि शर्तें अन्य व्यावसायिक भवनों की तरह लागू होंगी।
कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण अनिवार्य है, बिना पंजीकरण के संचालित होने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सभी सेंटरों में अग्निशमन प्रणाली लगाना अनिवार्य है।
नए नियम छात्रों के हित में सही हैं
उन्नति क्लासेस के निदेशक एसआर गुर्जर ने बताया कि जब दिल्ली में यह घटना हुई थी, तब जयपुर नगर निगम ने सर्वे कर बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटरों को सील कर दिया था। उन्होंने कहा कि बेसमेंट में कोचिंग सेंटर चलाने वालों को तुरंत बंद कर देना चाहिए क्योंकि ये नियम छात्रों के हित में हैं। जयपुर में भारी बारिश के कारण सड़कें धंसने की घटनाएँ हो रही हैं, ऐसे में नियमों का पालन करना बेहद ज़रूरी है।
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