शादी के बाद हर जोड़ा साथ में जिंदगी बिताने का सपना देखता है, लेकिन जयपुर में सामने आए इस अनोखे मामले ने सबको चौंका दिया। यहां एक पति ने अपनी पत्नी द्वारा 15 साल तक सेक्स करने से मना करने पर तलाक की अर्जी दाखिल की और कोर्ट ने इसे 'मानसिक क्रूरता' करार दिया। पति ने बताया कि 2003 में शादी के बाद पत्नी ने पहली रात ही सेक्स करने से मना कर दिया। उसे लगा कि शायद समय के साथ हालात बदल जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 15 साल बीत गए, लेकिन पत्नी का रवैया नहीं बदला।
पहली रात से ही मना कर दिया... 15 साल तक शारीरिक संबंध नहीं बनाए
एडवोकेट डीएस शेखावत ने बताया कि शिकायतकर्ता पति ने अपनी अर्जी में बताया कि उसकी शादी 3 नवंबर 2003 को हुई थी। शादी के बाद पत्नी ने पहली रात ही सेक्स करने से मना कर दिया। पति को लगा कि कुछ दिनों में सब सामान्य हो जाएगा। ऐसे में वह चुपचाप सबकुछ बर्दाश्त करता रहा। कुछ दिनों बाद पत्नी जिद करने लगी कि वह सास, ससुर और ससुराल के अन्य सदस्यों के साथ नहीं रहना चाहती। पति अपने माता-पिता को छोड़कर नहीं जाना चाहता था। चूंकि पत्नी ने शादी की रात भी शारीरिक संबंध नहीं बनाए और उसके बाद भी इनकार करती रही। पति ने अपने आवेदन में लिखा कि पत्नी ने लगातार 15 साल तक शारीरिक संबंध नहीं बनाए। इसलिए वह अपनी पत्नी से तलाक चाहता है।
झगड़ा करती थी और झूठे केस में फंसाने की धमकी देती थी
पति ने यह भी कहा कि शादी के दिन से ही पत्नी परिवार से अलग होना चाहती थी। यह ठीक नहीं था। इस बात को लेकर वह झगड़ने लगी। हर छोटी-छोटी बात पर झगड़ने के साथ ही धमकी देती थी कि वह झूठे केस दर्ज कराकर उसे जेल भिजवा देगी। डर के मारे परिवार के सभी सदस्य भी चुप रहे। पूरा परिवार सबकुछ बर्दाश्त करता रहा। ऐसे में हाथापाई या मारपीट की जरूरत ही नहीं पड़ी। जब लगातार 15 साल तक ऐसा ही चलता रहा तो पति ने तलाक के लिए आवेदन कर दिया। अधिवक्ता डीएस शेखावत का कहना है कि सुनवाई के दौरान जयपुर महानगर प्रथम के पारिवारिक न्यायालय संख्या 4 के न्यायाधीश पवन कुमार ने कहा कि अब वैवाहिक संबंध बहाल नहीं हो सकते, क्योंकि 15 साल से दोनों के बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने हैं।
दो साल से अलग रह रहे हैं पति-पत्नी
यह भी आश्चर्य की बात है कि पति से शारीरिक संबंध नहीं होने के बावजूद पत्नी 13 साल तक ससुराल में ही रहती रही। वह ससुराल में ही रहती रही, वहीं खाती-पीती रही, लेकिन परिवार के सदस्यों से कोई पारिवारिक संबंध नहीं रखा। न ही ससुराल पक्ष के किसी सदस्य से बात की। पति का पूरा परिवार सबकुछ बर्दाश्त करता रहा। दो साल पहले पत्नी ससुराल छोड़कर पति से अलग रहने लगी। दो साल से पत्नी ससुराल पक्ष के किसी सदस्य से नहीं मिली। न्यायालय ने अपने आदेश में पत्नी को बिना किसी कारण के दो साल से अधिक समय तक पति से अलग रहने पर परित्याग का दोषी माना और तलाक को मंजूरी दे दी।
पत्नी ने भी लगाए आरोप, लेकिन साबित नहीं कर पाई
कोर्ट में पेश होते हुए पत्नी ने भी माना कि उसने शारीरिक संबंध नहीं बनाए। पत्नी ने कहा कि उसके पति के दूसरी महिलाओं से अवैध संबंध हैं। इस कारण उसने शारीरिक संबंध नहीं बनाए। पति के वकील ने कहा कि अगर पत्नी आरोप लगा रही है तो उसे साबित करना चाहिए कि उसके किन महिलाओं से अवैध संबंध हैं। इस पर पत्नी कोई ठोस सबूत नहीं दे पाई। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ मौखिक आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं हो जाता। अगर आरोप लगाए हैं तो साबित भी करें।
दहेज उत्पीड़न का केस भी नहीं चला
पत्नी ने कोर्ट में यह भी कहा कि उसके पति और ससुराल वाले उसे दहेज के लिए परेशान करते थे। उसने उनके खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस भी दर्ज कराया था। इस पर पति के वकील ने दलील दी कि पत्नी ने शादी के 20 साल बाद दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराया है, जबकि उसने पहली रात से ही शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे। अगर दहेज उत्पीड़न होता तो शादी के कुछ दिन या साल बाद भी केस दर्ज हो सकता था। सबसे खास बात यह रही कि पति द्वारा वर्ष 2021 में तलाक की अर्जी दाखिल करने के बाद पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज करा दिया। इससे साफ है कि उसने पति और ससुराल वालों पर दबाव बनाने के लिए यह केस दर्ज कराया था।
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