बीकानेर न्यूज़ डेस्क, बीकानेर पीबीएम हाॅस्पिटल में डेंगू के राेगी लगातार रिपाेर्ट हाे रहे हैं। इनमें से एक-दाे मरीज ऐसे भी हैं, जिनके लीवर में सूजन, सांस लेने में तकलीफ और मायोकार्डिटिस यानी दिल की धड़कन कम हाेने की समस्या आ रही है। राहत की बात ये है कि ऐसे राेगी ठीक हाेकर घर जा रहे हैं। पीबीएम हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग में इन दिनों वायरल बुखार के रोगियों के कारण आउटडोर 800 तक पहुंच गया है। थ्रोम्बोसाइटोपीनिया वायरल बुखार के रोज 30 से 40 मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। यानी उनके रक्त में श्वेत रक्त कणिकाएं कम हाेने लगी हैं।
ऐसे मरीजाें की प्लेटलेट गिर कर 50 से 30 हजार तक आ रही है। मेडिसिन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि थ्रोम्बोसाइटोपीनिया वायरल पीड़ित जिन मरीजाें के डेंगू पाॅजिटिव अा रहा है। उन्हीं में से एक-दाे मरीज लीवर में सूजन और मायाेकार्डिटिस के शिकार हाे रहे हैं। डेंगू संक्रमण से रक्त में डी-डाइमर का स्तर बढ़ सकता है और इसके परिणामस्वरूप शरीर में दर्द, सीने में तेज दर्द, तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी और हाथ या पैर की त्वचा के रंग में बदलाव हो सकता है।ऐसे मरीजाें काे आईसीयू में वेंटिलेटर पर लेना पड़ रहा है, लेकिन तीन-चार दिन में ही ये ठीक हाे जाते हैं। फिलहाल एेसे किसी मरीज की मृत्यु नहीं हुई है। पीबीएम में डेंगू के अब तक 235 पाॅजिटिव राेगी रिपाेर्ट हाे चुके हैं, इनमें 141 काे भर्ती किया गया, जबकि 94 केस ओपीडी के थे। दाे मरीजाें की मृत्यु इस साल हुई है, जाे दूसरे जिलाें के थे।
क्या है थ्रोम्बोसाइटोसिस
थ्रोम्बोसाइटोसिस में रक्त में प्लेटलेट्स का उच्च स्तर शामिल होता है। प्लेटलेट्स रक्त कोशिकाएं होती हैं जो रक्तस्राव को रोकने के लिए थक्के बनाती हैं। थ्रोम्बोसाइटोसिस के दो मुख्य प्रकार हैं। आवश्यक थ्रोम्बोसाइटेमिया और प्रतिक्रियाशील थ्रोम्बोसाइटोसिस। आमतौर पर थ्रोम्बोसाइटोसिस गंभीर नहीं होता है। लेकिन बहुत अधिक प्लेटलेट्स से स्ट्रोक, दिल का दौरा या रक्त वाहिकाओं में थक्का जैसी जटिलताएं हाे सकती हैं।
क्या है मायोकार्डिटिस
मायोकार्डिटिस हृदय की मांसपेशी की सूजन है, जिसे मायोकॉर्डियम कहा जाता है। यह स्थिति हृदय की रक्त पंप करने की क्षमता को कम कर सकती है। मायोकार्डिटिस के कारण सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और तेज या अनियमित दिल की धड़कन हो सकती है। वायरस से संक्रमण मायोकार्डिटिस का एक कारण है। इससे मरीज की जान जाने का खतरा रहता है। ऐसे पेशेंट को कई बार वेंटिलेटर पर भी लेना पड़ता है।
डेंगू संक्रमण कितना खतरनाक
विशेषज्ञाें के अनुसार डेंगू एडीज मच्छर के काटने से हाेता है। इसके काटने का समय दिन में और शाम काे 5 बजे के आस-पास रहता है। यह मच्छर साफ पानी में पैदा हाेते हैं। वायरस डेन-1 से ज्यादा डेन-2 खतरनाक हाेता है। इसमें मरीज का नर्वस सिस्टम पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा मायोकार्डिटिस, एक्यूट वूलनबारी सिंड्राेम, दिमाग में सूजन, लीवर में सूजन, पीलिया हाे जाता है और मरीज काेमा में जा सकता है। फेफड़ाें में पानी भर जाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हाेती है। शरीर की झिल्लियाें तक में पानी भरने लगता है।
"इस बार बारिश अधिक हाेने के कारण डेंगू के राेगी ज्यादा आ रहे हैं। ऐसे मरीजाें के दिल की धड़कन कम हाेने की शिकायत भी मिल रही है। इसके अलावा कई तरह के संक्रमण हाे रहे हैं, लेकिन सभी मरीज ठीक हाे रहे हैं। लाेगाें काे चाहिए कि घराें में और आसपास कूलर, गमलाें आदि जगह पर पानी जमा ना हाेने दें।"
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