कारपेंटर ठेकेदार भरत कुमार सैनी (42) ने शुक्रवार सुबह सिरसी स्थित रॉयल ग्रीन अपार्टमेंट की 14वीं मंजिल की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली। गोविंदपुरा स्थित बालाजी विहार निवासी भरत ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट लिखा, जिसे पढ़कर हर किसी का दिल पिघल गया। गुरुवार को भरत ने सुसाइड नोट में लिखा... बकाया रकम नहीं मिलने पर उसे तुरंत आत्महत्या करने का मन हुआ, लेकिन वह एक बार जी भरकर अपनी पत्नी, बच्चों और माता-पिता को देखना चाहता था। शुक्रवार सुबह भरत फिर आरएएस अधिकारी मुक्ता राव के फ्लैट पर पहुंचा और 14वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली।
भरत की पत्नी बेहोश
पिता भानु प्रताप ने बताया कि घटना के बाद से भरत की पत्नी बेहोश है। वह तीन बार चौथी मंजिल से कूदने के लिए भागी, लेकिन किसी तरह पकड़ ली गई। उसने कहा कि अगर रकम नहीं मिली तो पता नहीं परिवार का क्या होगा।
एफआईआर में नाम नहीं
भानु प्रताप ने बताया कि मुक्ता ने जब उसे पैसे नहीं दिए तो भरत काफी परेशान हो गया था और मुक्ता राव के फ्लैट पर पहुंचकर उसे भगा दिया। बेटे ने मुझे फोन पर पूरी कहानी बताई और बार-बार छत से कूदकर आत्महत्या करने के लिए कह रहा था। मैंने उसे ऐसा कदम न उठाने के लिए कहा लेकिन वह कूद गया। पिता ने एफआईआर में किसी का नाम नहीं लिखाया है। रिपोर्ट के साथ सुसाइड नोट संलग्न किया है। वहीं एसएमएस अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने शव लेने से मना कर दिया। एसीपी हेमेंद्र शर्मा, एसएचओ विनोद कुमार देर रात तक परिजनों और उनके रिश्तेदारों को शव लेने के लिए मनाते रहे।
शर्तों के अनुसार समय-समय पर किया भुगतान
इस मामले पर आरएएस अधिकारी मुक्ता राव ने बताया कि हमारे मकान के जीर्णोद्धार कार्य के लिए 3-10-24 को एग्रीमेंट लिखा गया था, जिसमें कुल 21.80 लाख रुपए का कार्य करना तय हुआ था। एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार हमने समय-समय पर भुगतान किया। जिसकी स्वीकृति पर भरत कुमार सैनी ने स्वयं के हस्तलेख में हस्ताक्षर किए थे। इसके अलावा चार लाख रुपए भी उधार लिए थे, जिसकी हैंडराइटिंग हमारे पास है। हमारा कोई भुगतान बकाया नहीं है। हमें बदनाम करने और ब्लैकमेल करने के लिए एक पूर्व नियोजित आपराधिक साजिश रची गई।
ये लिखा है सुसाइड नोट में
मैं भरत कुमार सैनी हूं
आज मैं आरएएस (हालांकि सुसाइड नोट में आरएस लिखा है) मुक्ता राव जी के घर गया था, वहां सामने लगे कैमरे में पूरी रिकॉर्डिंग आ गई होगी। 14 अप्रैल 2025 को घर का मुहूर्त भी हो गया था। ठीक तीन दिन बाद मैंने अपने हिसाब-किताब और अतिरिक्त काम की बात शुरू की, मेरे वेंडर पैसे मांग रहे हैं। आपका काम हो गया है और मुहूर्त भी हो गया है। अगर कोई काम बाकी है तो मैं कर दूंगा। मैं अपने वेंडर और दुकानदारों को रोज यह कहकर टाल रहा हूं कि मेरा हिसाब-किताब नहीं हुआ है और मैं हर दिन अपमान से भरे दिन काट रहा हूं। फिर मैंने यह भी अनुरोध किया कि मेरा हिसाब-किताब कर दिया जाए, मेरे पास जहर खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। पूरी रॉयल ग्रीन सोसायटी में विक्रेता और दुकानदार मुझे बेइज्जत करने के लिए तैयार बैठे हैं। मैंने मुक्ता राव जी के भरोसे पर 1200 वर्ग फीट का काम करने का फैसला किया था, लेकिन मैंने उस काम को घटाकर 2000-2200 कर दिया।
सिर्फ मैडम जी के इस शब्द पर कि आप काम करो, मैं पैसे दूंगी। मैंने बस उसी पर विश्वास कर लिया। बाजार से पैसे लिए, मुथूट में पत्नी के जेवर गिरवी रखे और अच्छे मन से काम पूरा किया। इस उम्मीद से कि मुझे मेरे पैसे मिल जाएंगे, लेकिन आज मेरी उम्मीद टूट गई। अब मैं गलत कदम उठाने को मजबूर हूं। मुझे यह भी पता है कि मेरे मरने के बाद भी मुझे पैसे या कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। मैंने अपना घर तोड़कर उनका घर बनाया। आज मैंने 39.60 लाख रुपए का काम किया है। जिसमें मुझे 21 लाख रुपए मिले।
बाकी के लिए मुझे कोई पैसा नहीं दिया गया। आरएएस मुक्ता राव जी और उनके पति ढाका जी ने मुझे यह कहकर भगा दिया कि तुम्हें ज्यादा से ज्यादा 50 या एक लाख रुपए मिलेंगे। यह सुनते ही मैं वहाँ से चला आया और अब मेरे पास आत्महत्या के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। मैं अभी छत से कूद जाना चाहता था, लेकिन सुबह से मैं अपनी पत्नी और बच्चों से नहीं मिला था, न ही अपने बुजुर्ग माता-पिता से मिला था। इसलिए मैं घर आया हूँ। मैं उनसे आखिरी बार जी भरकर मिलना चाहता हूँ। उन्हें तो यह भी नहीं पता कि मैं सुबह वहाँ नहीं रहूँगा।
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