उज्जैन, 26 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . Madhya Pradesh के उज्जैन में वर्ष-2002 की बात है. अ.भा.कालिदास समारोह की तैयारियों को लेकर वृहद् बैठक में पूर्व के वर्षो की तरह यह बात सामने आई कि अ.भा.कालिदास समारोह में लाखो रूपये खर्च करने के बाद भी यह अन्तरराष्ट्रीय समारोह भीड़ नहीं खिंच पा रहा है. क्षीरसागर मैदान में जब होता था,तब भीड़ के हालात ऐसे रहते थे कि मंच के समीप तक व्यवस्थाएं बनाना पड़ जाती थी. विषय यह रहा कि अब ऐसा क्या किया जाए,जिससे लोग कालिदास समारोह के प्रति आकर्षित हो और समारोह पुन: अपनी प्रतिष्ठा पा जाए….?
तत्कालीन संभागायुक्त स्वर्णमाला रावला,आईजी पन्नालाल और कलेक्टर भूपालसिंह ने इस बारे में मंथन किया तथा रावला का यह सुझाव शासन ने भी स्वीकृत कर दिया कि हस्तशिल्प मेला का आयोजन कालिदास समारोह की तारीखों के समान्तर किया जाए. यह मेला अकादेमी के पिछे पीजीबीटी कॉलेज परिसर में हो. ऐसा करने से जहां जिला पंचायत के माध्यम से हस्त शिल्प को लेकर देशभर के शिल्पियों को बढ़ावा मिलेगा वहीं मेला देखने आनेवाले लोग अकादमी के मुक्ताकाशी मंच से सात दिन तक होनेवाली प्रस्तुतियां को देखेंगे. भीड़ बढ़ाने का इससे अच्छा सुझाव किसी के पास नहीं था. उसी वर्ष कालिदास समारोह के समान्तर हस्तशिल्प मेला भी लगा. यह मेला मूल रूप लिए हुए था. इसमें न तडक़-भडक़ थी और न ही मेले जैसी रेलमपेल थी. लोग मेला देखने आए और अकादेमी परिसर में भी घुमे तथा कार्यक्रम देखे.
हस्तशिल्प मेला चरण दर चरण लोकप्रियता प्राप्त करता चला गया ओर इसने हस्त शिल्प से हटकर पूर्णत: मेले का रूप ले लिया. चूंकि मेला, मेला होता है…जहां मनोरंजन के चलते लोग तफरीह करने पहुंचते है. ऐसे में इस मेले ने भीड़ तो जमकर खींची लेकिन भीड़ का टेस्ट बदल गया और लोगों ने अकादेमी में होनेवाले अ.भा.कालिदास समारोह का स्परूप पुन: फिका कर दिया. यहां समीप से हजारों की संख्या में लोग मेला देखने अकादेमी परिसर से जाते लेकिन मुक्ताकाशी मंच की ओर रूख नहीं करते. इसके चलते पुन: यह मांग उठी कि अकादेमी में कार्यक्रमों का स्वरूप कैसा हो,जिससे लोग कालिदास समारोह देखने स्वत: आए. हालांकि इस पर काम न के बराबर हुआ,ऐसी जनचर्चा हमेशा रही.
यहां हो गया उलटफेर…..
इधर जिला पंचायत के हस्त शिल्प मेले ने जिसप्रकार से जिला पंचायत को राजस्व दिलवाया,उसे देखते हुए मेले की भव्यता के लिए सोचा जाने लगा. गत वर्ष अकादेमी प्रशासन से यह मांग जिला पंचायत द्वारा की गई कि अकादेमी परिसर चाहिए,ताकि मेले का और अधिक विस्तार किया जा सके? अकादेमी प्रशासन ने इस बात को लेकर न केवल इंकार किया बल्कि एक समस्या यह भी बताई कि हस्त शिल्प मेले में तेज ध्वनि के चलते अकादेमी के कार्यक्रम प्रभावित होते हैं,इस पर मंथन किया जाए.
इनका कहना है….
* कालिदास संस्कृत अकादेमी के निदेशक डॉ.गोविंद गंधे ने चर्चा में कहाकि गत वर्ष तथा इस वर्ष भी जिला पंचायत द्वारा हस्त शिल्प मेले के लिए अतिरिक्त जगह की मांग की गई थी. अकादेमी में अ.भा.समारोह के दौरान ऐसा कर नहीं सकते थे,अत: इंकार किया गया था. उन्होने तारीखों में परिवर्तन किया,ऐसा अभी जानकारी में नहीं है.
* जिला पंचायत सीईओ श्रेयांस से चर्चा की गई तो उन्होने बताया कि हस्तशिल्प मेला का क्षेत्र बढ़ाने पर माननीय सदस्यों के बीच तय हुआ था. अकादेमी के अ.भा.कालिदास समारोह के दौरान जगह नहीं मिल रही थी. ऐसे में तय किया गया कि तारीखें आगे बढ़ाई जाए.
स्वदेशी थीम पर लगेगा मेला
Saturday को जिला पंयायत अध्यक्ष कमलाकुंवर देवड़ा की अध्यक्षता में मेला समिति की बैठक हुई. इसमें हस्तशिल्प मेला को लेकर तय किया गया कि मेला अ.भा.कालिदास समारोह की समाप्ति के बाद 13 से 24 नवंबर तक लगाया जाए. बैठक में जिला पंचायत के हस्तशिल्प मेला समिति के सदस्य उपाध्यक्ष शिवानी कुंवर सोलंकी ,अमरसिंह पटेल,रामप्रसाद पांडया,शोभाराम मालवीय एवं जिला पंचायत के सीईओ श्रेयांश उपस्थित थे. बैठक में विभिन्न कार्यों के लिए अनुबंधित संस्थाओं से पूर्व वर्ष के दरों पर कार्य कराए जाने की सहमति प्रदान की गई. जिला पंचायत उपाध्यक्ष के सुझाव अनुसार इस वर्ष का मेला स्वदेशी थीम के आधार पर लगाया जाना प्रस्तावित किया गया. इस इस वर्ष 1152 आवेदन विभिन्न राज्यों के शिल्पियों द्वारा ऑनलाइन प्रेषित किए गए हैं एवं 83 आवेदन फूड जोन की स्थलों के लिए ऑनलाइन प्राप्त हुए हैं. जिनका पात्रता परीक्षण कर अंतिम सूचियां तैयार की जाएगी. साथ ही कंप्यूटराइज लॉटरी पद्धति के माध्यम से स्टॉल निर्माण अनुसार शिल्पियों का चयन किया जाएगा.
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
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