-हमारे नगर केवल इमारतें नहीं, जीवंत सामाजिक संरचनाएं हैं : Chief Minister
लखनऊ, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के नगरों के तीव्र गति से बदलते विकास स्वरूप को देखते हुए अब एक व्यापक ‘शहरी पुनर्विकास नीति’ की आवश्यकता है. यह नीति केवल भवनों के पुनर्निर्माण तक सीमित न रहकर शहरों के समग्र पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त करेगी.
Chief Minister ने कहा कि हमारे नगर केवल इमारतों का समूह नहीं, बल्कि जीवंत सामाजिक संरचनाएँ हैं. इनके पुनर्जीवन के लिए ऐसी नीति आवश्यक है, जो आधुनिकता, परंपरा और मानवता तीनों का संतुलित समन्वय करे.
Chief Minister ने मंगलवार को आवास विभाग की बैठक में कहा कि नई नीति का उद्देश्य पुराने, जर्जर और अनुपयोगी क्षेत्रों को आधुनिक शहरी बुनियादी ढाँचे, पर्याप्त सार्वजनिक सुविधाओं और पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकसित करना है. उन्होंने कहा कि नीति में ऐसे प्रावधान किए जाएँ, जिनसे निवास योग्य, सुरक्षित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित नगरों का निर्माण सुनिश्चित हो.
उन्होंने निर्देश दिए कि नीति में भूमि पुनर्गठन, निजी निवेश को प्रोत्साहन, पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था और प्रभावित परिवारों की आजीविका की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए. हर परियोजना में ‘जनहित सर्वोपरि’ की भावना हो तथा किसी की संपत्ति या जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. इसके लिए न्यायसंगत और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए.
Chief Minister ने कहा कि नई नीति में राज्य स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण, परियोजनाओं की सिंगल विंडो अप्रूवल प्रणाली तथा पीपीपी मॉडल को प्राथमिकता दी जाए. निवेशकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश, प्रोत्साहन और सुरक्षा दी जाए, ताकि निजी क्षेत्र पुनर्विकास में सक्रिय भागीदारी कर सके. साथ ही हर परियोजना में हरित भवन मानक, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास के प्रावधान अनिवार्य किए जाएं.
Chief Minister ने कहा कि नगरों की ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए. पुराने बाजारों, सरकारी आवास परिसरों, औद्योगिक क्षेत्रों और अनधिकृत बस्तियों के लिए क्षेत्रवार अलग रणनीति तैयार की जाए. नीति में सेवानिवृत्त सरकारी आवासों, पुरानी हाउसिंग सोसायटियों तथा अतिक्रमण प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि नई नीति का मसौदा जनप्रतिनिधियों, नगर निकायों और आम नागरिकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर अंतिम रूप से तैयार किया जाए और शीघ्र मंत्रिपरिषद के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाए.
बैठक में नगरीय क्षेत्रों में विकास प्राधिकरणों द्वारा लिए जाने वाले बाह्य विकास शुल्क पर भी चर्चा हुईं. Chief Minister ने बाह्य विकास शुल्क को व्यावहारिक और जनहित के अनुरूप बनाए जाने की आवश्यकता जताई. उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी प्रकार के भूमि उपयोग आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक और कृषि पर समान शुल्क दरें लागू हैं, जो व्यावहारिक नहीं हैं. Chief Minister ने निर्देश दिए कि नई व्यवस्था में स्थान और भूमि उपयोग के आधार पर शुल्क दरों में अंतर रखा जाए.
Chief Minister ने निर्देश दिए कि कृषि एवं औद्योगिक उपयोग की भूमि पर बाह्य विकास शुल्क, आवासीय और व्यावसायिक उपयोग की तुलना में कम होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय नगर निकाय सीमा के भीतर और नगर निकाय सीमा के बाहर की भूमि पर भी शुल्क की दरों में अंतर किया जाए, ताकि निवेशकों और आम नागरिकों दोनों के हितों का संतुलन बना रहे.
Chief Minister ने बाह्य विकास शुल्क की गणना प्रणाली में पारदर्शिता और सरलता लाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसमें सामान्य व्यक्ति भी बिना किसी परेशानी के स्वयं अपने शुल्क की गणना कर सके. इसके लिए शुल्क निर्धारण का फॉर्मूला स्पष्ट, ऑनलाइन और न्यूनतम मानव हस्तक्षेप वाला होना चाहिए.
Chief Minister ने कहा कि बाह्य विकास शुल्क से प्राप्त धनराशि का उपयोग वास्तव में बाह्य बुनियादी सुविधाओं जैसे; सड़क, जलापूर्ति, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज, विद्युत व अन्य जनसुविधाओं के विकास में ही किया जाए. इसके लिए विकास प्राधिकरणों की जवाबदेही तय होनी चाहिए.
Chief Minister ने आवास विभाग को निर्देश दिया कि बाह्य विकास शुल्क से संबंधित वर्तमान प्राविधानों की समीक्षा कर, जनसुलभ, पारदर्शी और व्यवहारिक नीति का प्रारूप शीघ्र तैयार किया जाए, ताकि नगरीय विकास योजनाओं में गति आए और नागरिकों को वास्तविक लाभ मिले.
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(Udaipur Kiran) / दिलीप शुक्ला
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