इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा है कि उसने मई 1998 के बाद कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है। उसने गुप्त परमाणु गतिविधियों के भारत के आरोपों को "निराधार और दुर्भावनापूर्ण" बताते हुए खारिज कर दिया है। पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने डॉन के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि "पाकिस्तान ने आखिरी परमाणु परीक्षण मई 1998 में किए थे। परमाणु परीक्षण पर हमारी स्थिति सुस्थापित और सुसंगत है।"
पाकिस्तान ने कहा है कि भारत के परमाणु परीक्षणों के जवाब में किये गये अपने पिछले परीक्षणों के बाद से पाकिस्तान ने खुद ही परमाणु परीक्षणों पर रोक बरकरार रखी है। डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि पाकिस्तान ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिससे उसे यह छूट मिली हुई है कि अगर उसका सुरक्षा वातावरण, खासकर भारत के संदर्भ में, बिगड़ता है, तो वह परीक्षण फिर से शुरू कर सकता है।
परमाणु परीक्षण पर पाकिस्तान ने भारत के आरोपों को नकारा
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंद्राबी ने कहा कि "पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र महासभा के उन प्रस्तावों का समर्थन करता रहा है जिनमें परमाणु परीक्षणों पर व्यापक प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया है। इसके विपरीत, इन प्रस्तावों पर भारत का अनुपस्थित रहना भविष्य में परमाणु परीक्षणों के प्रति उसके अस्पष्ट और संदिग्ध इरादों को दर्शाता है।" आपको बता दें कि सबसे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि चीन, रूस, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान जैसे देश अंडरग्राउंड परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। डॉन ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी से बचने के लिए इस्लामाबाद की तरफ से पहले कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई थी।
लेकिन शुक्रवार को पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से दिए गये बयान का हवाला देते हुए डोनाल्ड ट्रंप के आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि "गुप्त और अवैध परमाणु गतिविधियां पाकिस्तान के इतिहास के मुताबिक हैं, जो दशकों से तस्करी, निर्यात नियंत्रण उल्लंघन, गुप्त साझेदारियों, ए.क्यू. खान नेटवर्क और परमाणु प्रसार पर केंद्रित है। भारत ने हमेशा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान पाकिस्तान के इन पहलुओं की ओर आकर्षित किया है। इसी बैकग्राउंड में, हमने पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण के बारे में राष्ट्रपति ट्रंप की टिप्पणी पर ध्यान दिया है।"
अंद्राबी ने भारत के बयान को खारिज करते हुए कहा, "भारत स्पष्ट रूप से तथ्यों को तोड़-मरोड़ रहा है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहा है। अमेरिकी पक्ष पहले ही राष्ट्रपति के बयानों के संबंध में मीडिया के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है।"
पाकिस्तान ने कहा है कि भारत के परमाणु परीक्षणों के जवाब में किये गये अपने पिछले परीक्षणों के बाद से पाकिस्तान ने खुद ही परमाणु परीक्षणों पर रोक बरकरार रखी है। डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि पाकिस्तान ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिससे उसे यह छूट मिली हुई है कि अगर उसका सुरक्षा वातावरण, खासकर भारत के संदर्भ में, बिगड़ता है, तो वह परीक्षण फिर से शुरू कर सकता है।
परमाणु परीक्षण पर पाकिस्तान ने भारत के आरोपों को नकारा
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंद्राबी ने कहा कि "पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र महासभा के उन प्रस्तावों का समर्थन करता रहा है जिनमें परमाणु परीक्षणों पर व्यापक प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया है। इसके विपरीत, इन प्रस्तावों पर भारत का अनुपस्थित रहना भविष्य में परमाणु परीक्षणों के प्रति उसके अस्पष्ट और संदिग्ध इरादों को दर्शाता है।" आपको बता दें कि सबसे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि चीन, रूस, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान जैसे देश अंडरग्राउंड परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। डॉन ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी से बचने के लिए इस्लामाबाद की तरफ से पहले कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई थी।
लेकिन शुक्रवार को पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से दिए गये बयान का हवाला देते हुए डोनाल्ड ट्रंप के आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि "गुप्त और अवैध परमाणु गतिविधियां पाकिस्तान के इतिहास के मुताबिक हैं, जो दशकों से तस्करी, निर्यात नियंत्रण उल्लंघन, गुप्त साझेदारियों, ए.क्यू. खान नेटवर्क और परमाणु प्रसार पर केंद्रित है। भारत ने हमेशा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान पाकिस्तान के इन पहलुओं की ओर आकर्षित किया है। इसी बैकग्राउंड में, हमने पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण के बारे में राष्ट्रपति ट्रंप की टिप्पणी पर ध्यान दिया है।"
अंद्राबी ने भारत के बयान को खारिज करते हुए कहा, "भारत स्पष्ट रूप से तथ्यों को तोड़-मरोड़ रहा है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहा है। अमेरिकी पक्ष पहले ही राष्ट्रपति के बयानों के संबंध में मीडिया के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है।"
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