नई दिल्ली : लद्दाख में इंडियन एयरफोर्स को चौथा एयरबेस मिल गया है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से करीब 35 किलोमीटर दूर यह मुध- न्योमा (Mudh-Nyoma) एयरबेस 13700 फीट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊंचा एक्टिव फाइटर एयरबेस बन गया है। इसके ऑपरेशनल हो जाने से एयरफोर्स की क्षमता में काफी इजाफा हुआ है। बुधवार को एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल ए.पी.सिंह C-130 J सुपर हरकुलस एयरक्राफ्ट में सवार होकर यहां पहुंचे।
लद्दाख एयरफोर्स की उद्घाटन लैंडिंग
एयरफोर्स चीफ का प्लेन का उतरना लद्दाख एयरबेस की उद्घाटन लैंडिंग थी। एयरफोर्स का एक एयरबेस लेह में है जो ऑपरेशनल है। इसके अलावा करगिल और थॉइस (सियाचिन का बेस) में भी पूरी सुविधाओं वाला रनवे है। दौलत बेग ओल्डी में भी एक रनवे है लेकिन यह मिट्टी का बना रनवे है और पक्का नहीं है।
न्योमा लद्दाख में इंडस नदी के किनारे स्थित है और लेह से करीब 180 किलोमीटर दूर है। यहां पहले एक सामान्य लैंडिंग स्ट्रिप थी लेकिन अब यहां पर 2.7 किलोमीटर पक्का रनवे है, हैंगर है और एयर ट्रैफिक कंट्रोल की सारी सुविधाएं हैं।1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान यहां पर अडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनाया गया था। बाद में मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 के हिसाब से इसे तैयार किया गया। अब इसमें C-130 J और IL-76 जैसे बड़े एयरक्राफ्ट भी उतर सकते हैं।
Su-30 MKI के ऑपरेशंस की मंजूरी
एयरफोर्स ने इस एयरबेस पर Su-30 MKI फाइटर जेट के ऑपरेशंस की मंजूरी दे दी है। इससे अब यहां कोई भी फाइटर जेट ऑपरेट कर सकते हैं। Su-30 MKI फाइटर जेट सबसे भारी फाइटर जेट है, जिस जगह से भारी फाइटर जेट उड़ान भर सकता है और लैंड कर सकता है वहां से उसके हल्के फाइटर जेट के ऑपरेट करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
2023 में राजनाथ सिंह ने रखी थी आधारशिला
साल 2023 में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने न्योमा एयरबेस की वर्चुअल तरीके से आधारशिला रखी तब उन्होंने कहा था कि यह एयरबेस नॉर्दन बॉर्डर पर एयरफोर्स की क्षमता को बढ़ाएगा और यह सशस्त्र बलों के लिए पासा पलटने वाला साबित होगा। यह एयरबेस अब पूरी तरह ऑपरेशनल हो गया है। यहां से एयरक्राफ्ट उड़ान भर सकते हैं, लैंड कर सकते हैं। यहां छोटे स्तर पर मेंटनेंस का काम भी हो सकता है। इसका मतलब है कि एयरक्राफ्ट यहां लंबे वक्त तक ठहर भी सकते हैं।
लद्दाख एयरफोर्स की उद्घाटन लैंडिंग
एयरफोर्स चीफ का प्लेन का उतरना लद्दाख एयरबेस की उद्घाटन लैंडिंग थी। एयरफोर्स का एक एयरबेस लेह में है जो ऑपरेशनल है। इसके अलावा करगिल और थॉइस (सियाचिन का बेस) में भी पूरी सुविधाओं वाला रनवे है। दौलत बेग ओल्डी में भी एक रनवे है लेकिन यह मिट्टी का बना रनवे है और पक्का नहीं है।
न्योमा लद्दाख में इंडस नदी के किनारे स्थित है और लेह से करीब 180 किलोमीटर दूर है। यहां पहले एक सामान्य लैंडिंग स्ट्रिप थी लेकिन अब यहां पर 2.7 किलोमीटर पक्का रनवे है, हैंगर है और एयर ट्रैफिक कंट्रोल की सारी सुविधाएं हैं।1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान यहां पर अडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनाया गया था। बाद में मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 के हिसाब से इसे तैयार किया गया। अब इसमें C-130 J और IL-76 जैसे बड़े एयरक्राफ्ट भी उतर सकते हैं।
Su-30 MKI के ऑपरेशंस की मंजूरी
एयरफोर्स ने इस एयरबेस पर Su-30 MKI फाइटर जेट के ऑपरेशंस की मंजूरी दे दी है। इससे अब यहां कोई भी फाइटर जेट ऑपरेट कर सकते हैं। Su-30 MKI फाइटर जेट सबसे भारी फाइटर जेट है, जिस जगह से भारी फाइटर जेट उड़ान भर सकता है और लैंड कर सकता है वहां से उसके हल्के फाइटर जेट के ऑपरेट करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
2023 में राजनाथ सिंह ने रखी थी आधारशिला
साल 2023 में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने न्योमा एयरबेस की वर्चुअल तरीके से आधारशिला रखी तब उन्होंने कहा था कि यह एयरबेस नॉर्दन बॉर्डर पर एयरफोर्स की क्षमता को बढ़ाएगा और यह सशस्त्र बलों के लिए पासा पलटने वाला साबित होगा। यह एयरबेस अब पूरी तरह ऑपरेशनल हो गया है। यहां से एयरक्राफ्ट उड़ान भर सकते हैं, लैंड कर सकते हैं। यहां छोटे स्तर पर मेंटनेंस का काम भी हो सकता है। इसका मतलब है कि एयरक्राफ्ट यहां लंबे वक्त तक ठहर भी सकते हैं।
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