नई दिल्लीः दिल्ली समेत देश के उन तमाम लोगों के लिए आने वाले दिनों में राहत भरी खबर है जिनके बैंक अकाउंट सिर्फ संदेह ( साइबर क्राइम से जुड़ी ट्रांजेक्शन) के आधार पर अनिश्चित समय के लिए फ्रीज कर दिए जाते हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इसके लिए गृह मंत्रालय का I4C यानी ( Indian Cybercrime Coordination Centre ) दिल्ली समेत सभी राज्यों में अपना विस्तार करने जा रहा है। जिसके बाद 14c दिल्ली में D4C यानी (Delhi Cybercrime Coordination Centre) और बाकी सभी राज्यों में S4C यानी (State Cybercrime Coordination Centre) के नाम से जाना जाएगा।
इसके दिल्ली समेत अलग अलग स्टेट में मुख्यालय खोलने की तैयारी पर काम चल रहा है। ताकि D4C दिल्ली में IFSO और सभी जिलों में मौजूद साइबर पुलिस स्टेशन के साथ सीधे कॉर्डिनेशन रहे। इसी तरह S4C स्टेट पुलिस के साथ साइबर क्राइम को रोकने पर तालमेल बिठा सके। इसके लिए अलग अलग नोडल ऑफिसर बनाए जाएंगे। पुलिस मुख्यालय से जुड़े आधिकारिक सूत्रों से पता चला कि महत्वपूर्ण कार्ययोजना के लिए I4C ने पब्लिक गिर्वेस के लिए दिल्ली समेत सभी राज्यों से नोडल ऑफिसर्स की लिस्ट मांगी है। ये वो नोडल ऑफिसर होंगे जिनके साथ साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर का सीधा कम्यूनिकेशन रहेगा।
ऑफिसर ने भेजी लिस्टसूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस की तरफ से सभी जिलों के साइबर क्राइम थानों के एक एक ऑफिसर, एक आईएफएसओ और एक क्राइम ब्रांच से बतौर नोडल ऑफिसर की लिस्ट भेज दी है। आधिकारिक सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्ययोजना सिर्फ बैंक अकाउंट होल्डर को राहत पहुंचाने के लिए ही टेक्निक से बढ़ते साइबर अपराध और अपराधियों नहीं, बल्कि नई डिजिटल को 'रियल टाइम' में चिन्हित कर एक्शन के लिए भी है।
दिल्ली की बैंक को मेल भेजकर करा दिया था फ्रीजसूत्रों ने बताया कि बीते दिनों द्वारका के एक स्कूल का बैंक अकाउंट संदिग्ध ट्रांजेक्शन के शक में तमिलनाडु के जिला करूर पुलिस ने दिल्ली की बैंक को मेल भेजकर फ्रीज करा दिया था। जबकि स्कूल ऑनर का दावा था कि इस अकाउंट में बच्चों की फीस का ट्रांजेक्शन होता था। उस अकाउंट में 50 हजार की कब आए और निकले यह पता ही नहीं चला। अकाउंट फ्रीज होने के बाद स्कूल ऑनर को पता चला। जिसमें उनकी बाकी रकम भी फंस गई। फिलहाल बैंक अकाउंट फ्रीज की यह कार्रवाई साइबर क्राइम केस की जांच में पुलिस की तरफ से बैंक को ईमेल या मैसेज भेजकर करा दी जाती है।
चार्जशीट दायर किए जाने का प्लानहाल के दिनों में दिल्ली समेत अलग अलग राज्यों से ऐसे काफी केस सामने आए हैं, जिनमें अकाउंट होल्डर को पता ही नहीं रहता कि कोई ट्रांजेक्शन हुई है। चाहे दस बीस हजार का संदिग्ध लेनदेन क्यों न हुआ हो। संदिग्ध रकम के साथ ही अकाउंट होल्डर की बाकी रकम भी ब्लॉक हो जाती है। मगर, अब दिल्ली समेत सभी राज्यों में कॉर्डिनेशन सेंटर की स्थापना हो जाएगी। जिसमें अकाउंट को डी फ्रीज करने के लिए फिक्स टाइम बाउंड या टाइम फ्रेम के अंदर चार्जशीट दायर किए जाने का प्लान है।
इसके दिल्ली समेत अलग अलग स्टेट में मुख्यालय खोलने की तैयारी पर काम चल रहा है। ताकि D4C दिल्ली में IFSO और सभी जिलों में मौजूद साइबर पुलिस स्टेशन के साथ सीधे कॉर्डिनेशन रहे। इसी तरह S4C स्टेट पुलिस के साथ साइबर क्राइम को रोकने पर तालमेल बिठा सके। इसके लिए अलग अलग नोडल ऑफिसर बनाए जाएंगे। पुलिस मुख्यालय से जुड़े आधिकारिक सूत्रों से पता चला कि महत्वपूर्ण कार्ययोजना के लिए I4C ने पब्लिक गिर्वेस के लिए दिल्ली समेत सभी राज्यों से नोडल ऑफिसर्स की लिस्ट मांगी है। ये वो नोडल ऑफिसर होंगे जिनके साथ साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर का सीधा कम्यूनिकेशन रहेगा।
ऑफिसर ने भेजी लिस्टसूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस की तरफ से सभी जिलों के साइबर क्राइम थानों के एक एक ऑफिसर, एक आईएफएसओ और एक क्राइम ब्रांच से बतौर नोडल ऑफिसर की लिस्ट भेज दी है। आधिकारिक सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्ययोजना सिर्फ बैंक अकाउंट होल्डर को राहत पहुंचाने के लिए ही टेक्निक से बढ़ते साइबर अपराध और अपराधियों नहीं, बल्कि नई डिजिटल को 'रियल टाइम' में चिन्हित कर एक्शन के लिए भी है।
दिल्ली की बैंक को मेल भेजकर करा दिया था फ्रीजसूत्रों ने बताया कि बीते दिनों द्वारका के एक स्कूल का बैंक अकाउंट संदिग्ध ट्रांजेक्शन के शक में तमिलनाडु के जिला करूर पुलिस ने दिल्ली की बैंक को मेल भेजकर फ्रीज करा दिया था। जबकि स्कूल ऑनर का दावा था कि इस अकाउंट में बच्चों की फीस का ट्रांजेक्शन होता था। उस अकाउंट में 50 हजार की कब आए और निकले यह पता ही नहीं चला। अकाउंट फ्रीज होने के बाद स्कूल ऑनर को पता चला। जिसमें उनकी बाकी रकम भी फंस गई। फिलहाल बैंक अकाउंट फ्रीज की यह कार्रवाई साइबर क्राइम केस की जांच में पुलिस की तरफ से बैंक को ईमेल या मैसेज भेजकर करा दी जाती है।
चार्जशीट दायर किए जाने का प्लानहाल के दिनों में दिल्ली समेत अलग अलग राज्यों से ऐसे काफी केस सामने आए हैं, जिनमें अकाउंट होल्डर को पता ही नहीं रहता कि कोई ट्रांजेक्शन हुई है। चाहे दस बीस हजार का संदिग्ध लेनदेन क्यों न हुआ हो। संदिग्ध रकम के साथ ही अकाउंट होल्डर की बाकी रकम भी ब्लॉक हो जाती है। मगर, अब दिल्ली समेत सभी राज्यों में कॉर्डिनेशन सेंटर की स्थापना हो जाएगी। जिसमें अकाउंट को डी फ्रीज करने के लिए फिक्स टाइम बाउंड या टाइम फ्रेम के अंदर चार्जशीट दायर किए जाने का प्लान है।
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