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स्लीप एपनिया एक बड़ी समस्या है, लेकिन इसकी थैरेपी का मुश्किल होना बिल्कुल जरूरी नहीं

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कई महीनों तक राजेश एक ऐसी समस्या से जूझते रहे, जिसका नाम भी वो ठीक से ले नहीं पा रहे थे। सुबह-सुबह आंखों का भारी होना, दिन-भर चिड़चिड़ाहट रहना और मीटिंग के बीच या फिर गाड़ी चलाने के दौरान अचानक झपकी आ जाना, उनकी रोजमर्रा की दिनचर्या का अनचाहा हिस्सा बन गए थे। ये केवल उनकी थकान नहीं थी, बल्कि ऐसा लग रहा था, जैसे उनका शरीर दबी जुबान से मदद मांग रहा हो।

ये सिलसिला तब तक चलता रहा, जब तक उनके डॉक्टर ने उन्हें नींद से जुड़ी एक जांच करवाने की सलाह नहीं दी। इसके नतीजे जब सामने आए तो पता चला कि उन्हें ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) नामक समस्या है। आखिरकार जब इसका डायग्नोसिस हुआ तो डॉक्टर ने तुरंत उपचार शुरू कर दिया। इससे भी बेहतर बात ये हुई कि राजेश को ट्रीटमेंट के रूप में सीपैप मशीन मिली।

हालांकि, ये बात अलग है कि इससे भी उन्हें उतनी जल्दी राहत नहीं मिली, जितनी उन्होंने उम्मीद की थी।
पहली रात राजेश ने इस उपकरण का इस्तेमाल किया, तो इससे उन्हें घुटन महसूस हुई। मास्क उनकी त्वचा को जैसे खींच रहा था। इतना ही नहीं, रात के सन्नाटे में मशीन की आवाज भी लगातार और तेज आ रही थी, जिससे वो ठीक से सो नहीं पा रहे थे। सोते हुए उनका मास्क भी बार-बार टेढ़ा हो जाता था और सुबह होते-होते तो मास्क उतर ही जाता था। इससे राजेश को बड़ी दिक्कतें और निराशा हुई।


लेकिन ये समस्या केवल राजेश की नहीं है।
राजेश जैसे लाखों भारतीय ओएसए की समस्या से ग्रस्त हैं। इनमें से कई लोग तो इस बात से अनजान हैं कि स्लीप एपनिया का सही इलाज नहीं करवाने से उन्हें कई तरह के खतरों का सामना करना पड़ सकता है। जिनमें हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, दिन में नींद आते रहना और यहां तक कि नींद की कमी के कारण किसी दुर्घटना का शिकार हो जाना तक शामिल हैं। बावजूद इसके लोग या तो इस समस्या के इलाज से बचते हैं या फिर उपचार को बीच में ही छोड़ देते हैं।

पर ऐसा क्यों होता है? शायद इसकी बड़ी वजह सीपैप डिवाइस के साथ एडजस्ट होने में लगने वाला समय और उसके साथ आने वाली मुश्किलें हैं।

मास्क के पीछे की असली जद्दोजहदमास्क के बारे में बहुत से लोगों की पहली राय लगभग एक जैसी ही होती है:
  • मास्क पहनना झंझटभरा होता है।
  • हवा का दबाव बड़ा असहज लगता है।
  • अपने कान के पास रखी मशीन की भिनभिनाती सी आवा के साथ सो पाना कठिन होता है।
  • इसके अलावा मास्क लगाने से बहुत सी शारीरिक दिक्कतें भी होती हैं, जैसे त्वचा में जलन, हवा का रिसना, मुंह सूखना, या किसी ची से ‘बंधे’ होने का एहसास होना।
कुछ लोग तो पहली रात को ही सीपैप का इस्तेमाल करना छोड़ देते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि लगभग 15% लोग केवल एक रात सीपैप का इस्तेमाल करने के बाद उसका उपयोग बंद कर देते हैं। और लगभग आधे लोग एक साल के अंदर इसे छोड़ देते हैं।

सच्चाई ये है कि सीपैप इलाज से बचने से समस्या दूर नहीं होती। बल्कि, इससे तो स्थिति और बिगड़ सकती है।

सीपैप छोड़ देना सही समाधान क्यों नहींओएसए का असर केवल आपकी नींद पर ही नहीं पड़ता है, बल्कि इससे आपके जीवन जीने का तरीका भी बुरी तरह से प्रभावित होता है।

आपकी एकाग्र एवं सजग रहने की क्षमता से लेकर आपके हृदय और फेफड़ों की कार्यप्रणाली तक, इन सबके सुचारु रूप से कार्य करते रहने और अच्छे स्वास्थ्य की नींव रखने के लिए अच्छी नींद बेहद आवश्यक है। यही वजह है कि स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों के लिए सीपैप जैसी थेरेपी जीवन बदल देने वाली साबित हो सकती है, क्योंकि इससे उन्हें पर्याप्त व अच्छी नींद लेने में मदद मिलती है।

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आपका सांस लेने का तरीका स्थिर, तो फिर आपका सीपैप स्थिर क्यों होना चाहिए?रात भर हमारे सांस लेने के तौर-तरीके बदलते रहते हैं। गहरी REM नींद, हल्की-फुल्की अवस्थाएं, शरीर की स्थिति - इन सबका असर हमारे सांस लेने और छोड़ने के तरीके पर पड़ता है। ऐसे में कोई ऐसी मशीन, जो एक ही तरह के दबाव पर लगातार हवा पहुंचाती रहे, तो उससे परेशानी होना स्वाभाविक है। क्योंकि यह आपके शरीर की स्वाभाविक गतिविधियों के अनुकूल काम नहीं कर रही होती।

इसी परेशानी को दूर करने में नई जनरेशन के डिवाइस मददगार साबित होते हैं।

उदाहरण के लिए, फिलिप्स ड्रीमस्टेशन को ही ले लीजिए। ये सिर्फ हवा को धकेलता नहीं है, बल्कि ये पता लगाता है कि आप कैसे सांस लेते हैं। इसका 30 रातों वाला ऑटो-ट्रायल एल्गोरिदम आपकी सांसों के खास पैटर्न को ट्रैक करता है और उसके अनुसार प्रेशर को एडजस्ट करता है। इसलिए इसके साथ आपको मशीन से जूझना नहीं पड़ता, बल्कि इससे आपको उपयुक्त व जरूरी सहारा मिल जाता है। इसका ईजी-स्टार्ट फीचर हवा के दबाव को धीरे-धीरे बढ़ाता है, जिससे फ्लो का दबाव अचानक से बदलता महसूस नहीं होता और आप आराम से पूरी थैरेपी को ले पाते हैं। अगर इसकी डिजाइन की बात करें, तो हम कहेंगे कि ये आपको ज्यादा आजादी देता है। कोई भी इंसान रोबोट की तरह नहीं सो सकता है और इस मशीन का डिजाइन इसी चीज को ध्यान में रखता महसूस होता है।

अगर पारंपरिक सीपैप आपके लिए उतने अच्छे ढंग से काम नहीं कर रहा है, तो अब समय आ गया है कि आप भी और ज्यादा स्मार्ट व और भी ज्यादा पर्सनलाइज्ड ऑप्शन अपने लिए चुनें।

फिलिप्स इस बात को बहुत अच्छे से समझता है कि हमारा उद्देश्य केवल मशीन का इस्तेमाल करना नहीं है। बल्कि बेहतर नींद लेना, बेहतर सांस लेना और बेहतर जीवन जीना है।

तो अब आगे क्या?अगर आप इलाज से इसलिए बच रहे हैं, क्योंकि इससे आप परेशान हो चुके हैं, या आप पहले ही कोशिश करके इससे हार मान चुके हैं, तो अब शायद वक्त आ गया है, इस बारे में नए सिरे से बात करने का।
अब आपको एक ऐसे डिवाइस के बारे में जानना चाहिए, जो आपके अनुकूल हो, न कि आपके खिलाफ। इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और अन्य विकल्पों के बारे में पूछताछ करें।

और अगर आप ये जानना चाहते हैं कि ड्रीमस्टेशन कैसे काम करता है या इससे आपकी नींद और बेहतर कैसे हो सकती है, तो आप इस लिंक के माध्यम से इस बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं: https://www.philips.co.in/c-e/hs/sleep-apnea-therapy/sleep-apnea-machines.html?utm_source=navbharat&utm_medium=article&utm_campaign=sleep_apnea_hindi_editorial
क्योंकि एक अच्छी नींद के लिए कोशिश करना तो बनता है, और सही डिवाइस का करीब होना कोशिशों को सकारात्मक अंजाम तक पहुंचने में मददगार और सच्चा साथी साबित हो सकता है।

* डिस्क्लेमर: राजेश नाम का उपयोग केवल उदाहरण के तौर पर किया गया है। ये स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों के सामान्य अनुभवों पर आधारित एक काल्पनिक चित्रण है।

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  • Dreamstation provider manual. Available from:https://junnimed.com/image/catalog/files/DreamStation%20Provider%20Manual%20International%20English.pdf

  • Disclaimer: This article has been produced on behalf of Philips by Times Internet’s Spotlight Team.
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