नई दिल्ली: क्या बेंगलुरु खाली हो रहा है? दरअसल, इस समय काफी लोग बेंगलुरु छोड़ पड़ोसी शहर मैसूर जा रहे हैं। इसका कारण बेंगलुरु में महंगी प्रॉपर्टी और शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर है। इस कारण लोग अब इस शहर को छोड़ रहे हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा और गुड़गांव (गुरुग्राम) की भी है। सबसे बुरी स्थिति गुड़गांव की है। बारिश के दिनों में यहां काफी पानी भर जाता है, जिससे इंटरनेट पर लोगों के गुस्से की भी बाढ़ आ जाती है।
दरअसल, बेंगलुरु को लंबे समय से भारत का टेक और स्टार्टअप हब माना जाता रहा है। लेकिन अब यहां से लोग बड़ी संख्या में बाहर जा रहे हैं। बेंगलुरु के निवासी अब पास के टियर-2 शहरों जैसे मैसूर में राहत ढूंढ रहे हैं। इन्वेस्टमेंट बैंकर सार्थक आहूजा (Sarthak Ahuja) ने प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर इस बारे में अपनी राय दी है। उनके मुताबिक, बेंगलुरु में यह बदलाव दो बड़ी वजहों से हो रहा है। पहली वजह है प्रॉपर्टी की आसमान छूती कीमतें। दूसरी वजह है शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर का लगातार खराब होना।
बेंगलुरु में 3 बड़ी समस्याएंआहूजा ने अपनी पोस्ट में बेंगलुरु की 3 प्रमुख समस्याओं को हाईलाइट किया है। ये इस प्रकार हैं:
1. खराब ट्रैफिकआहूजा ने लिखा है कि बेंगलुरु में ट्रैफिक इतना खराब हो गया है कि यह शहर अब दुनिया में भीड़भाड़ के मामले में तीसरे नंबर पर है। उन्होंने बताया कि औसतन यहां के लोग हर साल 134 घंटे ट्रैफिक में फंसे रहते हैं।
2. खराब इंफ्रास्ट्रक्चरबेंगलुरु में बढ़ता वायु प्रदूषण, पानी की कमी और पुराना सिविक इंफ्रास्ट्रक्चर भी शहर में जिंदगी को मुश्किल बना रहा है। आहूजा लिखते हैं कि अब शहर में रहना पहले जैसा आसान नहीं रहा।
3. महंगी प्रॉपर्टीबेंगलुरु में रियल एस्टेट की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी हैं। इस वजह से कई लोगों के लिए घर खरीदना बहुत महंगा हो गया है। अच्छे इलाकों में अपार्टमेंट की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि लोगों की सैलरी उतनी नहीं बढ़ी है। निवेश के मुकाबले किराए से मिलने वाला फायदा भी कम हो गया है।
मैसूर में क्या है खास?बेंगलुरु की समस्याओं के कारण कई लोग मैसूर की तरफ देख रहे हैं। मैसूर सिर्फ शहर की भीड़भाड़ और परेशानी से राहत नहीं देता। यहां निवेश का भी अच्छा मौका है। आहूजा ने बताया कि पिछले एक साल में मैसूर में रियल एस्टेट की कीमतें 50% से ज्यादा बढ़ी हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि फिर भी, यहां की प्रॉपर्टी बेंगलुरु से 30 से 50% सस्ती हैं और किराए से मिलने वाला फायदा भी ज्यादा है। मैसूर के मशहूर इलाकों जैसे कुवेम्पु नगर और विजय नगर में अपार्टमेंट 60 लाख रुपये से शुरू होते हैं। वहीं, सरस्वतीपुरम और जयलक्ष्मीपुरम जैसे महंगे इलाकों में शुरुआती कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है।
खर्च भी बेंगलुरु के मुकाबले काफी कममैसूर में रहने का खर्च भी एक बड़ी वजह है जो लोगों को आकर्षित कर रही है। यहां का खर्च बेंगलुरु से 10-20% कम होने का अनुमान है। कनेक्टिविटी भी बहुत अच्छी हो गई है। साल 2023 में बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे बन गया है। इसकी वजह से लोग शहर के किसी भी हिस्से में 15 मिनट में पहुंच सकते हैं। यह मैसूर को रहने लायक और आसानी से पहुंचने वाला शहर बनाता है। बड़े डेवलपर्स ने भी इस मौके को पहचाना है। वे लंबे समय के प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन खरीद रहे हैं। उम्मीद है कि ये प्रोजेक्ट्स अगले दस सालों में मैसूर का चेहरा बदल देंगे।
ये शहर भी जूझ रहे समस्याओं सेआहूजा ने कहा कि यह सिर्फ बेंगलुरु की समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि मुंबई, दिल्ली, गुड़गांव और पुणे जैसे बड़े शहर भी ऐसी ही मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। पिछले दस सालों में रियल एस्टेट का विकास इन बड़े शहरों में ही ज्यादा हुआ था। लेकिन अगले दस सालों में टियर-2 शहर ही विकास के मुख्य केंद्र बनेंगे।
दिल्ली से सटे नोएडा और गुड़गांव में भी ट्रैफिक बड़ी समस्या बन रहा है। बारिश के मौसम में तो दिल्ली और गुड़गांव में बुरे हालात हो जाते हैं। इस बारिश के जलभराव से गुड़गांव की करोड़ों-अरबों रुपये के फ्लैट की सोसायटी भी नहीं बचतीं। इस सोसायटी में भी ढेर सारा पानी भर जाता है। ऐसे में इस शहरों का इंफ्रास्ट्रक्चर भी निशाने पर रहता है। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो हो सकता है यहां से भी लोग छोड़कर दूसरे शहर में शिफ्ट न हो जाएं।
दरअसल, बेंगलुरु को लंबे समय से भारत का टेक और स्टार्टअप हब माना जाता रहा है। लेकिन अब यहां से लोग बड़ी संख्या में बाहर जा रहे हैं। बेंगलुरु के निवासी अब पास के टियर-2 शहरों जैसे मैसूर में राहत ढूंढ रहे हैं। इन्वेस्टमेंट बैंकर सार्थक आहूजा (Sarthak Ahuja) ने प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर इस बारे में अपनी राय दी है। उनके मुताबिक, बेंगलुरु में यह बदलाव दो बड़ी वजहों से हो रहा है। पहली वजह है प्रॉपर्टी की आसमान छूती कीमतें। दूसरी वजह है शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर का लगातार खराब होना।
बेंगलुरु में 3 बड़ी समस्याएंआहूजा ने अपनी पोस्ट में बेंगलुरु की 3 प्रमुख समस्याओं को हाईलाइट किया है। ये इस प्रकार हैं:
1. खराब ट्रैफिकआहूजा ने लिखा है कि बेंगलुरु में ट्रैफिक इतना खराब हो गया है कि यह शहर अब दुनिया में भीड़भाड़ के मामले में तीसरे नंबर पर है। उन्होंने बताया कि औसतन यहां के लोग हर साल 134 घंटे ट्रैफिक में फंसे रहते हैं।
2. खराब इंफ्रास्ट्रक्चरबेंगलुरु में बढ़ता वायु प्रदूषण, पानी की कमी और पुराना सिविक इंफ्रास्ट्रक्चर भी शहर में जिंदगी को मुश्किल बना रहा है। आहूजा लिखते हैं कि अब शहर में रहना पहले जैसा आसान नहीं रहा।
3. महंगी प्रॉपर्टीबेंगलुरु में रियल एस्टेट की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी हैं। इस वजह से कई लोगों के लिए घर खरीदना बहुत महंगा हो गया है। अच्छे इलाकों में अपार्टमेंट की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि लोगों की सैलरी उतनी नहीं बढ़ी है। निवेश के मुकाबले किराए से मिलने वाला फायदा भी कम हो गया है।
मैसूर में क्या है खास?बेंगलुरु की समस्याओं के कारण कई लोग मैसूर की तरफ देख रहे हैं। मैसूर सिर्फ शहर की भीड़भाड़ और परेशानी से राहत नहीं देता। यहां निवेश का भी अच्छा मौका है। आहूजा ने बताया कि पिछले एक साल में मैसूर में रियल एस्टेट की कीमतें 50% से ज्यादा बढ़ी हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि फिर भी, यहां की प्रॉपर्टी बेंगलुरु से 30 से 50% सस्ती हैं और किराए से मिलने वाला फायदा भी ज्यादा है। मैसूर के मशहूर इलाकों जैसे कुवेम्पु नगर और विजय नगर में अपार्टमेंट 60 लाख रुपये से शुरू होते हैं। वहीं, सरस्वतीपुरम और जयलक्ष्मीपुरम जैसे महंगे इलाकों में शुरुआती कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है।
खर्च भी बेंगलुरु के मुकाबले काफी कममैसूर में रहने का खर्च भी एक बड़ी वजह है जो लोगों को आकर्षित कर रही है। यहां का खर्च बेंगलुरु से 10-20% कम होने का अनुमान है। कनेक्टिविटी भी बहुत अच्छी हो गई है। साल 2023 में बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे बन गया है। इसकी वजह से लोग शहर के किसी भी हिस्से में 15 मिनट में पहुंच सकते हैं। यह मैसूर को रहने लायक और आसानी से पहुंचने वाला शहर बनाता है। बड़े डेवलपर्स ने भी इस मौके को पहचाना है। वे लंबे समय के प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन खरीद रहे हैं। उम्मीद है कि ये प्रोजेक्ट्स अगले दस सालों में मैसूर का चेहरा बदल देंगे।
ये शहर भी जूझ रहे समस्याओं सेआहूजा ने कहा कि यह सिर्फ बेंगलुरु की समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि मुंबई, दिल्ली, गुड़गांव और पुणे जैसे बड़े शहर भी ऐसी ही मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। पिछले दस सालों में रियल एस्टेट का विकास इन बड़े शहरों में ही ज्यादा हुआ था। लेकिन अगले दस सालों में टियर-2 शहर ही विकास के मुख्य केंद्र बनेंगे।
दिल्ली से सटे नोएडा और गुड़गांव में भी ट्रैफिक बड़ी समस्या बन रहा है। बारिश के मौसम में तो दिल्ली और गुड़गांव में बुरे हालात हो जाते हैं। इस बारिश के जलभराव से गुड़गांव की करोड़ों-अरबों रुपये के फ्लैट की सोसायटी भी नहीं बचतीं। इस सोसायटी में भी ढेर सारा पानी भर जाता है। ऐसे में इस शहरों का इंफ्रास्ट्रक्चर भी निशाने पर रहता है। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो हो सकता है यहां से भी लोग छोड़कर दूसरे शहर में शिफ्ट न हो जाएं।
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