नई दिल्ली: 'आई लव मोहम्मद' के पोस्टर अब जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) की दीवारों तक भी पहुंच गए हैं। जेएनयू में 'आई लव मोहम्मद' के नारे और पोस्टर मिलने से हड़कंप मच गया। बुधवार रात को विश्वविद्यालय के कई हिस्सों में ये लिखे हुए पाए गए। हालांकि, किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए इन्हें रात भर में हटा दिया गया। विश्वविद्यालय के सुरक्षा अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं और दोषियों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
यह नारा हाल के हफ्तों में देश के कई हिस्सों में विवाद का केंद्र रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जेएनयू जैसे कैंपस में इस तरह के पोस्टर का मिलना गंभीर बात है, खासकर जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के चुनावों से ठीक पहले, जो 4 नवंबर को होने वाले हैं। इस घटना को लेकर कैंपस में तनाव फैलने की आशंका जताई जा रही है।.
जेएनयूएसयू के अध्यक्ष वैभव मीणा (एबीवीपी) से ने कहा, 'विश्वविद्यालय परिसरों में ऐसे नारे नहीं लिखे जाने चाहिए। इन्होंने कुछ राज्यों में हिंसा और विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है। धार्मिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है, लेकिन अगर किसी चीज से सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है, तो उसे सार्वजनिक स्थानों पर, खासकर विश्वविद्यालय परिसरों में नहीं चिपकाया जाना चाहिए।'
एबीवीपी की जेएनयू इकाई ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, 'जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय, जो विविध संस्कृति को अपनाता है, उसे सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की गई है। इस कृत्य ने न केवल जेएनयू की राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा को धूमिल किया है, बल्कि कैंपस में सद्भाव को भी बाधित किया है।'
विश्वविद्यालय प्रशासन सतर्कइस मामले पर वामपंथी समूहों की ओर से कोई बयान नहीं आया है। विश्वविद्यालय प्रशासन इस घटना को लेकर सतर्क है और आगे किसी भी तरह की अशांति को रोकने के लिए कदम उठा रहा है। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है।
यह नारा हाल के हफ्तों में देश के कई हिस्सों में विवाद का केंद्र रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जेएनयू जैसे कैंपस में इस तरह के पोस्टर का मिलना गंभीर बात है, खासकर जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के चुनावों से ठीक पहले, जो 4 नवंबर को होने वाले हैं। इस घटना को लेकर कैंपस में तनाव फैलने की आशंका जताई जा रही है।.
जेएनयूएसयू के अध्यक्ष वैभव मीणा (एबीवीपी) से ने कहा, 'विश्वविद्यालय परिसरों में ऐसे नारे नहीं लिखे जाने चाहिए। इन्होंने कुछ राज्यों में हिंसा और विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है। धार्मिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है, लेकिन अगर किसी चीज से सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है, तो उसे सार्वजनिक स्थानों पर, खासकर विश्वविद्यालय परिसरों में नहीं चिपकाया जाना चाहिए।'
एबीवीपी की जेएनयू इकाई ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, 'जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय, जो विविध संस्कृति को अपनाता है, उसे सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की गई है। इस कृत्य ने न केवल जेएनयू की राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा को धूमिल किया है, बल्कि कैंपस में सद्भाव को भी बाधित किया है।'
विश्वविद्यालय प्रशासन सतर्कइस मामले पर वामपंथी समूहों की ओर से कोई बयान नहीं आया है। विश्वविद्यालय प्रशासन इस घटना को लेकर सतर्क है और आगे किसी भी तरह की अशांति को रोकने के लिए कदम उठा रहा है। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है।
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