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इस जगह छिपा है 2 करोड़ टन सोना, निकल जाए तो पीतल के भाव रह जाएगी गोल्ड की कीमत!

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नई दिल्ली: सोने की कीमत में हाल में काफी तेजी आई है। इस साल सोना 50% से अधिक महंगा हो चुका है और इस दौरान इसने 40 बार से ज्यादा ऑल-टाइम हाई लेवल को छुआ है। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत पहली बार 4,300 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंची। गोल्डमैन सैश का कहना है कि दिसंबर 2026 तक सोने की कीमत 4,900 डॉलर प्रति औंस पहुंच सकती है। सोने की कीमत में तेजी के कई कारण हैं। सोने की डिमांड 14 साल के हाई पर है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में अब तक केवल 208,874 टन सोने का ही खनन किया जा सका है। लेकिन समुद्र में अब भी करीब दो करोड़ टन सोना छिपा है। अगर इस सोने को निकालना संभव हो जाए तो सोने की कीमत में भारी कमी आ सकती है।

फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक समुद्र में मौजूद सोने की कीमत 2,000 ट्रिलियन डॉलर तक हो सकती है। यह दुनिया की कुल जीडीपी से करीब 20 गुना और अमेरिका की जीडीपी का करीब 66 गुना है। अमेरिका की नेशनल ओशन सर्विस के मुताबिक उत्तरी प्रशांत और अटलांटिक महासागर में हरेक 100 मिलिटन मीट्रिक टन पानी में एक ग्राम सोना है। सवाल यह है कि जब समुद्र में इतना सोना छिपा है तो उसे निकाला क्यों नहीं जा रहा है? यह काम इतना आसान नहीं है। इसकी वजह यह है कि समुद्र से सोना निकालना काफी महंगा पड़ता है।


सोना निकालना क्यों है मुश्किल

दरअसल एक लीटर समुद्री पानी में एक ग्राम के 13 अरबवें हिस्से के बराबर सोना होता है। लेकिन अभी कोई ऐसा सस्ता तरीका उपलब्ध नहीं है जिससे समुद्री पानी से सोना निकालकर प्रॉफिट कमाया जा सके। हालांकि ऐसा नहीं है कि समुद्री पानी से सोना निकालने की कोशिश नहीं हुई है। कई इनवेंटर्स और इन्वेस्टर्स यह कोशिश कर चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1890 के दशक में पेस्टर फोर्ड जर्नेगन ने मरकरी और इलेक्ट्रिसिटी ट्रीटमेंट के जरिए लॉन्ग आइलैंड साउंड से सोना निकालने की योजना बनाई थी।

इसके लिए उन्होंने इलेक्ट्रोलाइटिक मरीन सॉल्ट्स कंपनी भी बनाई और निवेशकों से 10 लाख डॉलर भी जुटा लिए थे। लेकिन जल्दी ही जर्नेगन निवेशकों का सारा पैसा लेकर गायब हो गए। उसके बाद भी कई लोगों और संस्थाओं ने समुद्री जल से सोने को अलग करने का प्रयास किया। लेकिन उन्हें नाकामी ही हाथ लगी। जानकारों का कहना है कि समुद्री जल को सुखाकर, इलेक्ट्रोकेमिकल एक्सट्रैक्शन और हाइड्रॉलिक माइनिंग से सोने को निकाला जा सकता है। लेकिन अब तक इसका कोई कारगर तरीका सामने नहीं आया है।


तरह-तरह की तकनीक
साल 1941 में साइंस मैगजीन नेचर में छपी एक स्टडी में समुद्र से सोना निकालने के लिए इलेक्ट्रोकेमिकल मेथड का प्रस्ताव रखा गया था लेकिन यह काफी महंगा था। इसी तरह साल 2018 में जर्नल ऑफ अमेरिकन केमिकल सोसाइटी में वैज्ञानिकों ने एक स्पॉन्ज की तरह मटीरियल विकसित करने का दावा किया था जो समुद्र के पानी से सोने के कण सोख सकता था। लेकिन यह तकनीक भी बहुत महंगी है।

सोने का समुद्र तक का सफर बहुत धीमी प्रक्रिया है। लाखों वर्षों के दौरान बारिश और नदियां चट्टानों से सोने के कण बहाकर समुद्र में ले गई। हवा ने भी इसमें अपना योगदान दिया है। लेकिन अभी समुद्र से सोना निकालना किसी सपने से कम नहीं है। साइंटिस्ट और इनवेस्टर्स एस्टरॉयड से लेकर लूनर क्रेटर्स से सोना निकालने के विकल्प खोज रहे हैं। लेकिन इसमें भी समय लग सकता है।


भारतीय घरों में कितना सोना
सोने की चमक ने हर युग में इंसान को अपनी ओर आकर्षित किया है। पुरातन काल से ही सोने का यूज गहनों और लेनदेन के साधन के रूप में किया जाता रहा है। एक अनुमान के मुताबिक भारतीय घरों में करीब 25,000 टन गोल्ड है। यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीद शुरू की है। वे डॉलर पर निर्भरता कम करने के साथ ही अपने विदेशी मुद्रा भंडार को डाइवर्सिफाई करना चाहते हैं। इस कारण सोने की डिमांड में लगातार तेजी आ रही है। कीमत बढ़ने के साथ ही सोने का मार्केट कैप 30 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गया है।

दुनिया के इतिहास में पहली बार कोई एसेट इस मुकाम पर पहुंची है। गोल्ड की बादशाहत का अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसका मार्केट कैप दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी एनवीडिया से सात गुना ज्यादा है। एआई चिप बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एनवीडिया का मार्केट कैप 4.435 ट्रिलियन डॉलर है। माइक्रोसॉफ्ट का मार्केट कैप $3.869 ट्रिलियन, आईफोन बनाने वाली ऐपल का $3.852 ट्रिलियन, गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट का $3.064 ट्रिलियन है जबकि चांदी का मार्केट कैप $3 ट्रिलियन है। इस तरह सिल्वर दुनिया की छठी सबसे वैल्यूएबल एसेट है।



सोने की चिड़िया
सोने की कीमत में इस साल करीब 56% तेजी आई है। इसके बावजूद सोने की डिमांड में कोई कमी नहीं आई है बल्कि यह 14 साल के पीक पर पहुंच गई है। पिछली चार तिमाहियों में सोने की डिमांड 1,220 टन रही जो कम से कम 14 साल में सबसे अधिक है। कई देशों के सेंट्रल बैंक सोने की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। पिछले तीन साल में उन्होंने हरेक बार 1,000 टन से ज्यादा सोना खरीदा है। साथ ही दुनिया भर में राजनीतिक उथलपुथल और डॉलर की कमजोरी का कारण निवेशक भी सोने की जमकर खरीदारी कर रहे हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश अमेरिका के सेंट्रल बैंक के पास 8,133 टन सोना है। दिलचस्प बात है कि पिछले करीब 25 साल से यह इसी स्तर पर बना हुआ है। उसके बाद जर्मनी (3350 टन), इटली (2452 टन), फ्रांस (2437 टन), रूस (2330 टन), चीन (2301 टन), स्विट्जरलैंड (1040 टन), भारत (880 टन), जापान (846 टन) और तुर्की (837 टन) का नंबर है। अगस्त में दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने 15 टन सोना खरीदा। इस दौरान आधे से ज्यादा सोना (8 टन) केवल कजाकस्तान के केंद्रीय बैंक ने खरीदा।

सोने का उत्पादन
सोने के उत्पादन के मामले में चीन सबसे आगे है। इस देश में 2023 में सोने का उत्पादन 378.2 टन रहा था। रूस 321.8 टन के साथ दूसरे नंबर पर है। ऑस्ट्रेलिया में 2023 में सोने का उत्पादन 293.8 टन, कनाडा में 191.9 टन, अमेरिका में 166.7 टन, घाना में 135.1 टन, इंडोनेशिया में 132.5 टन, पेरू में 128.8 टन, मेक्सिको में 12.6 टन और उजबेकिस्तान में 119.6 टन सोने का उत्पादन हुआ था।
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