Workers Life in USA: कई बार आपको सभी चीजें मिलने के बाद भी सुकून नहीं मिलता है। अमेरिका में इस चीज का सबसे ज्यादा सामना वो लोग करते हैं, जो यहां पढ़ने आए थे और अब जॉब कर रहे हैं। मन के भीतर ये भावना पैदा होने के पीछे कई सारे वजहें होती हैं, जिसमें कम सैलरी, ऑफिस का माहौल ठीक ना होना और अमेरिका की वीजा पॉलिसी की अनिश्चितताएं। ऐसा ही कुछ अमेरिका में एक विदेशी वर्कर महसूस कर रहा है। उसे लगता है कि H-1B वीजा के लिए मेहनत करने का कोई तुक नहीं है।
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर विदेशी वर्कर ने एक पोस्ट लिखी है, जिसका टाइटल 'अमेरिका में अपनी पहली नौकरी मिलने के बाद घर वापस जाने की सोच रहा हूं- मुझे नहीं लगता है कि H-1B वीजा के लिए यहां रुकना ठीक होगा या नहीं।' वर्कर ने बताया कि उसे यहां काफी कम सैलरी मिलती है। वह कुछ अलग नहीं कर सकता है, क्योंकि 'ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग' (OPT) के तहत उसे सिर्फ कोर्स से जुड़ी फील्ड में ही जॉब की इजाजत है। अब वह यहां मिलने वाले H-1B वीजा पर भी सवाल उठा रहा है।
कम सैलरी ने दुखाया दिल
विदेशी वर्कर ने कहा, 'मैं F-1 वीजा पर हाई स्कूल से ही हूं। अकाउंटिंग में बैचलर्स और मास्टर्स करने के बाद मुझे हाल ही में न्यूजर्सी में फुल-टाइम अकाउंटिंग जॉब मिल गई है।' उसका कहना है कि यहां काफी कम सैलरी दी जा रही है। इस वजह से उसने रेंट पर जो अपार्टमेंट लिया है, वो काफी दूर है। उसने लिखा, 'मेरी सैलरी लगभग 52,000 डॉलर सालाना है और टैक्स के बाद मुझे लगभग 3,100 डॉलर मिलते हैं। मेरे एक छोटे से स्टूडियो अपार्टमेंट का किराया ही 1,300 डॉलर है, जो एकांत जगह पर स्थित है।'
टेंशन ज्यादा, सैलरी कम
रेडिट पोस्ट में विदेशी वर्कर ने बताया कि मैनेजर के साथ काम करना मुश्किल हो रहा है। ऊपर से यहां तनाव बहुत ज्यादा है और उसके मुकाबले सैलरी काफी कम दी जा रीह है। उसने कहा, 'लगभग 2 महीने हो चुके हैं और ईमानदारी से कहूं तो मुझे अभी से ही थकान महसूस हो रही है। मेरे मैनेजर के साथ काम करना बेहद मुश्किल है और क्योंकि मेरी जॉब रिमोट है (मैं हफ्ते में सिर्फ एक बार ऑफिस जाता हूं), मैं खुद को अलग-थलग महसूस करता हूं। मैं ज्यादा कुछ सीख नहीं पा रहा हूं।'
उसने आगे कहा, 'यहां पर टेंशन बहुत ज्यादा है और सैलरी कम है। मुझे एहसास हो रहा है कि मुझे अकाउंटिंग का काम बिल्कुल भी पसंद नहीं है।' वर्कर ने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कत ये है कि OPT पर होने की वजह से मैं फील्ड से बाहर जॉब नहीं कर सकता हूं। उसने लिखा, 'इससे भी खराब बात यह है कि एक विदेशी छात्र होने के नाते मैं इस फील्ड में बंधा हुआ हूं, क्योंकि OPT सिर्फ मेरे प्रमुख विषय से संबंधित किसी फील्ड पर ही काम करने की इजाजत देती है।'
H-1B वीजा के लिए मेहनत करना बेकार
विदेशी वर्कर ने कहा, 'जब मैं यहां सिर्फ H-1B वीजा के लिए रुकने, अनिश्चितता भरा समय गुजारने और ग्रीन कार्ड के लिए 5 से ज्यादा साल तक वक्त गुजारने के बारे में सोचता हूं तो मुझे लगता है कि क्या ये सब मायने भी रखता है। यहां इंतजार और मेहनत में बिताया गया समय, घर लौटकर दूसरे करियर के रास्ते तलाशने, कुछ ऐसा ढूंढने में लगाया जा सकता है, जो मुझे वाकई पसंद हो। एक ऐसी जिंदगी जो मुझे अपनी जैसी लगे।'
उसने आगे कहा, 'अगर मैं यहां रुकता हूं, तब तक मेरी उम्र 30-35 साल हो जाएगी। तब कहीं जाकर मैं यहां स्थायी रूप से बस पाऊंगा और मैं अगर ये मान लूं कि सब कुछ सही रहेगा- जिसकी संभावना भी कम है- खासतौर पर तब, जब अमेरिका में वीजा पॉलिसी लगातार बदल रही हैं। भले ही ये सबसे अच्छी स्थिति लगे, लेकिन ये बिल्कुल भी सही मालूम नहीं पड़ती है।'
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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर विदेशी वर्कर ने एक पोस्ट लिखी है, जिसका टाइटल 'अमेरिका में अपनी पहली नौकरी मिलने के बाद घर वापस जाने की सोच रहा हूं- मुझे नहीं लगता है कि H-1B वीजा के लिए यहां रुकना ठीक होगा या नहीं।' वर्कर ने बताया कि उसे यहां काफी कम सैलरी मिलती है। वह कुछ अलग नहीं कर सकता है, क्योंकि 'ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग' (OPT) के तहत उसे सिर्फ कोर्स से जुड़ी फील्ड में ही जॉब की इजाजत है। अब वह यहां मिलने वाले H-1B वीजा पर भी सवाल उठा रहा है।
कम सैलरी ने दुखाया दिल
विदेशी वर्कर ने कहा, 'मैं F-1 वीजा पर हाई स्कूल से ही हूं। अकाउंटिंग में बैचलर्स और मास्टर्स करने के बाद मुझे हाल ही में न्यूजर्सी में फुल-टाइम अकाउंटिंग जॉब मिल गई है।' उसका कहना है कि यहां काफी कम सैलरी दी जा रही है। इस वजह से उसने रेंट पर जो अपार्टमेंट लिया है, वो काफी दूर है। उसने लिखा, 'मेरी सैलरी लगभग 52,000 डॉलर सालाना है और टैक्स के बाद मुझे लगभग 3,100 डॉलर मिलते हैं। मेरे एक छोटे से स्टूडियो अपार्टमेंट का किराया ही 1,300 डॉलर है, जो एकांत जगह पर स्थित है।'
टेंशन ज्यादा, सैलरी कम
रेडिट पोस्ट में विदेशी वर्कर ने बताया कि मैनेजर के साथ काम करना मुश्किल हो रहा है। ऊपर से यहां तनाव बहुत ज्यादा है और उसके मुकाबले सैलरी काफी कम दी जा रीह है। उसने कहा, 'लगभग 2 महीने हो चुके हैं और ईमानदारी से कहूं तो मुझे अभी से ही थकान महसूस हो रही है। मेरे मैनेजर के साथ काम करना बेहद मुश्किल है और क्योंकि मेरी जॉब रिमोट है (मैं हफ्ते में सिर्फ एक बार ऑफिस जाता हूं), मैं खुद को अलग-थलग महसूस करता हूं। मैं ज्यादा कुछ सीख नहीं पा रहा हूं।'

उसने आगे कहा, 'यहां पर टेंशन बहुत ज्यादा है और सैलरी कम है। मुझे एहसास हो रहा है कि मुझे अकाउंटिंग का काम बिल्कुल भी पसंद नहीं है।' वर्कर ने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कत ये है कि OPT पर होने की वजह से मैं फील्ड से बाहर जॉब नहीं कर सकता हूं। उसने लिखा, 'इससे भी खराब बात यह है कि एक विदेशी छात्र होने के नाते मैं इस फील्ड में बंधा हुआ हूं, क्योंकि OPT सिर्फ मेरे प्रमुख विषय से संबंधित किसी फील्ड पर ही काम करने की इजाजत देती है।'
H-1B वीजा के लिए मेहनत करना बेकार
विदेशी वर्कर ने कहा, 'जब मैं यहां सिर्फ H-1B वीजा के लिए रुकने, अनिश्चितता भरा समय गुजारने और ग्रीन कार्ड के लिए 5 से ज्यादा साल तक वक्त गुजारने के बारे में सोचता हूं तो मुझे लगता है कि क्या ये सब मायने भी रखता है। यहां इंतजार और मेहनत में बिताया गया समय, घर लौटकर दूसरे करियर के रास्ते तलाशने, कुछ ऐसा ढूंढने में लगाया जा सकता है, जो मुझे वाकई पसंद हो। एक ऐसी जिंदगी जो मुझे अपनी जैसी लगे।'
उसने आगे कहा, 'अगर मैं यहां रुकता हूं, तब तक मेरी उम्र 30-35 साल हो जाएगी। तब कहीं जाकर मैं यहां स्थायी रूप से बस पाऊंगा और मैं अगर ये मान लूं कि सब कुछ सही रहेगा- जिसकी संभावना भी कम है- खासतौर पर तब, जब अमेरिका में वीजा पॉलिसी लगातार बदल रही हैं। भले ही ये सबसे अच्छी स्थिति लगे, लेकिन ये बिल्कुल भी सही मालूम नहीं पड़ती है।'
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