नालंदा: बिहार को उसके अतीत के लिए अक्सर याद किया जाता है। वो चाहे सैकड़ों-हजारों साल पुराना इतिहास हो या फिर दो दशक। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नालंदा में अपने भाषण में बख्तियार खिलजी का जिक्र कर ऐतिहासिक घावों को कुरेदा। खिलजी एक तुर्क आक्रमणकारी था जिसने 13वीं शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था। बख्तियार खिलजी से जुड़ी बिहार में कई कहानियां है। अमित शाह ने नालंदा की गौरवशाली विरासत और उस पर हुए आघात दोनों को याद किया। बख्तियार खिलजी का नाम बिहार के इतिहास में एक विध्वंसक के रूप में दर्ज है, जिसने ज्ञान और संस्कृति के एक महान केंद्र को बर्बाद कर दिया था।
कौन था बख्तियार खिलजी?बख्तियार खिलजी, जिसका पूरा नाम इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी था। एक तुर्क सेनापति था, जो 12वीं शताब्दी के अंत और 13वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत में सक्रिय था। वो दिल्ली सल्तनत के कुतुबुद्दीन ऐबक के अधीन था। खिलजी एक महत्वाकांक्षी सैन्य कमांडर था, जिसने अपनी बर्बरता और क्रूर आक्रमणों के लिए इतिहास में जगह बनाई। वो मुख्य रूप से पूर्वी भारत, विशेषकर बिहार और बंगाल में अपने सैन्य अभियानों के लिए जाना जाता है।
बिहार का विनाशक खिलजीबख्तियार खिलजी का बिहार पर आक्रमण (लगभग 1203 ईस्वी) यहां की सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत के लिए एक काला अध्याय साबित हुआ। उसका सबसे विनाशकारी कृत्य विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को जलाना और नष्ट करना था। नालंदा, सदियों से बौद्ध शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान का एक विशाल और प्रतिष्ठित केंद्र था। खिलजी ने आक्रमण कर पूरी तरह बर्बाद कर दिया। उसने हजारों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या की और विश्वविद्यालय की विशाल लाइब्रेरी को आग लगा दी, जिससे अमूल्य पांडुलिपियां और ज्ञान का भंडार हमेशा के लिए नष्ट हो गया।
अमित शाह ने क्यों दिलाई याद?नालंदा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए अमित शाह ने चुनावी सभा में बख्तियार खिलजी का जिक्र किया। इसका उद्देश्य चुनावी हो सकता है। मगर, न केवल अतीत के गौरव को याद करना था बल्कि अतीत में हुए सांस्कृतिक विनाश को भी रेखांकित करना था। अमित शाह ने शनिवार को कहा, 'गौरवशाली विरासत, ज्ञान और परिश्रम की भूमि नालंदा, मोदी जी और नीतीश जी के नेतृत्व में फिर से ज्ञान और संस्कृति का केंद्र बन रहा है। कभी विश्व की ज्ञानस्थली रही नालंदा को NDA सरकार फिर से ज्ञान, विज्ञान और विकास का संगम बना रही है। जब बख्तियार खिलजी ने नालंदा विद्यापीठ जलाई, तब इसके पुस्तकालय से 6 माह तक पुस्तकों के जलने का धुआं उड़ता रहा था। ये विनाश का काम बख्तियार खिलजी ने किया था। नालंदा की पावापुरी में ही 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने निर्वाण की प्राप्त की थी। यहीं पर नालंदा का विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय कुमारगुप्त ने बनाया था। जिसको 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने जला दिया था।'
कौन था बख्तियार खिलजी?बख्तियार खिलजी, जिसका पूरा नाम इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी था। एक तुर्क सेनापति था, जो 12वीं शताब्दी के अंत और 13वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत में सक्रिय था। वो दिल्ली सल्तनत के कुतुबुद्दीन ऐबक के अधीन था। खिलजी एक महत्वाकांक्षी सैन्य कमांडर था, जिसने अपनी बर्बरता और क्रूर आक्रमणों के लिए इतिहास में जगह बनाई। वो मुख्य रूप से पूर्वी भारत, विशेषकर बिहार और बंगाल में अपने सैन्य अभियानों के लिए जाना जाता है।
बिहार का विनाशक खिलजीबख्तियार खिलजी का बिहार पर आक्रमण (लगभग 1203 ईस्वी) यहां की सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत के लिए एक काला अध्याय साबित हुआ। उसका सबसे विनाशकारी कृत्य विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को जलाना और नष्ट करना था। नालंदा, सदियों से बौद्ध शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान का एक विशाल और प्रतिष्ठित केंद्र था। खिलजी ने आक्रमण कर पूरी तरह बर्बाद कर दिया। उसने हजारों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या की और विश्वविद्यालय की विशाल लाइब्रेरी को आग लगा दी, जिससे अमूल्य पांडुलिपियां और ज्ञान का भंडार हमेशा के लिए नष्ट हो गया।
अमित शाह ने क्यों दिलाई याद?नालंदा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए अमित शाह ने चुनावी सभा में बख्तियार खिलजी का जिक्र किया। इसका उद्देश्य चुनावी हो सकता है। मगर, न केवल अतीत के गौरव को याद करना था बल्कि अतीत में हुए सांस्कृतिक विनाश को भी रेखांकित करना था। अमित शाह ने शनिवार को कहा, 'गौरवशाली विरासत, ज्ञान और परिश्रम की भूमि नालंदा, मोदी जी और नीतीश जी के नेतृत्व में फिर से ज्ञान और संस्कृति का केंद्र बन रहा है। कभी विश्व की ज्ञानस्थली रही नालंदा को NDA सरकार फिर से ज्ञान, विज्ञान और विकास का संगम बना रही है। जब बख्तियार खिलजी ने नालंदा विद्यापीठ जलाई, तब इसके पुस्तकालय से 6 माह तक पुस्तकों के जलने का धुआं उड़ता रहा था। ये विनाश का काम बख्तियार खिलजी ने किया था। नालंदा की पावापुरी में ही 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने निर्वाण की प्राप्त की थी। यहीं पर नालंदा का विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय कुमारगुप्त ने बनाया था। जिसको 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने जला दिया था।'
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