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मां-बेटी के बीच दिल दहला देने वाली जंग, रणथंभौर में बाघिनों की लड़ाई के वीडियो ने याद दिलाया जंगल का कानून

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कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है। जंगल का अपना ही कानून है। यहां कोई रिश्ते मायने नहीं रखते। जो ताकत रखता है, वही जंगल में टिक सकता है। रणथंभौर के जंगलों से एक दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया है। एक मां और बेटी आपस में खूंखार तरीके से लड़ रही हैं। इस जंग को समझने के लिए चलिए रणथंभौर के जंगलों की एक कहानी सुनाते हैं। कुछ ही समय पहले की बात है।



रणथंभौर की रानी कहलाने वाली मछली बाघिन की पोती एरोहेड ने 2 मादा शावकों को जन्म दिया। रिद्धि (T-124) और सिद्धि। हमेशा मां के साथ घूमतीं। मां भी उन्हें खूब दुलार करती। फिर दोनों बच्चे बड़े हुए और रिद्धि ने अपना रौद्र रूप दिखाया। पहले मां को अपने इलाके से भगाया। फिर बहन सिद्धि के साथ इतनी भीषण जंग हुई कि जीभ पर 14 टांके लगाने पड़े। लेकिन रिद्धि ने हार नहीं मानी। वो दूसरे शावकों को मारती रही और अपना राज कायम कर लिया। आज उसी के राज को खुद उसकी बेटी ने चुनौती दे डाली है।



मां-बेटी की खूनी जंग का वीडियो सामने आया जंगल सफारी अभी कुछ ही दिन हुए हैं और रणथंभौर से दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया है। रिश्तों को भूल रिद्धि को एक बार फिर जंग करते देखा गया। इस बार सामने मीरा थी। वही मीरा बाघिन जिसे उसने खुद अपनी कोख से जन्म दिया था। अब मीरा को वर्चस्व कायम करना है तो उसने अपनी मां को ही चुनौती दे डाली। रणथंभौर के जोन-3 में जंगल सफारी करने आए पर्यटकों को यह दिल दहला देने वाला नजारा कैमरे में कैद करने का मौका मिल गया।



मीरा ने दी मां को चुनौती रणथंभौर में सुबह की सफारी के दौरान दोनों को आमने-सामने होता देखा गया। वीडियो में साफ देख सकते हैं कि मीरा इलाके पर अपना राज कायम करने के लिए रिद्धि को चुनौती देती है। लेकिन शायद मीरा भूल गई थी कि उसकी मां क्या चीज है। वो रिद्धि जो अपनी मां और बहन के साथ जंग लड़ चुकी है। वो इतनी जल्दी मैदान छोड़ने वाली नहीं थी। रिद्धि ने तुरंत ही पलटवार किया और देखते ही देखते दोनों बाघिनों में भीषण लड़ाई होने लगी। दोनों बाघिनों के दहाड़ने की आवाज सुनकर वहां जीप में मौजूद लोगों की भी कंपकंपी छूट गई। आखिरकार बेटी को हार माननी पड़ी और मैदान छोड़कर जाना पड़ा।



खूंखार बाघिन के रूप में मशहूर थी रिद्धि मीरा शायद यह नहीं जानती है कि उसकी मां रणथंभौर में आतंक मचा चुकी है। हालात यहां तक पहुंच गए थे कि उसे सरिस्का नेशनल पार्क तक शिफ्ट करने की बातें शुरू हो गईं थी। अपनी बहन के साथ जंग में वो बुरी तरह घायल हुई थी। इसके बावजूद उसने अपनी मां से अलग खुद का इलाका बनाया था। जोन-3 और 4 वो इलाका (पद्म लेक, राज बाग, मालिक लेक, मंडूब) जिसे रणथंभौर का दिल कहा जाता है।



बाघों को छोटा पड़ रहा है जंगल भारत ने बाघों को बचाने के लिए बहुत मेहनत की और उनकी संख्या में मामले में हम नंबर एक हो गए। लेकिन अब बाघों को रहने के लिए बड़े इलाके की जरूरत पड़ती है और अब जंगल इनके लिए छोटे पड़ने लगे हैं। इसी वजह से अक्सर हमें इस तरह की लड़ाइयां देखने को मिल रही हैं। कुछ ही समय पहले साढ़े 3 साल के एक बाघ की मौत हो गई। इससे पहले साढ़े 6 साल का गणेश भी मारा जा चुका है।

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