Artificial Rain & Cloud Seeding Kya Hai: आर्टिफिशियल बारिश या कृत्रिम वर्षा एक टेक्नोलॉजी है। इसके माध्यम से मौसम एक्सपर्ट बादलों में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस आदि केमिकल्स डालकर बारिश कराते हैं। इस प्रोसेस को क्लाउट सीडिंग कहा जाता है। यह टेक्नोलाॅजी वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अपनाई जाती है। अभी दिल्ली में पूअर एयर क्वालिटी इंडेक्स के कारण आर्टिफिशियल बारिश की चर्चा तेज हो गई। ऐसे में यह टाॅपिक आने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं या फिर इंटरव्यू के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। आइए जानते हैं कि आर्टिफिशियल रेन क्या है और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जीके के सवाल-जवाब, जिन्हें आपको समझना चाहिए।
आर्टिफिशियल बारिश (Artificial Rain) क्या है?
आर्टिफिशियल बारिश या कृत्रिम वर्षा एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसमें बादलों में केमिकल डालकर वर्षा कराई जाती है। इसका प्रयोग प्रदूषण कम करने के लिए किया जाता है।
कृत्रिम वर्षा के क्या नुकसान हैं?
कृत्रिम वर्षा से रासायनिक अवशेष (chemical residue) फैल सकते हैं। रासानिक अवशेष मिट्टी, फसलों और जल स्रोतों को प्रभावित करते हैं।
कृत्रिम बारिश कैसे होती है ?
आर्टिफिशियल बारिश के प्रोसेस में विमान या रॉकेट से बादलों में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस का छिड़काव किया जाता है। ये पदार्थ जलवाष्प (water vapor) को संघनित (condensed) कर बारिश बनाते हैं।
क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) क्या होती है?
क्लाउड सीडिंग वह टेक्नोलाॅजी है जिसमें बादलों में रासायनिक कण डाले जाते हैं जिससे वे संघनित होकर वर्षा बूंदों का रूप लेकर बारिश होने लगे।
कृत्रिम बारिश किस कारण से होती है?
जब बादलों में पर्याप्त नमी होती है लेकिन बारिश नहीं होती तो रासायनिक कणों को प्रोसेस किया जाता है। ये बादलों में पहुंचकर बर्फ के छोटे क्रिस्टल या पानी की बूंदें बनने की प्रक्रिया को तेज करते हैं। जब बूंद बड़ी होती हैं और ग्रैविटी की वजह से नीचे गिरती हैं तो इसी को आर्टिफिशियल बारिश कहा जाता है।
आर्टिफिशियल रेन में कौन सा केमिकल यूज होता है?
आर्टिफिशियल रेन में मुख्य रूप में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड (नमक) और ड्राई आइस (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) का प्रयोग किया जाता है।
कृत्रिम बारिश की खोज किसने की?
1946 में अमेरिकी वैज्ञानिक विन्सेंट शेफर (Vincent Schaefer) और इरविंग लैंगम्यूर ने कृत्रिम वर्षा तकनीक का विकास किया था। आर्टिफिशियल बारिश का विकास जनरल इलेक्ट्रिक प्रयोगशाला में किया गया था।
आर्टिफिशियल रेन पहली बार कब और कहां हुई थी?
आर्टिफिशियल रेन का इतिहास पुराना है। 1946 में पहली बार अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य में विन्सेंट शेफर द्वारा सफलतापूर्वक कृत्रिम बारिश कराई गई थी, जब उन्होंने बादलों में ड्राई आइस का छिड़काव किया।
दिल्ली में कृत्रिम बारिश क्यों कराई जा रही है?
दिल्ली में कृत्रिम बारिश प्रदूषण कम करने के लिए की जाती है। इसका उद्देश्य हवा में मौजूद धूल, धुएं और स्मॉग को नीचे गिराकर एयर क्वालिटी इंडेक्स की स्थिति सही करना है।
कृत्रिम वर्षा के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
कृत्रिम वर्षा के लिए मुख्य रूप से सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड, ड्राई आइस, और सोडियम क्लोराइड का प्रयोग किया जाता है जिससे बादलों में वर्षा की बूंदें बन सकें।
आर्टिफिशियल बारिश (Artificial Rain) क्या है?
आर्टिफिशियल बारिश या कृत्रिम वर्षा एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसमें बादलों में केमिकल डालकर वर्षा कराई जाती है। इसका प्रयोग प्रदूषण कम करने के लिए किया जाता है।
कृत्रिम वर्षा के क्या नुकसान हैं?
कृत्रिम वर्षा से रासायनिक अवशेष (chemical residue) फैल सकते हैं। रासानिक अवशेष मिट्टी, फसलों और जल स्रोतों को प्रभावित करते हैं।
कृत्रिम बारिश कैसे होती है ?
आर्टिफिशियल बारिश के प्रोसेस में विमान या रॉकेट से बादलों में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस का छिड़काव किया जाता है। ये पदार्थ जलवाष्प (water vapor) को संघनित (condensed) कर बारिश बनाते हैं।
क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) क्या होती है?
क्लाउड सीडिंग वह टेक्नोलाॅजी है जिसमें बादलों में रासायनिक कण डाले जाते हैं जिससे वे संघनित होकर वर्षा बूंदों का रूप लेकर बारिश होने लगे।
कृत्रिम बारिश किस कारण से होती है?
जब बादलों में पर्याप्त नमी होती है लेकिन बारिश नहीं होती तो रासायनिक कणों को प्रोसेस किया जाता है। ये बादलों में पहुंचकर बर्फ के छोटे क्रिस्टल या पानी की बूंदें बनने की प्रक्रिया को तेज करते हैं। जब बूंद बड़ी होती हैं और ग्रैविटी की वजह से नीचे गिरती हैं तो इसी को आर्टिफिशियल बारिश कहा जाता है।
आर्टिफिशियल रेन में कौन सा केमिकल यूज होता है?
आर्टिफिशियल रेन में मुख्य रूप में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड (नमक) और ड्राई आइस (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) का प्रयोग किया जाता है।
कृत्रिम बारिश की खोज किसने की?
1946 में अमेरिकी वैज्ञानिक विन्सेंट शेफर (Vincent Schaefer) और इरविंग लैंगम्यूर ने कृत्रिम वर्षा तकनीक का विकास किया था। आर्टिफिशियल बारिश का विकास जनरल इलेक्ट्रिक प्रयोगशाला में किया गया था।
आर्टिफिशियल रेन पहली बार कब और कहां हुई थी?
आर्टिफिशियल रेन का इतिहास पुराना है। 1946 में पहली बार अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य में विन्सेंट शेफर द्वारा सफलतापूर्वक कृत्रिम बारिश कराई गई थी, जब उन्होंने बादलों में ड्राई आइस का छिड़काव किया।
दिल्ली में कृत्रिम बारिश क्यों कराई जा रही है?
दिल्ली में कृत्रिम बारिश प्रदूषण कम करने के लिए की जाती है। इसका उद्देश्य हवा में मौजूद धूल, धुएं और स्मॉग को नीचे गिराकर एयर क्वालिटी इंडेक्स की स्थिति सही करना है।
कृत्रिम वर्षा के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
कृत्रिम वर्षा के लिए मुख्य रूप से सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड, ड्राई आइस, और सोडियम क्लोराइड का प्रयोग किया जाता है जिससे बादलों में वर्षा की बूंदें बन सकें।
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