लोक श्रद्धा और सूर्य आराधना का प्रतीक छठ महापर्व आज से नहाय-खाय के साथ आरंभ हो रहा है। यह चार दिवसीय पर्व पूरे श्रद्धा, शुद्धता और संयम के साथ मनाया जाता है। शनिवार को नहाय-खाय के साथ व्रतियों द्वारा पवित्र आहार ग्रहण करने के बाद रविवार से 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होगा। सोमवार की शाम डूबते सूर्य को और मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ इस महान पर्व का समापन पारण के साथ किया जाएगा। पूरे बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में श्रद्धा और उल्लास का माहौल है।
राजधानी पटना में गंगा घाटों पर तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। श्रद्धालु गंगा, तालाबों और नदियों से जल लेकर मिट्टी के चूल्हों पर शुद्ध वातावरण में प्रसाद बना रहे हैं। देव, बडगांव, उलार और पुण्यार्क जैसे प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में भी व्रती भगवान भास्कर की उपासना में लीन रहेंगे।
प्रशासन की तैयारियां और बाजारों में रौनक
शुक्रवार शाम तक प्रशासनिक अमले ने छठ घाटों की सजावट और सुरक्षा व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया था। सुबह से ही लोग घाटों का निरीक्षण करने पहुंचे और तैयारी की जानकारी ली। बाजारों में पूरे दिन पूजन सामग्री, फल, साग, फूल, धान, कद्दू, मटर और अन्य वस्तुओं की खरीदारी होती रही। हर ओर छठ गीतों की गूंज और भक्ति की भावना से वातावरण पवित्र बना हुआ है।
ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित श्री राम के अनुसार, इस वर्ष छठ पर्व विशेष योगों में मनाया जा रहा है। शनिवार को शोभन, रवि और सिद्ध योग का शुभ संयोग रहेगा जिसमें व्रती नहाय-खाय करेंगे। रविवार को रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग में खरना का आयोजन होगा। सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सुकर्मा योग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार को त्रिपुष्कर और रवियोग के संयोग में उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि छठ व्रत का प्रारंभ ऋग्वैदिक काल से हुआ था।
छठी मैया की कृपा और आरोग्यता का संदेश
मान्यता है कि छठ पर्व पर छठी मैया की कृपा से व्रती के जीवन में सुख, समृद्धि और आरोग्यता आती है। यह पर्व तन, मन और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक है। सूर्यदेव को तांबे या पीतल के पात्र से अर्घ्य देने से रोगों का नाश होता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। सूर्य की किरणों में मौजूद औषधीय गुण कई प्रकार के रोगों को दूर करने में सहायक माने गए हैं।
नहाय-खाय और खरना के प्रसाद का महत्व
पहले दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी, चने की दाल, अरवा चावल और आंवले की चासनी का सेवन विशेष रूप से किया जाता है। कहा जाता है कि यह प्रसाद संतान सुख और शारीरिक शुद्धि प्रदान करता है। वहीं खरना के दिन गुड़, ईख के रस और चावल से बने प्रसाद के सेवन से त्वचा संबंधी रोग और नेत्र पीड़ा दूर होती है। यह शरीर में तेज, बुद्धि और स्फूर्ति बढ़ाने वाला माना गया है।
स्वास्थ्य और प्रकृति से जुड़ा पर्व
छठ केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण पर्व है। इस समय मौसम में फास्फोरस की कमी से सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। गुड़ में मौजूद फास्फोरस इस कमी को पूरा करता है। इसी कारण व्रतियों द्वारा खरना के दौरान चीनी के स्थान पर गुड़ का उपयोग किया जाता है। ईख, नारियल, केला और मौसमी फलों को प्रसाद में शामिल करने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
घाटों पर सजी भक्ति की छटा
राजधानी समेत प्रदेश के सभी घाटों को रंगीन रोशनी और फूलों से सजाया गया है। रात के समय घाटों की जगमगाहट और छठ गीतों की मधुर ध्वनि से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा है। नगर निगम की ओर से हर मोहल्ले में गंगाजल की आपूर्ति के लिए टैंकर भेजे जा रहे हैं, ताकि किसी भी व्रती को असुविधा न हो।
चार दिवसीय अनुष्ठान की तिथियां और समय:
25 अक्टूबर: नहाय-खाय
26 अक्टूबर: खरना पूजन
27 अक्टूबर: शाम का अर्घ्य
28 अक्टूबर: सुबह का अर्घ्य
सूर्योदय: प्रातः 6:24 बजे
सूर्यास्त: सायं 5:36 बजे
सूर्योपासना और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने वाले इस महापर्व ने पूरे बिहार और आसपास के क्षेत्रों को आस्था के रंग में रंग दिया है। छठी मैया की जयकारों और श्रद्धा के स्वर के साथ पूरा वातावरण दिव्यता से ओत-प्रोत हो उठा है।
You may also like

कश्मीर में सोनू निगम का संगीत समारोह: मोहम्मद रफी को दी जाएगी श्रद्धांजलि!

31 अक्टूबर को रन फार यूनिटी में दिखेगी सरदार पटेल की झलक

यात्रियों की सुविधा हेतु पद्मावत व अयोध्या एक्सप्रेस में लगेंगे अतिरिक्त कोच

सरदार पटेल जयंती पर भाजपा करेगी रन फॉर यूनिटी का आयोजन : जितेंद्र सिंह सेंगर

श्रीनगर में सोनू निगम का संगीत समारोह: मोहम्मद रफी को श्रद्धांजलि देने का खास मौका!





