New Delhi, 6 अक्टूबर . विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने प्रसव बाद रक्तस्राव (पीपीएच) की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं.
अंतर्राष्ट्रीय स्त्री रोग एवं प्रसूति संघ (एफआईजीओ) और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ मिडवाइव्स ने मिलकर मातृ स्वास्थ्य दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं जो जच्चा की समस्याओं की शीघ्र पहचान कर त्वरित हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं.
पीपीएच वैश्विक स्तर पर मातृ मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है, जिससे प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव के कारण लगभग 45,000 मौतें होती हैं.
घातक न होने पर भी, यह जीवन भर के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है, जिसमें प्रमुख अंग क्षति से लेकर हिस्टरेक्टॉमी (गर्भाशय को निकालना) और एंग्जाइटी तक शामिल है.
‘हेल्थ प्रमोशन एंड डिजीज प्रिवेंशन एंड केयर’ के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फरार ने कहा, “प्रसवोत्तर रक्तस्राव सबसे खतरनाक जटिलता है क्योंकि यह बहुत तेजी से बढ़ सकता है. हालांकि इसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता, लेकिन सही देखभाल से मौत को रोका जा सकता है.”
फरार ने कहा, “ये दिशानिर्देश उन जगहों के लिए हैं जहां इसकी दर सबसे अधिक है और संसाधन सबसे सीमित हैं—यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि अधिक से अधिक महिलाएं प्रसव के बाद जीवित रहें और अपने परिवारों के पास सुरक्षित घर लौट सकें.”
दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में ‘2025 एफआईजीओ वर्ल्ड कांग्रेस’ में पीपीएच का पता लगाने के लिए नए वस्तुनिष्ठ नैदानिक मानदंड भी पेश किए गए हैं.
हालांकि पीपीएच का निदान आमतौर पर 500 मिली या उससे अधिक रक्त की हानि के रूप में किया जाता है, लेकिन लेटेस्ट दिशानिर्देश चिकित्सकों को सलाह देते हैं कि जब 300 मिली तक का रक्त बह जाए तो असामान्य महत्वपूर्ण संकेत मानते हुए त्वरित कार्रवाई करें.
पीपीएच का शीघ्र निदान करने के लिए, डॉक्टरों और मीडवाइव्स को सलाह दी जाती है कि वे प्रसव के बाद महिलाओं की बारीकी से निगरानी करें और कैलिब्रेटेड ड्रेप्स (डिलीवरी टेबल पर रखी प्लास्टिक शीट जिसमें रक्त इकट्ठा होता है) का उपयोग करें जिससे ब्लड लॉस का सही आकलन हो सके और वे तुरंत कार्रवाई कर सकें.
ये दिशानिर्देश पीपीएच का निदान होने के तुरंत बाद ‘मोटिव’ एक्शन को लागू करने की सलाह देते हैं. इसमें शामिल हैं: गर्भाशय की मालिश, कॉन्ट्रैक्शन को प्रोत्साहित करने के लिए ऑक्सीटोसिक दवाएं, रक्तस्राव को कम करने के लिए ट्रैनेक्सैमिक एसिड (टीएक्सए), इंट्रावेनस फ्लूइड, वेजाइनल और जेनाइटल ट्रैक्ट की जांच और यदि रक्तस्राव जारी रहता है तो हेल्थकेयर को और बढ़ा देना.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि दुर्लभ मामलों में, जहां रक्तस्राव जारी रहता है, दिशानिर्देश महिला की स्थिति को स्थिर करने के लिए सर्जरी या ब्लड ट्रांसफ्यूजन जैसे ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं.
दिशानिर्देश एनीमिया जैसे गंभीर जोखिम कारकों को कम करने के लिए अच्छी प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल के महत्व पर भी जोर देते हैं. एनीमिया निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में अत्यधिक प्रचलित है.
एनीमिया पीपीएच की आशंका को बढ़ाता है और यदि ऐसा होता है, तो परिणाम और भी खराब हो जाते हैं. एनीमिया से पीड़ित माताओं के लिए सिफारिशों में गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन आयरन-फोलेट का सेवन और पीपीएच के बाद, या ओरल ट्रीटमेंट के विफल होने पर आवश्यकतानुसार इंट्रावेनस वेनस आयरन ट्रांसफ्यूजन शामिल है.
–
केआर/
You may also like
पृथ्वी शॉ ने अपनी पुरानी टीम के गेंदबाजों की उड़ाई धज्जियां, महाराष्ट्र के लिए 186 रनों की पारी खेली
High Court Jobs 2025: उच्च न्यायालय में कोर्ट मैनेजर की नौकरी लेने का चांस, 56000 मिलेगी बेसिक सैलरी, यहां करें अप्लाई
Government Jobs: दसवीं पास के लिए निकली भर्ती, इस दिन से शुरू होगी आवेदन प्रक्रिया
फ्रिज में रखा आटा सेहत के लिए` कितना नुकसानदेह है? जरूर जान लें एक्सपर्ट्स की राय
राष्ट्रीय दिवस की छुट्टियों में मकाऊ का पर्यटन बाजार हुआ गुलजार