Patna, 22 अक्टूबर . बिहार के भोजपुर जिले की जगदीशपुर विधानसभा सीट इस बार भी Political दलों के बीच जोरदार मुकाबले का गवाह बनने जा रही है. यह सीट आरा Lok Sabha क्षेत्र के अंतर्गत आती है और जगदीशपुर प्रखंड के अलावा पीरो ब्लॉक के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनी है. कुल 10 उम्मीदवार इस बार इस सीट पर मैदान में हैं. जदयू ने भगवान सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है, जबकि आरजेडी ने किशोर कुनाल पर भरोसा जताया है. वहीं, जन स्वराज पार्टी से विनय सिंह चुनावी अखाड़े में हैं.
जगदीशपुर सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक वीर कुंवर सिंह की धरती है. कुंवर सिंह ने 80 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ तलवार उठाई थी और अपने नेतृत्व में बिहार में ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी थी. कहा जाता है कि जगदीशपुर किला और वर्तमान महाराजा कॉलेज उनकी वीरता की यादों को आज भी संजोए हुए हैं. यहां की गुफाओं के बारे में माना जाता है कि वे सीधे किले से जुड़ी थीं.
अगर चुनावी इतिहास की बात करें तो जगदीशपुर का Political सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है. वर्ष 1951 में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 1985 में लोकदल के हरिनारायण सिंह ने जीत हासिल की, जबकि 1990 में आईपीएफ (अब भाकपा-माले) से भगवान कुशवाहा विजेता बने. इसके बाद भगवान कुशवाहा ने माले छोड़कर नीतीश कुमार की पार्टी का दामन थामा और 2000 में समता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की.
2000 से 2005 के बीच जेडीयू के भगवान सिंह कुशवाहा ने लगातार तीन बार इस सीट पर जीत दर्ज की और एनडीए Government में मंत्री भी बने. लेकिन 2010 के बाद यहां राजद का वर्चस्व लगातार बढ़ता गया. आरजेडी ने रामविष्णु सिंह यादव के नेतृत्व में 2010, 2015 और 2020, तीनों चुनावों में जीत दर्ज की. 2020 में रामविष्णु सिंह यादव ने जेडीयू के भगवान सिंह कुशवाहा को हराया था.
इस सीट पर जातीय समीकरण बेहद अहम भूमिका निभाते हैं. यहां राजपूत और यादव मतदाता संख्या में सबसे आगे हैं, जबकि कुशवाहा वोटर निर्णायक माने जाते हैं. रघुवंशी समुदाय भी परिणाम को प्रभावित करता है. कई मौकों पर सवर्ण मतदाताओं ने भी जीत-हार में अहम भूमिका निभाई है.
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डीसीएच/जीकेटी