New Delhi, 14 अक्टूबर . भारतीय नौसेना ने अपने एक प्रमुख नौसैनिक अड्डे ‘कारवार नेवल बेस’ पर ढांचागत सुविधाओं में इजाफा किया है. नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी की मौजूदगी में Tuesday को ये नए निर्माण, जिनमें कि आवासीय परिसर भी शामिल हैं, नौसेना का हिस्सा हो गए.
नौसेना प्रमुख ने कारवार नौसैनिक अड्डे पर भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों व जवानों के लिए निर्मित आवासीय परिसरों का उद्घाटन किया. उन्होंने यहां रक्षा नागरिकों के लिए बनाए गए आवासीय परिसर ब्लॉक्स का भी उद्घाटन किया. यह परियोजना प्रोजेक्ट सीबर्ड के दूसरे फेज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. प्रोजेक्ट सीबर्ड फेज टू ए के तहत किए जा रहे ये आधारभूत ढांचे के विकास कार्य कारवार नेवल बेस को नौसेना के एक मुख्य ऑपरेशनल और लॉजिस्टिक हब के रूप में सशक्त बनाएंगे.
परियोजना में नौसेना के लिए एक दोहरे उपयोग वाला एयर स्टेशन, एक पूर्ण विकसित नौसैनिक डॉकयार्ड, चार कवर ड्राई बर्थ्स और जहाजों व विमानों के लिए आवश्यक लॉजिस्टिक सुविधाएं शामिल हैं. इस परियोजना के पूर्ण होने पर कारवार बेस में लगभग 10,000 वर्दीधारी व नागरिक कर्मियों के परिवारों सहित बसने की व्यवस्था होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था, उद्योग और पर्यटन को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा. नवीन आवासीय परिसर मंजिल क्रीक और आमडाली के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है. इसमें चार टावर वरिष्ठ विवाहित नौसैनिकों के आवास हेतु हैं, जिनमें कुल 240 यूनिट्स हैं.
इसी तरह चार टावर व 240 यूनिट्स नौसेना से जुड़े रक्षा नागरिकों के लिए बनाए गए हैं. यहां एक सब-स्टेशन भी तैयार किया गया है. इस परियोजना के पूर्ण होने पर कुल मिलाकर 2,160 यूनिट्स नौसैनिकों के लिए और 3,168 यूनिट्स रक्षा नागरिकों के लिए उपलब्ध होंगी. रक्षा नागरिक ही कर्मचारी हैं, जो नौसेना से जुड़े विभिन्न सिविल सेवाओं में कार्यरत हैं.
नौसेना के मुताबिक, इन आवासीय भवनों का निर्माण एमएस एनसीसी लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा किया गया है. परियोजना के निर्माण कार्यों से अब तक 7,000 प्रत्यक्ष और 25,000 अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं, जिससे यह क्षेत्रीय विकास का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है. यह परियोजना पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के मानकों के अनुरूप तैयार की जा रही है. परियोजना के पूर्ण होने पर इसे ‘आईजीबीसी गोल्ड रेटिंग’ प्राप्त होगी.
प्रोजेक्ट सीबर्ड फेज टू ए आत्मनिर्भर India की भावना को साकार करता है. इस परियोजना में प्रयुक्त 90 प्रतिशत से अधिक सामग्री और उपकरण देश में ही निर्मित किए गए हैं, जो भारतीय औद्योगिक क्षमता और तकनीकी दक्षता का प्रमाण है. नौसेना का मानना है कि यह परियोजना भारतीय नौसेना के बुनियादी ढांचे को नई दिशा देगी और देश की समुद्री शक्ति को और अधिक सुदृढ़ बनाएगी.
नेवल बेस पर आयोजित इस कार्यक्रम में पश्चिमी नौसैनिक कमान के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल के. स्वामीनाथन, प्रोजेक्ट सीबर्ड के महानिदेशक वाइस एडमिरल राजेश धनखड़ तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.
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जीसीबी/डीकेपी
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