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इंफ्रा पर जोर, बड़े संरचनात्मक सुधारों से देश की विकास दर 7.5 फीसदी पर बनी रहेगी : अमिताभ कांत (आईएएनएस साक्षात्कार)

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नई दिल्ली, 27 सितंबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में संरचनात्मक स्तर पर बड़े सुधारों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष रूप से जोर देने से भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर लंबे समय में 7.5 प्रतिशत के आसपास बनी रहने की उम्मीद है. जी20 के शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने शुक्रवार को यहां के साथ एक विशेष बातचीत में यह बात कही.

कांत ने कहा कि पिछले 10 साल में पीएम मोदी द्वारा शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी पहलों के कारण दुनिया हमें बहुत गंभीरता से ले रही है.

पूंजीगत व्यय और बुनियादी ढांचे का निर्माण सरकार की सफलता की कहानियों में शुमार हैं.

वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 11.1 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.4 प्रतिशत के बराबर पूंजीगत व्यय को बरकरार रखा गया है.

कांत ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था का औपचारीकरण हुआ है. करीब एक दशक पहले शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल को जबरदस्त सफलता मिली है. लगभग उसी समय लॉन्च किए गए ‘स्टार्टअप इंडिया’ ने युवा उद्यमियों को आगे बढ़ने में मदद की है, और हम दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गए हैं.”

सरकार ने ‘इंडियाएआई मिशन’, ‘नेशनल क्वांटम मिशन’, ‘इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन’, ‘नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ और कई अन्य नए कदम उठाए हैं.

उन्होंने जोर देकर कहा, “इन सभी नई पहलों के परिणाम आने वाले दिनों में दिखेंगे और भारतीय अर्थव्यवस्था को इनसे बहुत फायदा होगा.”

मजबूत जीडीपी वृद्धि, और मजबूत विनिर्माण तथा बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर देने से भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है.

इस विकास के बीच एआई लगभग सभी उद्योगों के लिए एक आधारभूत तकनीक बन गई है.

अमिताभ कांत ने इस संबंध में कहा, “यह एक ऐसी तकनीक है जिसे सभी को अपनाना चाहिए. सरकार को एआई का उपयोग करना चाहिए. निजी क्षेत्र को एआई का उपयोग करना चाहिए और कहीं अधिक कुशल बनना चाहिए. इन सबसे कहीं ज़्यादा, इन सभी क्षेत्रों में परिणामों को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, और कृषि के लिए एआई का उपयोग किया जाना चाहिए.”

जी20 शेरपा ने कहा, “भारत को अब बड़ी संख्या में लोगों को प्रशिक्षित और कुशल बनाने तथा एआई जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में नई गुणवत्तापूर्ण नौकरियां सृजित करने की आवश्यकता है. इसका देश की विकास गाथा पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. एआई उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में परिणामों को भी बढ़ावा दे सकता है.”

एकेजे/

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